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योगी आदित्यनाथ जन्मदिन पर विशेष: युगान्तकारी आध्यात्मिक नेतृत्व

Yogi Adityanath Birthday: शिव अंश की उपस्थिति ने योगी को शिक्षा के साथ-साथ सनातन हिन्दू धर्म की विकृतियों एवं उस पर हो रहे प्रहार ने व्यथित कर दिया। प्रारब्ध से प्रेरित होकर मात्र 22 वर्ष की अवस्था में सांसारिक जीवन त्यागकर संन्यास का मार्ग चुन लिया।

Ramkrishna Vajpei
Written By Ramkrishna VajpeiPublished By Shreya
Published on: 4 Jun 2021 9:35 AM GMT (Updated on: 4 Jun 2021 5:05 PM GMT)
Yogi Adityanath Birthday
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सीएम योगी आदित्यनाथ (काॅन्सेप्ट फोटो: न्यूजट्रैक)

Yogi Adityanath Birthday: जब सम्पूर्ण उत्तर प्रदेश जेहाद, धर्मान्तरण, हिंसा, भ्रष्टाचार तथा अपराध की अराजकता में जकड़ा हुआ था उसी समय नाथपंथ के विश्व प्रसिद्ध मठ श्री गोरक्षनाथ मंदिर (Shri Gorakhnath Mandir) गोरखपुर के पावन परिसर में शिव गोरक्ष महायोगी गोरखनाथ के अनुग्रह स्वरूप माघ शुक्ल 5 संवत् 2050, 15 फरवरी 1994 को गोरक्षपीठाधीश्वर महंत अवेद्यनाथ ने अपने उत्तराधिकारी के रूप में योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) का दीक्षाभिषेक किया।

वैसे संत जन्म मृत्यु के सांसारिक बंधनों से मुक्त होते हैं फिर भी मानव रूप में अवतरित योगी का आविर्भाव देवाधिदेव भगवान महादेव की उपत्यका में स्थित देव-भूमि उत्तराखण्ड में 5 जून सन् 1972 को हुआ।

शिव अंश की उपस्थिति ने योगी को शिक्षा के साथ-साथ सनातन हिन्दू धर्म की विकृतियों एवं उस पर हो रहे प्रहार ने व्यथित कर दिया। प्रारब्ध से प्रेरित होकर मात्र 22 वर्ष की अवस्था में सांसारिक जीवन त्यागकर संन्यास का मार्ग चुन लिया। हालांकि विज्ञान वर्ग से स्नातक तक शिक्षा ग्रहण के दौरान छात्र जीवन में विभिन्न राष्ट्रवादी आन्दोलनों से वह जुड़े रहे।

योगी आदित्यनाथ (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

संन्यासियों के प्रचलित मिथक को तोड़ा

योगी आदित्यनाथ ने संन्यासियों के प्रचलित मिथक तोड़कर धर्मस्थल में बैठकर आराध्य की उपासना करने के स्थान पर आराध्य के द्वारा प्रतिस्थापित सत्य एवं उनकी सन्तानों के उत्थान के लिए गाँव-गाँव और गली-गली नव जागरण का मार्ग चुना। योगी के सत्य के आग्रह पर देखते ही देखते हुए राष्ट्र भक्तों की सेना उनके पीछे चलने लगी यह कतार लम्बी होती गई। अंततः योगी का अभियान एक आन्दोलन बना और हिन्दू पुनर्जागरण का इतिहास सृजित हुआ।

उल्लेखनीय परम्परा का पालन

अपनी पीठ की परम्परा के अनुसार योगी आदित्यनाथ ने पूर्वी उत्तर प्रदेश में व्यापक जनजागरण का अभियान चलाया। सहभोज के माध्यम से छुआछूत और अस्पृश्यता की भेदभावकारी रूढ़ियों पर जमकर प्रहार किया। विशाल हिन्दू समाज को संगठित कर राष्ट्रवादी शक्ति के माध्यम से हजारों मतान्तरित हिन्दुओं की ससम्मान घर वापसी का कार्य किया। गोसेवा के लिए आम जनमानस को जागरूक करके गोवंशों का संरक्षण एवं सम्वर्धन करवाया।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (फाइल फोटो साभार- सोशल मीडिया)

उत्तर प्रदेश में सक्रिय समाज विरोधी एवं राष्ट्रविरोधी गतिविधियों पर भी प्रभावी अंकुश लगाने में सफलता प्राप्त की। हिन्दू पुनर्जागरण अभियान से प्रभावित होकर गाँव, देहात, शहर के युवाओं ने इस अभियान में स्वयं को पूर्णतया समर्पित कर दिया। योगी आदित्यनाथ युवाओं के आदर्श बन गए। अपनी बहुआयामी प्रतिभा से धर्म के साथ-साथ सामाजिक, राजनीतिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों के केंद्र बने।

जनता की मांग पर 1998 में लड़ा लोकसभा चुनाव

योगी के सार्वभौमिक व्यक्तित्व ने उनके गुरु को प्रभावित किया और गुरुदेव के आदेश पर गोरखपुर संसदीय क्षेत्र की जनता की मांग पर 1998 में लोकसभा चुनाव लड़ा और मात्र 26 वर्ष की आयु में भारतीय संसद के सबसे युवा सांसद बने। लेकिन योगी की यात्रा यहीं नहीं रुकी। जनता के बीच दैनिक उपस्थिति, संसदीय क्षेत्र के अन्तर्गत आने वाले लगभग 1500 ग्रामसभाओं में प्रतिवर्ष भ्रमण तथा हिन्दुत्व और विकास के कार्यक्रमों के कारण गोरखपुर संसदीय क्षेत्र की जनता ने आपको वर्ष 1999, 2004 और 2009, 2014 के चुनाव में निरन्तर पांच बार लोकसभा का सदस्य बनाया।

सीएम योगी के शपथग्रहण समारोह के दौरान की तस्वीर (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

2017 में बने यूपी के मुख्यमंत्री

यही वजह रही कि 2017 में उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव (UP Assembly Elections) में जब भाजपा को भारी बहुमत मिला तब 19 मार्च 2017 को महन्त योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री (Uttar Pradesh Chief Minister) बनाया गया।

आरती करते मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (फाइल फोटो साभार- सोशल मीडिया)

हिन्दुत्व के प्रति प्रेम

हिन्दुत्व के प्रति अगाध प्रेम तथा मन, वचन और कर्म से हिन्दुत्व के प्रहरी योगीजी को विश्व हिन्दु महासंघ जैसी हिन्दुओं की अन्तर्राष्ट्रीय संस्था ने अन्तर्राष्ट्रीय उपाध्यक्ष तथा भारत इकाई के अध्यक्ष का महत्त्वपूर्ण दायित्व दिया, जिसका सफलतापूर्वक निर्वहन करते हुए आपने वर्ष 1997, 2003, 2006 में गोरखपुर में और 2008 में तुलसीपुर (बलरामपुर) में विश्व हिन्दु महासंघ के अन्तर्राष्ट्रीय अधिवेशन को सम्पन्न कराया। सम्प्रति आपके प्रभामण्डल से सम्पूर्ण विश्व परिचित हुआ।

आपकी बहुमुखी प्रतिभा का एक आयाम लेखक का है। अपने दैनिक वृत्त पर विज्ञप्ति लिखने जैसे श्रमसाध्य कार्य के साथ-साथ आप समय-समय पर अपने विचार को स्तम्भ के रूप में समाचार-पत्रों में भेजते रहते हैं। अत्यल्प अवधि में ही 'यौगिक षटकर्म', 'हठयोग: स्वरूप एवं साधना', 'राजयोग: स्वरूप एवं साधना' तथा 'हिन्दू राष्ट्र नेपाल' नामक पुस्तकें लिखीं। श्री गोरखनाथ मन्दिर से प्रकाशित होने वाली कई पुस्तकों के सम्पादक, मासिक योग पत्रिका 'योगवाणी' के आप प्रधान सम्पादक हैं तथा 'हिन्दवी' साप्ताहिक समाचार पत्र के प्रधान सम्पादक रहे। आपका कुशल नेतृत्व युगान्तकारी है और एक नया इतिहास रच रहा है।

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