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सुशासन की ठोस नींव कानून के राज पर हीः योगी आदित्यनाथ

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सुशासन की ठोस नींव कानून के राज पर ही स्थापित होती है। जब अपराधी के मन में कानून का भय होगा तब अपराध स्वतः कम होगा। उन्होंने कहा कि प्रत्येक कानून अपने आप में परिपूर्ण है। आवश्यकता है कानून को प्रभावी ढंग से कार्यान्वित किये जाने की।

suman
Published on: 13 Dec 2019 4:42 PM GMT
सुशासन की ठोस नींव कानून के राज पर हीः योगी आदित्यनाथ
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लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सुशासन की ठोस नींव कानून के राज पर ही स्थापित होती है। जब अपराधी के मन में कानून का भय होगा तब अपराध स्वतः कम होगा। उन्होंने कहा कि प्रत्येक कानून अपने आप में परिपूर्ण है। आवश्यकता है कानून को प्रभावी ढंग से कार्यान्वित किये जाने की।

मुख्यमंत्री शुक्रवार को यहां साइबर क्राइम विवेचना और महिला एवं बालकों के विरुद्ध अपराध पर प्रदेश के अभियोजकों एवं विवेचकों की राज्य स्तरीय कार्यशाला के उद्घाटन कार्यक्रम को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि दोषियों को सजा दिलाने में विवेचकों और अभियोजकों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इस दृष्टि से यह कार्यशाला अत्यन्त महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि इस कार्यशाला के माध्यम से महिलाओं और बालकों के खिलाफ होने वाले अपराधों और साइबर क्राइम से जुड़े सभी मुद्दों पर व्यापक चर्चा कर कार्ययोजना बनायी जाए। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने पत्रिका 'अभियोजन दिग्दर्शिका' के प्रथम अंक का विमोचन किया।मुख्यमंत्री ने कहा कि जनपद स्तर पर कोऑर्डिनेशन के द्वारा मामलों का शीघ्र निस्तारण किया जाए। विभागों के आपसी समन्वय से ही अपराधियों को समय पर सजा दिलायी जा सकती है। जनपद न्यायाधीश के साथ जिलाधिकारी व पुलिस अधीक्षक को बैठक कर अपराध को कम करने की रणनीति बनानी चाहिए, जिससे अपराध कम हो व पीड़ित को समय से न्याय दिलाया जा सके।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि पॉक्सो एक्ट एवं बलात्कार से सम्बन्धित आपराधिक वादों के शीघ्र निस्तारण हेतु राज्य में 218 नियमित न्यायालयों के गठन का निर्णय लिया गया है। इनमें से 74 डेडिकेटेड कोर्ट पॉक्सो एक्ट के आपराधिक वादों हेतु तथा 144 नियमित कोर्ट प्राइमरी रेप केसेज़ के ट्रायल के साथ-साथ पॉक्सो एक्ट केसेज़ के ट्रायल के लिए गठित किये जाएंगे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी अभियुक्त की गिरफ्तारी मात्र से कानून-व्यवस्था सुदृढ़ नहीं हो सकती। इसके लिए आवश्यक है कि दोषी को विधि के अनुरूप कठोर दण्ड मिले। इस कार्य में विवेचक और अभियोजक के रूप में आप सभी को सुनिश्चित करना होगा कि अपराधों में लिप्त कोई व्यक्ति दण्डित हुए बिना छूटने न पाये। इसलिए आप सभी को कानून की बारीकियों से परिचित होकर अभियोगों की प्रभावी पैरवी करनी होगी। उन्होंने कहा कि किसी घटना पर विधि व्यवस्था के अनुरूप मिली त्वरित सजा समाज में एक बड़ा संदेश देती है। यह सजा आपराधिक प्रवृत्ति के तत्वों के लिए चेतावनी होती है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि साइबर क्राइम एक चुनौती है और प्रदेश सरकार इस चुनौती के लिए तैयार है। साइबर अपराध से निपटने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा प्रदेश में हर रेंज स्तर पर एक फॉरेन्सिक लैब तथा साइबर थाने की स्थापना की जा रही है। ऐसे अपराधों की विवेचना एवं अभियोजन के लिए अपने पुलिस तंत्र एवं अभियोजकों को साइबर अपराधों के क्षेत्र में दक्ष बनाया जाना अत्यन्त आवश्यक है। इसके दृष्टिगत प्रदेश की राजधानी लखनऊ में फॉरेन्सिक विश्वविद्यालय की स्थापना का निर्णय लिया गया है।

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इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी ने कहा कि मुख्यमंत्री के कुशल मार्गदर्शन में कानून व्यवस्था बेहतर हुई है। उन्होंने कहा कि ई-कोर्ट शुरू की गयी है, जिससे अपराधियों को सजा दिलाने में काफी मदद मिली है। पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री का मानना है कि किसी कार्य की सफलता में प्रशिक्षण, इण्टीग्रेशन और कोऑर्डिनेशन का विशेष महत्व है। अपर पुलिस महानिदेशक अभियोजन आशुतोष पाण्डेय ने कहा कि ई-प्रॉसीक्यूशन में डाटा फीडिंग के मामले में उत्तर प्रदेश देश में प्रथम स्थान पर है। इस फीडिंग का लाभ अभियोजन सम्बन्धी जानकारी प्राप्त करने में अत्यन्त महत्वपूर्ण है, इससे अभियोजन, पुलिस विभाग तथा जेल को समन्वित करते हुए इण्टर ऑपरेबल क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम (आईसीजेएस) के तहत अभियुक्तों के विरुद्ध प्रभावी कार्यवाही की जा सकेगी। इस अवसर पर अपर पुलिस महानिदेशक कानून व्यवस्था पीवी रामा शास्त्री, पुलिस सहित अभियोजन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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