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यूपी में छिड़ी जंग: योगी सरकार जाएगी सुप्रीम कोर्ट, लॉकडाउन पर रखेगी अपना पक्ष
यूपी में हालात ये हो गए हैं कि संक्रमितों को मेडिकल सेवाएं तक नहीं मिल पा रही हैं। ऐसे में लॉकडाउन न लगाने के इस आदेश के तहत योगी सरकार सुप्रीम कोर्ट जाएगी।
लखनऊ: यूपी में कोरोना संक्रमण से मामले लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं। हालात ये तक हो गए हैं कि संक्रमितों को मेडिकल सेवाएं तक नहीं मिल पा रही हैं। ऐसे में इस बीच प्रदेश की योगी सरकार ने साफ कर दिया है कि राज्य में संपूर्ण लॉकडाउन नहीं लगाया जाएगा। जिसके चलते योगी सरकार इस आदेश के खिलाफ आज यानी 20 अप्रैल को सुबह सुप्रीम कोर्ट जाएगी। सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के लॉकडाउऩ के इस आदेश के खिलाफ योगी सरकार अपना पक्ष दायर करेगी।
लगातार बढ़ते मामलों के चलते प्रदेश की योगी सरकार की ओर से कहा गया है कि प्रदेश में कोरोना के मामले बढ़े हैं और सख्ती कोरोना के नियंत्रण के लिए आवश्यक है। सरकार ने कई कदम उठाए हैं और आगे भी सख्त कदम उठाए जा रहे हैं। जीवन बचाने के साथ गरीबों की आजीविका भी बचानी है। तो ऐसे में शहरों में संपूर्ण लॉकडाउन अभी नहीं लगेगा। लोग स्वतः स्फूर्ति भाव से कई जगह बंदी कर रहे हैं। बता दें, ये जानकारी एससीएस सूचना, नवनीत सहगल की ओर से दी गई।
नहीं हुआ समुचित विकास
दरअसल उत्तर प्रदेश में कोरोना महामारी के बढ़ते कहर को देखते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी के पांच शहरों में लॉकडाउन लगाने का आदेश दिया था। जिसमें हाईकोर्ट ने वाराणसी, कानपुर नगर, गोरखपुर, लखनऊ और प्रयागराज में 26 अप्रैल तक लॉकडाउन लगाने का आदेश जारी किया था।
साथ ही इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुनावई के दौरान कहा कि किसी भी सभ्य समाज में अगर जन स्वास्थ्य प्रणाली चुनौतियों का सामना नहीं कर पाती और दवा के अभाव में लोग मरते हैं तो इसका मतलब है कि समुचित विकास नहीं हुआ है।
स्वास्थ्य समस्याओं के लिए दोषी
आगे कहते हुए स्वास्थ्य और शिक्षा एक साथ चलते हैं, शासन के मामलों के शीर्ष में रहने वाले लोगों को वर्तमान अराजक स्वास्थ्य समस्याओं के लिए दोषी ठहराया जा सकता है। ऐसे समय जबकि लोकतंत्र मौजूद है जिसका अर्थ है लोगों की सरकार, लोगों द्वारा और लोगों के लिए।
जबकि हाईकोर्ट की ओर से जारी आदेश के अनुसार, प्रयागराज, लखनऊ, वाराणसी, कानपुर नगर और गोरखपुर में आर्थिक संस्थानों, मेडिकल और हेल्थ सर्विस, इंडस्ट्रियल और वैज्ञानिक संस्थानों और जरूरी सेवाओं वाले संस्थानों को छोड़कर सभी चीजें बंद रखने के लिए कहा गया था।
इससे साथ ही इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कोरोना से बचाव को लेकर प्रदेश की योगी सरकार की कार्यशैली पर कई गंभीर टिप्पणियां की हैं। ऐसे में न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा और न्यायमूर्ति अजित कुमार की पीठ ने कहा, 'इस तरह की स्थिति में कोरोना कर्फ्यू के नाम पर नाइट कर्फ्यू कुछ और नहीं, बल्कि आंख में धूल झोंकने वाला है। इसके जरिए संभवतः यह दिखाने का प्रयास किया गया कि हमारे पिछले आदेश का ख्याल रखा गया है। हम देख रहे हैं कि ज्यादातर लोग मास्क नहीं लगा रहे।'