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यूपी में बड़ी तैयारी: ज्यादा मांग वाले इन उत्पादों पर नजर, शुरु होगा ये काम
साल 2019-20 में प्रदेश के 1.20 लाख करोड़ रूपये मूल्य के किये गये उत्पादों के निर्यात में 18 प्रकार की वस्तुओं की निर्यात में 80 प्रतिशत हिस्सेदारी रही है।
श्रीधर अग्निहोत्री
लखनऊः वर्ष 2019-20 में प्रदेश के 1.20 लाख करोड़ रूपये मूल्य के किये गये उत्पादों के निर्यात में 18 प्रकार की वस्तुओं की निर्यात में 80 प्रतिशत हिस्सेदारी रही है। इसी प्रकार चीन के जिन उत्पादों का वैश्विक बाजार में 30 प्रतिशत भागेदारी के साथ मांग अधिक है, कोविड-19 महामारी के कारण उपजी परिस्थितियों का फायदा उठाकर निर्यात एवं निवेश को बढ़ाने के लिए इन उत्पादों का उत्पादन बढ़ाकर प्रदेश के निर्यात को आगामी तीन वर्षो में तीन लाख करोड़ रूपये तक बढ़ाया जा सकता है। विदेशों में ज्यादा मांग वाले प्रदेश के 12 उत्पादों के उत्पादन में ज्यादा ध्यान केन्द्रित किया जायेगा।
विदेशों में ज्यादा मांग वाले ये 12 उत्पाद
प्रदेश के सूक्ष्म, लद्यु एवं उद्यम, निर्यात एवं निवेश प्रोत्साहन मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण उत्पन्न परिस्थितियों से विश्व व्यापार में चीन के प्रति नाराजगी का फायदा प्रदेश को मिले, इसके लिए चीन से बाहर जाने जाने वाली कंपनियों को प्रदेश में स्थापित करने के लिए निवेश एवं निर्यात प्रोत्साहन नीति को इसके अनुकूल बनाया जायेगा।
उन्होंने कहा कि मांग के अनुरूप उत्पादन बढ़ाकर विश्व व्यापार में आगामी तीन वर्षों में प्रदेश का निर्यात 1.20 लाख करोड़ से बढ़ाकर 3.00 लाख करोड़ रूपये तक किया जायेगा।
योगी सरकार इन उत्पादों के उत्पादन में ज्यादा देगी ध्यान
निर्यात एवं निवेश प्रोत्साहन मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह प्रदेश के निर्यात को बढ़ाने के लिए कार्ययोजना के प्रस्तुतीकरण के दौरान वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से पी.डब्ल्यू.सी. के साथ खादी भवन में चर्चा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री प्रत्येक जिले को निर्यात हब के रूप में विकसित कराना चाहते हैं। प्रदेश के 6 जनपदों (वाराणसी, मुरादाबाद, आगरा, फिरोजाबाद, गोरखपुर व अलीगढ़) में निर्यात विकास केन्द्र (ई.डी.सी.) स्थापित किये जायेंगे तथा एक जनपद एक उत्पाद को प्रोत्साहित करने के लिए कार्ययोजना बनायी जायेगी।
लागत को कम रखने के लिए ये तैयारी
प्रदेश के उत्पादन लागत को कम रखने के लिए आन्ध्रप्रदेश, तमिलनाडु, गुजरात जैसे राज्यों के उत्पादन की प्रतियूनिट कीमत का अध्ययन किया जायेगा। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश लैण्डलॅाक प्रदेश होने से यहां बन्दरगाह नहीं है। विदेशों में माल की आपूर्ति के लिए हवाई यातायात को बढ़ाया जायेगा। इसके लिए जेवर, वाराणसी, लखनऊ एवं कुशीनगर एयरपोर्ट को माल ढुलाई के लिए विकसित किया जायेगा। उन्होंने कहा कि वैश्विक व्यापार की मांग के अनुसार ही प्रदेश में वस्तुओं के उत्पादन को प्राथमिकता दी जायेगी।
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अपर मुख्य सचिव सू़क्ष्म, लद्यु एवं मध्यम उद्यम, डा नवनीत सहगल ने इस दौरान कहा कि ईज-आॅफ डूइंग बिजनेस तथा आत्मनिर्भर भारत के तहत प्रदेश में निर्यात एवं निवेश को बढ़ाने के लिए नीति को समयानुकूल बनाया जायेगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश के उद्योग को इलेक्ट्रानिक हब के साथ अन्य उत्पादों के हब के रूप में विकसित किया जायेगा। विदेशों में ज्यादा मांग वाले प्रदेश के 12 उत्पादों के उत्पादन में ज्यादा ध्यान केन्द्रित किया जायेगा। इसमें इलेक्ट्रानिक मशीनरी, खनिज उत्पाद, व्हीकल पार्ट, फार्मा एवं प्लास्टिक उत्पाद,मोती एवं बहुमूल्य पत्थर, मेडिकल उत्पाद, लोहा-स्टील के उत्पाद आर्गैनिक केमिकल, मशीनरी आदि है।
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