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Keshav Maurya: कद घटने-बढ़ने की चर्चाओं के बीच केशव को मिली मिशन 2024 की अहम जिम्मेदारी

Keshav Maurya: सिराथू विधानसभा सीट से हारने के बावजूद केशव प्रसाद मौर्य फिर डिप्टी सीएम बन गए हैं, इसी के साथ उन्हें मिशन 2024 की अहम जिम्मेदारी मिल गई है।

Rakesh Mishra
Written By Rakesh MishraPublished By Shashi kant gautam
Published on: 29 March 2022 2:55 PM IST
Keshav Maurya: कद घटने-बढ़ने की चर्चाओं के बीच केशव को मिली मिशन 2024 की अहम जिम्मेदारी
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Keshav Prasad Maurya: विधान सभा 2022 के परिणामों (UP Election Results 2022) में सबसे अप्रत्याशित परिणाम कौशाम्बी की सिराथू सीट से आया था, जहाँ भाजपा (BJP) के कद्दावर नेता केशव प्रसाद मौर्य (Keshav Prasad Maurya) को हार का मुंह देखना पड़ा था। सिराथू सीट (Sirathu assembly seat) पर सपा गठबंधन (sp alliance) की पल्लवी पटेल (Pallavi Patel) ने केशव को हरा कर सबको चौका दिया था। केशव की हार और भाजपा की बड़ी जीत के साथ ही मौर्य के भविष्य को लेकर तमाम तरह की अटकलें लगनी शुरू हो गई थीं।

मीडिया के एक बड़े वर्ग में इस बात के भी सन्देश आने लगे कि केशव को केंद्र में बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है। बीते कार्यकाल में योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) से उनके नरम-गरम रिश्ते को देखते हुए यह भी कहा जाने लगा कि केशव हाशिये पर धकेल दिए जाएंगे। हालांकि एक धड़ा यह भी कह रहा था कि केशव पिछड़े वर्ग के एक बड़े नेता हैं और ऐसे में उन्हें किनारे करना पार्टी के लिए आसान नहीं होगा।

केशव फिर बने डिप्टी सीएम (Keshav again became Deputy CM)

मंत्रिमंडल के गठन के बाद भाजपा ने केशव को उप मुख्यमंत्री बना कर यह साफ़ सन्देश दे दिया कि केशव पार्टी के लिए बहुत अहमियत रखते हैं। सिराथू से हारने के बावजूद केशव प्रसाद मौर्य को उप मुख्यमंत्री बनाये रखना भाजपा की बड़ी मज़बूरी थी। केशव मौर्य-शाक्य-बिन्द जैसी जातियों के एक बड़े धड़े का नेतृत्व करते हैं जिनकी उत्तर प्रदेश में संख्या लगभग 7 प्रतिशत है। 2022 में भाजपा को कुर्मी मत 2017 के अनुपात में कम मिले थे।

ओबीसी वर्ग (OBC Category) में सूबे में यादवों के बाद कुर्मी समुदाय ही आता है। कुर्मियों के कम मत मिलने के कारण भाजपा केशव को किनारे कर एक और बड़े धड़े की नाराजगी मोल लेना नहीं चाहती थी। ऐसे में उन्हें डिप्टी सीएम बना कर उनके कद को बरकरार रखा गया।

क्या विभागों के बंटवारे में घट गया केशव का कद

सोमवार को हुए विभागों के बंटवारे में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य से महत्वपूर्ण लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) ले लिया। केशव को अब ग्रामीण विकास (Rural development) सहित छह अन्य विभागों के साथ ग्रामीण इंजीनियरिंग, मनोरंजन कर, खाद्य प्रसंस्करण, सार्वजनिक उद्यम और राष्ट्रीय एकीकरण की जिम्मेदारी दी गयी है।

मौर्य पिछले कार्यकाल में महत्वपूर्ण पीडब्ल्यूडी संभाल रहे थे, लेकिन अब उनकी जगह यह विभाग कांग्रेस से भाजपा में आये जितिन प्रसाद को दे दिया गया है। प्रसाद जून 2021 में बीजेपी में शामिल हुए थे और अभी वह एमएलसी हैं। जितिन को पिछले योगी कैबिनेट के अंतिम फेरबदल में तकनीकी शिक्षा मंत्री बनाया गया था। केशव से उनका महत्वपूर्ण विभाग लिया जाना यह सन्देश दे गया कि योगी सरकार 2 में अगर किसी की चलेगी तो वो केवल योगी ही होंगे।

बीजेपी: Photo - Social Media

गृह के बाद सबसे महत्वपूर्ण होता है PWD

यूपी की राजनीति में पीडब्लूडी मंत्रालय हमेशा से ही मलाईदार विभाग माना जाता है। यह कोई परंपरा तो नहीं है लेकिन हर सरकार में नंबर दो की हैसियत रखने वाले को ही इस विभाग की जिम्मेदारी दी जाती रही है। अगर बात करे हम 2007 में मायावती सरकार की तो उसमें इस विभाग की जिम्मेदारी तत्कालीन सरकार में नंबर दो की हैसियत रखने वाले नसीमुद्दीन के पास थी।

वहीं जब 2012 , में सपा सरकार बनी तो PWD की जिम्मेदारी उस सरकार में नंबर दो की हैसियत रखने वाले शिवपाल सिंह यादव को मिली। 2017 में योगी सरकार के गठन के बाद केशव को ना केवल डिप्टी सीएम बनाया गया बल्कि उनको लोक निर्माण विभाग की अहम् जिम्मेदारी भी दी गयी थी।

ग्रामीण क्षेत्र पर है मोदी का फोकस

ऐसा नहीं है कि केशव से PWD छीन लिया गया तो उन्हें बड़ी जिम्मेदारी नहीं मिली है। 2014 से पूर्व भाजपा को पूर्णतया एक शहरी पार्टी माना जाता था। नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के प्रधानमंत्री बनने के बाद इसमें बड़ा बदलाव आया। मोदी ने ग्रामीण क्षेत्रों को ध्यान में रख कर कई अहम योजनायें शुरू की। केशव जिस जाति से आते हैं उसका बड़ा कंसंट्रेशन ग्रामीण क्षेत्रों में ही है।

केशव अपने विभाग के माधयम से मोदी और योगी की ग्रामीण क्षेत्रों की योजनाओं को अमली जामा पहनाने की पूरी कोशिश करेंगे। 2024 के चुनाव से पहले केशव का यह विभाग और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। मिशन 2024 (Mission 2024) के लिए केशव इस विभाग के माध्यम से कुछ बड़ी योजनाओं को सही तरह से इम्प्लीमेंट करने का मौका मिल सकता है।

पीएम नरेंद्र मोदी- केशव प्रसाद मौर्य: Photo - Social Media

कभी केशव ने भी मोदी की तरह बेची थी चाय

बता दें कि केशव मौर्य ने राजनीति में आने से पहले चाय की दुकान भी चलाई है और घर-घर जाकर समाचार पत्र भी बेचे हैं। केशव राम मंदिर आंदोलन में विश्व हिंदू परिषद के अशोक सिंहल के मार्गदर्शन में राजनीति में सक्रिय हुए और अपनी एक अलग पहचान बनाई। विहिप और बजरंग दल में 18 वर्षों तक प्रचारक भी रहे। 2012 में सिराथू विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीते मौर्य 2002 और 2007 में इलाहाबाद पश्चिमी विधानसभा सीट से चुनाव में मैदान में उतरे, लेकिन उन्हें शिकस्त का सामना करना पड़ा।

भाजपा ने 2012 में मौर्य को सिराथू विधानसभा क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया और वह चुनाव जीत गये। राम जन्मभूमि और गोरक्षा आदि आंदोलनों के दौरान मौर्य जेल भी गये थे। 2014 के लोकसभा चुनाव में मौर्य को पार्टी ने फूलपुर से उम्मीदवार बनाया और वह रिकार्ड मतों से चुनाव जीत गये। इसके बाद, उन्हें 2016 में उत्तर प्रदेश भाजपा का अध्यक्ष बनाया गया।

प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने रिकॉर्ड बनाते हुए प्रदेश की 403 विधानसभा सीटों में से 312 पर जीत दर्ज की। भाजपा (BJP) के सहयोगी दलों ने 13 सीटें जीती थी। मौर्य को पिछली सरकार में उप मुख्यमंत्री बनाया गया था और उन्हें लोक निर्माण विभाग की जिम्मेदारी दी गयी थी।

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