शराब माफिया की अब खैर नहीं, योगी सरकार ने लिया फांसी का कठोर फैसला, जानें पूरा मामला

Liquor Mafia List: आम शराब उपभोक्ताओं के जीवन से खिलवाड़ करने वाले शराब माफियाओं के लिये योगी सरकार ने काल का रूप अख्तियार कर लिया है। सीएम के इस रुख से अब शराब माफियाओं के महकमों में हड़कम्प है।

Sandeep Mishra
Report Sandeep MishraPublished By Shreya
Published on: 11 Sep 2021 6:07 AM GMT (Updated on: 11 Sep 2021 8:15 AM GMT)
शराफ माफियाओं की अब खैर नहीं, योगी सरकार ने किया फांसी की सजा देने का प्रावधान, जानें पूरा मामला
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(सांकेतिक फोटो साभार- सोशल मीडिया)

Liquor Mafia List: अब उत्तर प्रदेश में नकली शराब (Nakli Sharab) बनाने व दूसरे प्रान्तों से अवैध रूप से शराब लाकर उसे सूबे में बेचने वाले शराब माफियाओं (Sharab Mafia) की अब खैर नहीं है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) के निर्देशन पर पुलिस ने 600 शराब माफियाओं की सूची (Mafia List) तैयार की है। महज अपने मुनाफे के लिए लोगों की जान की परवाह न करते हुए जो माफिया अभी भी नकली व जहरीली शराब (Poisonous Liquor) बनाने व बेचने में लगे हुए हैं, उनके ख़िलाफ़ अब बड़ी कार्रवाई करने की तैयारी कर रही है सूबे की योगी सरकार (Yogi Sarkar)।

योगी सरकार ने की फांसी की सजा

आम शराब उपभोक्ताओं के जीवन से खिलवाड़ करने वाले उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के शराब माफियाओं के लिये काल का रूप सूबे की योगी सरकार (Yogi Government) ने अख्तियार कर लिया है। सीएम के इस रुख से अब शराब माफियाओं के महकमों में हड़कम्प है। मुख्यमंत्री योगी जहरीली शराब (Zehrili Sharab) से होने वाली मौतों पर रोक लगाने के लिए आबकारी अधिनियम में संशोधन कर फांसी तक की सजा का प्रावधान करवा दिया है। ऐसा देश में पहली बार हुआ है। अन्यथा अब तक आबकारी अधिनयम के तहत शराब माफिया को फांसी की सजा सुनाए जाने का प्रावधान नहीं था।

सीएम योगी (फाइल फोटो साभार- सोशल मीडिया)

योगी सरकार में शराब पर हुई कार्रवाहियों पर एक नजर

उत्तर प्रदेश में नकली व जहरीली शराब बनाने व बेचने के अब तक सूबे के विभिन्न थानों में तीन हजार चार सौ पच्चीस मामले दर्ज किए जा चुके हैं। जिसमे से पांच सौ चौतीस से अधिक शराब माफिया की गिरफ्तारी की जा चुकी है। जबकि ग्यारह शराब माफिया की अवैध सम्पत्ति कुर्क की जा चुकी है। सूबे में तीन सौ सड़सठ शराब के अवैध कारोबारियों पर गैंगस्टर के तहत कार्रवाईयां की जा चुकीं हैं। जबकि एक सौ एक शराब माफिया की एक अरब तेरह करोड़ की सम्पत्तियों को जब्त किया जा चुका है। इसी तरह से एक सौ बासठ शराब माफिया पर गुंडा एक्ट व एक सौ छियानवे शराब माफिया की हिस्ट्रीशीट खोली गई है।

जबकि दो शराब माफिया के शस्त्र लाइसेंस निरस्त किये जा चुके हैं। एक सौ चौवन लोगों को जेल के सींखचों के पीछे भेजा गया है। सूबे के आबकारी विभाग ने छब्बीस अगस्त से पांच सितंबर तक दो हजार आठ सौ सात मुकद्दमे दर्ज कर तिहत्तर हजार छह सौ साठ लीटर शराब बरामद की है। पिछले एक दर्जन दिनों में आबकारी विभाग ने एक हजार शराब माफिया को गिरफ्तार किया है। शराब माफिया के उनतीस वाहनों को जब्त किया है। अभी कुछ दिन पूर्व ही सूबे के अलीगढ़ जनपद में जहरीली शराब कांड (Poisonous Liquor Scandal) के बाद आबकारी विभाग ने शराब माफिया की सत्तर करोड़ से अधिक की संपत्ति जब्त की है।

शराब (सांकेतिक फोटो साभार- सोशल मीडिया)

उत्तर प्रदेश में नकली शराब बनाने के ये भी हैं प्रमुख गढ़

वैसे तो पूर्वी उत्तर प्रदेश से लेकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ज्यादातर जिलों में नकली शराब बनाने का कारोबार तेजी से फल फूल रहा है। प्रतापगढ़ के तत्कालीन एसपी आकाश तोमर ने शराब माफिया के खिलाफ कड़ी कार्रवाही करते हुए लगभग आधा दर्जन शराब माफिया के नेटवर्क को ध्वस्त भी किया था। लेकिन सिर्फ पूर्वांचल के जिलों में ही नकली शराब का कारोबार नही होता है बल्कि कानपुर नगर व कानपुर देहात भी नकली शराब बनाने के प्रमुख गढ़ हैं। कानपुर देहात के रूरा इलाके के बनीपरा, रसूलाबाद,झींझक,ओरैया जनपद के दिबियापुर अछल्दा, इटावा के ताखा व भरथना इलाके में नकली शराब बनाने का कारोबार काफी धड़ल्ले से चलता है।

शराब के कारोबार से जुड़े हमारे सूत्रों ने बताया है कि नकली शराब बनाने में तेज नशे का लिक्विड भी कानपुर नगर में स्थापित जूता फैक्ट्रियों से इन शराब माफिया को उपलब्ध हो जाता है। सबसे खास बात तो यह है कि आबकारी विभाग से जुड़े कुछ कर्मियों से सांठगांठ कर ये शराब माफिया अपने यहां निर्मित नकली देशी शराब को सरकारी देशी शराब के क्वाटर की शीशियों में भरकर उन्हें सरकार की ही देशी शराब की दुकानों से बिकवाते हैं।

यहां से प्राप्त होते हैं शराब के रैपर व ढक्कन

शराब के कारोबार से जुड़े सूत्रों ने बताया है कि कानपुर नगर सरकार की देशी शराब के खाली क्वार्टर, क्वार्टर पर चिपकाने वाले रैपर व इन क्वार्टर को सील बन्द किये जाने वाले ढक्कन, इन सभी सामानों को मिलने का प्रमुख गढ़ है। सरकार की दुकानों पर बिकने वाले खाली देशी क्वार्टर तो कानपुर के बड़े बड़े कबाड़ियों के पास हर समय उपलब्ध रहते हैं। बाकी का वरदाना इन्हीं फैक्ट्री एरिया से उपलब्ध हो जाता है।

लेकिन ये समान हर आम आदमी को नहीं बेचा जाता है। जैसे नकली शराब बनाने में नशे की डिग्री को तेज करने वाला लिक्विड, सरकार की देशी शराब की दुकानों में जिले वायज चलने वाले रैपर, क्वार्टर को बंद करने वाले सील बन्द ढक्कन, ये सभी समान सिर्फ उन्हीं शराब मफिया को बेचे जाते हैं जिन्हें सप्लायर व कबाड़िये भली भांति जानते हैं।

नकली शराब (सांकेतिक फोटो साभार- सोशल मीडिया)

ऐसे बनती है ये नकली शराब

शराब के कारोबार से जुड़े हमारे सूत्रों ने बताया कि नकली शराब बनाने के लिए कोई बहुत बड़ी जगह की आवश्यकत नहीं होती है। बस देशी क्वार्टर को सील बन्द करने वाले मशीन होनी चाहिए। बाकी बारदाना तो बाजार में मिल ही जाता है। बस एक ऐसा जानकार आदमी चाहिए होता है जो सादे पानी में तेज नशे का लिक्विड मिलाते समय उसकी मात्रा को पहचान सके। नकली शराब बनाने के दौरान बस इसी आदमी की महत्ता अधिक होती है जो सादे पानी में उस तेज नशे के लिक्विड को मिलाने का ज्ञान रखता है। इसी शख्स को शराब माफिया अच्छा पारश्रमिक भी देते हैं।

अगर पानी में उस लिक्विड की मात्रा ज्यादा हो गयी तो फिर शराब जहरीली हो जाती है। नकली शराब में मिलाने वाला यह लिक्विड इतना तेज ऐल्कोहिल होता है कि एक गिलास पानी में एक बूंद इसकी काफी होती है। सूत्र ने बताया है कि सादे पानी की बाल्टी में खाने वाला रंग मिलाकर उसे रंगीन कलर दिया जाता है। फिर उस रंगीन पानी में पानी की मात्रा के हिसाब से वह तेज नशे वाला लिक्विड मिलाया जाता है। बस हो गयी बाल्टी में नकली शराब तैयार।

बस एक ही रात में इस देशी शराब को क्वार्टर में भरकर इसे सील बन्द कर दिया जाता है। क्वार्टर के ऊपर जिले के हिसाब से रैपर चिपका दिया जाता है। इस तरह से नकली देशी शराब के क्वार्टर हो जातें हैं तैयार। सूत्र बताते हैं कि एक रात में यह मशीन लगभग 100 देशी क्वार्टर तैयार कर देती है।

शराब की दुकान (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

सरकार की शराब की दुकानों के मालिक ये माफिया ही हैं

शराब के कारोबार से जुड़े हमारे सूत्रों ने बताया कि सूबे में ज्यादातर सरकारी व विदेशी शराब की दुकानों के मालिक नकली शराब के कारोबार से जुड़े माफिया ही होते हैं।हमारी इस जानकारी की सरकार अपनी गोपनीय जांच करवाकर इस सच की पुष्टि कर सकती है। प्रतापगढ़ के तत्कालीन एससपी आकाश तोमर ने जनपद में जिस सुधाकर सिंह नामक नकली शराब बनाने वाले माफिया के नेटवर्क को तहस नहस किया था, उस माफिया के अलग अलग नामों से छह देशी शराब की दुकाने थीं।

जब अभी बीते दिनों एसटीएफ की टीम ने इसे लखनऊ के महानगर इलाके से गिरफ्तार किया था, तो उसने पूछताछ में एसटीएफ को यही बताया था कि उसने अलग अलग नामों से शराब की दुकाने ले रखीं हैं, जिन पर वो अपने द्वारा निर्मित नकली शराब को बेचता है। बस इसी तरह सूबे में नकली शराब माफिया का सिंडिकेट, आबकारी विभाग को अपनी गिरफ्त में लेकर अपनी शराब की माफियागिरी को एक दिशा देने में लगा है।

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Shreya

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