योगी कैबिनेट का फैसला: अवैध खनन पर पहले की तुलना में बीस गुना जुर्माना, 5 साल सजा

योगी कैबिनेट ने उत्तर प्रदेश खनिज (परिहार) (42वां संशोधन) नियमावली, 2017 को मंजूरी दे दी है। इस व्यवस्था के लागू होने पर अवैध खनन का दोषी पाए जाने पर पहले की तुलना में बीस गुना जुर्माना देना होगा जबकि, छह महीने के कारावास की अवधि को बढ़ाकर पांच साल कर दिया गया है।

tiwarishalini
Published on: 16 May 2017 11:36 PM GMT
योगी कैबिनेट का फैसला: अवैध खनन पर पहले की तुलना में बीस गुना जुर्माना, 5 साल सजा
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योगी कैबिनेट का फैसला: अवैध खनन पर पहले की तुलना में बीस गुना जुर्माना, 5 साल सजा

लखनऊ: योगी कैबिनेट ने उत्तर प्रदेश खनिज (परिहार) (42वां संशोधन) नियमावली, 2017 को मंजूरी दे दी है। इस व्यवस्था के लागू होने पर अवैध खनन का दोषी पाए जाने पर पहले की तुलना में बीस गुना जुर्माना देना होगा जबकि, छह महीने के कारावास की अवधि को बढ़ाकर पांच साल कर दिया गया है।

लोकभवन में सीएम योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार (16 मई) को संपन्न हुई कैबिनेट की सातवीं बैठक में यह फैसला हुआ। बीजेपी ने अपने संकल्प पत्र में अवैध खनन पर अंकुश लगाने का वादा किया था।

नई व्यवस्था के तहत प्रति हेक्टेयर अवैध खनन पर 25 हजार रुपये के जुर्माने की राशि बढ़ाकर पांच लाख कर दी गई। इसी तरह छह माह के सजा के प्रावधान को बढ़ाकर पांच वर्ष कर दिया गया।

अवैध खनन पर जहां कैबिनेट ने सख्ती दिखाई है, वहीं घरेलू उपयोग और मिट्टी के बर्तन बनाने के लिए किए जाने वाले खनन में रियायत भी दी गई है।

कैबिनेट ने प्रमाणित बीजों पर अनुदान देने की योजना के तहत धान, गेहूं, जौ एवं तिल फसलों के बीजों पर प्रोत्साहन के लिए किसानों को उन्नतिशील प्रजातियों पर विशेष अनुदान दिए जाने का फैसला किया है। पहले से चली आ रही इस व्यवस्था को एक वर्ष के लिए बढ़ाया गया है। इस पर करीब 32 करोड़ रुपए खर्च आएंगे।

दरअसल, केंद्र के साथ प्रदेश सरकार की भी मंशा पांच साल में किसानों की आय दोगुना करने की है। उपज बढ़ाने में बीज की 20-25 फीसद भूमिका होती है। कैबिनेट ने धान, गेंहू, जौ, तिलहन और अन्य फसलों के प्रमाणित बीजों पर विशेष अनुदान देने का निर्णय लिया है।

सरकार की मंशा है कि किसान परंपरागत प्रजातियों की जगह अधिक उपज देने वाली और प्रमुख रोगों के प्रति प्रतिरोधी प्रजाति के बीजों का प्रयोग करें। इसके लिए इन पर जहां विशेष अनुदान दिया जाएगा, वहीं दस साल से पुरानी प्रजातियों पर अनुदान की राशि क्रमश: खत्म की जाएगी।

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