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इस दिवाली अयोध्या में क्या खास करने जा रही योगी सरकार? यहां जानें

ये दीवाली, त्रेतायुग वाली। हर तरफ जगमगाते दीपक, कदम दर कदम पर मंदिरों की सजावट। ये नजारा भगवान श्रीराम की नगरी अयोध्या का है। इस बार अयोध्या 5.51 लाख दीयों से जगमगाएगी।

Aditya Mishra
Published on: 25 Oct 2019 6:59 PM IST
इस दिवाली अयोध्या में क्या खास करने जा रही योगी सरकार? यहां जानें
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धनंजय सिंह

लखनऊ: ये दीवाली, त्रेतायुग वाली। हर तरफ जगमगाते दीपक, कदम दर कदम पर मंदिरों की सजावट। ये नजारा भगवान श्रीराम की नगरी अयोध्या का है। इस बार अयोध्या 5.51 लाख दीयों से जगमगाएगी।

ये दीये कोई और नहीं, बल्कि जयसिंहपुर गांव के कुम्हार बना रहे हैं। ये वही गांव है, जहां तीन साल पहले चाक के पहिए थम गए थे, लेकिन योगी सरकार के दीपोत्सव जैसे भव्य कार्यक्रम ने इनके परंपरागत उद्योग को न केवल जिंदा किया, बल्कि इनके दीयों से अब पूरी रामनगरी रोशन होगी।

दीपोत्सव के आयोजन ने अयोध्यावासियों की जीवन में खुशियां भर दी है। आधुनिकता की चकाचौंध में मिट्टी के जो दीये बाजार से गायब हो रहे थे, उसे योगी सरकार के प्रयासों ने फिर से प्राणवायु प्रदान की है।

दीपोत्सव के भव्य कार्यक्रम को लेकर अयोध्या समेत आस-पास के जिलों के कुम्हारों को सरकार की तरफ से भारी मात्रा में दीयों का ऑर्डर मिला है।

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अयोध्या के जयसिंहपुर के कुम्हारों के खुशियां भी दोगुनी हो गई है। गांव के कुम्हार विनोद प्रजापति कहते हैं कि वे अपने घर में परिवार के साथ चार लाख दीयों को तैयार कर रहे हैं।

इसका आर्डर सरकार की तरफ से उन्हें मिला था। इन दीयों से अयोध्या के मंदिर और सरयू के घाट रोशन होंगे। इसी तरह गांव के हर कुम्हार को सरकार की तरफ से बड़ा आर्डर मिला है।

वहीं गांव के शमशेर प्रजापति कहते हैं कि योगी सरकार के आने के बाद से उनके परिवार में खुशहाली आ गई। अयोध्या में दीपोत्सव कार्यक्रम के आयोजन के कारण ही आज उनके दीयों की भारी मांग है। वहीं 2017 से पहले मिट्टी के दीयों के खरीददार बमुश्किल से मिल पाते थे।

कुम्हारों ने योगी सरकार के लिए कही ये बात

नई पीढ़ी के युवा कुम्हार रविन्द्र ने इलेक्ट्रिक चाक के लिए मुख्यमंत्री योगी का आभार प्रकट किया। रविंद्र ने कहा कि इस चाक की वजह से ही उनके काम में तेजी आ सकी है।

उन्होंने कहा कि बाजारों में अमूमन ये दीये 20 से 25 रुपए प्रति सैकड़ा बिकते हैं, लेकिन दीपोत्सव कार्यक्रम के लिए सरकार इनसे 85 रुपए सैकड़ा के हिसाब से खरीद रही है।

रविन्द्र ने कहा कि सरकार ने पॉलिथीन पर प्रतिबंध लगाकार हमारे परम्परागत कारोबार को बढ़ाने का कार्य किया है। इससे अब हमारे समाज की युवा पीढ़ी चाक पर उंगलिया फेरने में गुरेज नहीं कर रही है, क्योंकि अब उन्हें स्वरोजगार का अच्छा साधन उपलब्ध हुआ है, जिसमें कम लागत में ज्यादा फायदा है।

बता दें कि कुम्हारों को परिवारों की नई पीढ़ी ने अपने पुश्तैनी कारोबार से करीब-करीब तौबा करने का मन बन लिया था, पर दीपोत्सव जैसे सरकारी आयोजन ने उन्हें संजीवनी दी है।

कुम्हारों और उनके परंपरागत कुटीर उद्योग को प्रोत्साहित करने के लिए माटी कला बोर्ड का गठन भी सरकार ने इसी उद्देश्य किया है।

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Aditya Mishra

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