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योगी सरकार सोशल मुद्दों पर करा रही Competition, आप भी हो सकते हैं शामिल
योगी सरकार सोशल मुद्दों पर प्रतियोगिता(Competition) करा रही है। आईआईटी कानपुर इस प्रतियोगिता का नालेज पार्टनर है। यदि आपकी उम्र 15 से 35 वर्ष के बी
लखनऊ योगी सरकार सोशल मुद्दों पर प्रतियोगिता(Competition) करा रही है। आईआईटी कानपुर इस प्रतियोगिता का नालेज पार्टनर है। यदि आपकी उम्र 15 से 35 वर्ष के बीच है और आप यूपी के किसी कालेज में अध्ययनरत हैं तो इस Competition में हिस्सा ले सकते हैं। बस आपको राज्य का मूल निवासी होना भी जरूरी है। अब यदि आपके अंदर इस प्रतियोगिता के बारे में जानने या इसमें हिस्सा लेने की उत्सुकता जगे तो आप www.yuvasangam.in (युवा संगम वेबसाइट) पर जाकर आवेदन कर सकते हैं। सीएम योगी ने शास्त्री भवन में शुक्रवार को इसी वेबसाइट को लांच किया।
प्रतियोगिता का मुख्य मकसद
यूथ की प्रदेश के 11 अहम सोशल मुद्दों के हल के लिए सकारात्मक राय उभरकर सामने आएगी।
इसका प्रयोग उन सोशल मुद्दों के समाधान में भी किया जा सकता है।
जिसके लिए सरकार वर्षों से प्रयासरत है।
भारत के युवा कुल जनसंख्या का 35 प्रतिशत हिस्सा हैं।
इसके जरिए यूथ की सकारात्मक ऊर्जा का उपयोग हो सकेगा।
यूथ और यूपी सरकार के बीच संवाद का एक साझा मंच।
29 दिसम्बर से 24 जनवरी तक चलेगी प्रतियोगिता
यह प्रतियोगिता तीन चरणों में आयोजित की जा रही है।
आॅनलाइन प्रतियोगिता, क्षेत्रीय सम्मेलन और समापन महासम्मेलन।
आॅनलाइन प्रतियोगिता के तहत सभी टीम आॅनलाइन प्रेजेन्टेशन देंगी।
इसमें वह 11 में से किसी एक विषय के बारे में अपने समाधान प्रस्तुत कर सकती हैं।
क्षेत्रीय सम्मेलन के अन्तर्गत आॅनलाइन प्रतियोगिता में से टीमें चयनित होंगी।
यह टीमें क्षेत्रीय सम्मेलन में अपने समाधान प्रस्तुत करेंगी।
क्षेत्रीय सम्मेलन में वरिष्ठ अधिकारी और विषय से सम्बन्धित विशेषज्ञ भी हिस्सा लेंगे।
इसके लिए यूपी को कुल 6 क्षेत्रों में विभाजित किया गया है।
क्षेत्रीय सम्मेलन नोएडा, आगरा, कानपुर, लखनऊ, वाराणसी और गोरखपुर में होंगे।
समापन महासम्मेलन में क्षेत्रीय सम्मेलन में चुनी गईं सर्वश्रेष्ठ टीमें प्रतिभाग करेंगी।
यह टीमें प्रतियोगिता के फाइनल में प्रदेश के नेतृत्व के समक्ष अपने समाधान पेश करेंगी।
इसका समापन महासम्मेलन ‘यूपी दिवस’ के अवसर पर लखनऊ में होगा।
यह प्रतियोगिता 29 दिसम्बर, 2017 से 24 जनवरी, 2018 तक चलेगा।
वह 11 सोशल मुद्दे जिनके समाधान खोज रही सरकार, इन पर पेश करना होगा समाधान
उत्तम शिक्षा
सन 2011 की जनगणना के अनुसार यूपी की साक्षरता दर 67.68 फीसदी है। सरकारी दावा है कि प्राथमिक विद्यालयों में छात्रों की नामांकन दर 94 फीसदी है। पर 11.85% की ड्रॉप-आउट दर है। शिक्षा पर खर्च बढ़ता जा रहा है पर उस अनुपात में शिक्षा की क्वालिटी बढ नहीं पा रही है। अभी भी कई स्कूल आरटीई के अनुरूप नहीं है। प्राथमिक शिक्षा प्रणाली में बदलाव कैसे लाया जा सकता है? छात्रों को सीखने के स्तर को बढाने में तकनीकी कैसे बदलाव ला सकती है। प्राथमिक शिक्षा के माध्यम से बच्चों का विकास कैसे किया जा सकता है? अभी भी इन सवालों के सटीक समाधान की जरूरत है।
स्वच्छ उत्तर प्रदेश
सरकार लोगों को खुले में शौच से मुक्ति करने के लिए लगातार प्रयासरत है। विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में खुले में शौच से संक्रामक बीमारियां फैल रही हैं। महिलाओं की सुरक्षा भी खतरे में रहती है। 2015 में स्वच्छता स्थिति की रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 52.1% ग्रामीण आबादी अब भी खुली में शौच कर रही है। हालांकि योगी सरकार ने दिसम्बर 2018 तक प्रदेश को ओडीएफ करने का संकल्प लिया है। पर सवाल उठता है कि लोगों की आदतें कैसी सुधारी जाएं ताकि लोग अपने आस पास स्वच्छता को लेकर सजग रहें।
कृषि कल्याण
प्रदेश की 78% जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है, वह अभी भी कृषि पर निर्भर है। उनकी आय सामान्य नौकरियों के बराबर होनी चाहिए तभी वह खुशहाल रह सकते हैं। इसीलिए सरकार ने 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने का फैसला लिया है। इस राह में चुनौतियां भी बहुत हैं। आखिकार सन 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने के लिए सरकार को क्या ठोस कदम उठाने चाहिए? जरूरी नीतिगत परिवर्तन क्या करना चाहिए? अन्य गतिविधियों में हिस्सा लेने के लिए किसानों को कैसे प्रोत्साहित किया जा सकता है ताकि उनकी आय बढे। यह सवाल अब भी अपना जवाब खोज रहे हैं।
डिजिटल उत्तर प्रदेश
तकनीकी के प्रयोग से विकास में तेजी लाई जा सकती है। पर अब भी प्रति 100 लोगों पर 17.97 व्यक्ति इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं। इंटरनेट और मोबाइल एसोसिएशन के अनुसार देश भर में कुल 31 फीसदी इंटरनेट के यूजर हैं। मतलब साफ है कि प्रदेश डिजिटलीकरण को अपनाने में पिछड़ गया है जबकि मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने वाले प्रदेश में सबसे ज्यादा हैं। तकनीकी के प्रयोग से भ्रष्टाचार कम किया जा सकता है। पर सवाल उठता है कि ग्रामीण इलाकों में इंटरनेट का उपयोग कैसे बढ़ाया जा सकता है। इस राम में क्या अड़चने हैं? नेट के प्रयोग से योजनाओं को बेहतर तरीके से कैसे संचालित किया जा सकता है?
पारदर्शी प्रदेश
ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक सार्वजनिक सेवाओं तक पहुंचने वाले 10 भारतीयों में करीब 7 लोग रिश्वत का भुगतान करते हैं। भ्रष्टाचार की वजह से गरीब सार्वजनिक सेवाओं तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। प्रदेश में सीएमएस इंडिया द्वारा 2017 में किए गए सर्वेक्षण के अनुसार केवल 18% लोगों ने भ्रष्टाचार का खुलासा करने के सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के बारे में सुना था। पर आखिरकार निम्नतम स्तर तक पारदर्शिता और उत्तरदायित्व कैसे सुनिश्चित किया जा सकता है? नागरिक भ्रष्टाचार को रोकने में क्या भूमिका निभा सकते हैं?
स्वस्थ घर परिवार
ग्रामीण स्वास्थ्य सांख्यिकी रिपोर्ट 2016 के अनुसार प्रदेश में 1346 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की कमी है। मातृ मृत्यु दर और उच्चतम बाल मृत्यु दर के आंकड़ों के बारे में यूपी का अपरिहार्य रिकॉर्ड है। प्रदेश में प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं के सुधार की आवश्यक्ता है। पर सवाल उठता है कि राज्य में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के साथ वर्तमान मुद्दे क्या हैं? प्रत्येक नागरिक को गुणवत्ता और सस्ती प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा की पहुंच कैसे सुनिश्चित की जा सकती है? अस्पतालों में बेहतर डॉक्टरों और दवाओं की उपलब्धता के लिए क्या कदम उठाए जाने चाहिए? सार्वजनिक स्वास्थ्य और शिक्षा को बनाए रखने के लिए प्रौद्योगिकी को कैसे उपयोग किया जा सकता है?
सुरक्षित प्रदेश
सन 2015 में यूपी में 40,613 मामले दर्ज हुए जो राष्ट्रीय स्तर पर सभी हिंसक अपराधों के 12.1% से अधिक थे। महिला अपराधों में भी बढोत्तरी हुई है। इससे लोगों का पुलिस बल पर विश्वास में भी कमी आई। यह प्रदेश में उदयमों को भी प्रभावित कर रहा है। यह सवाल जो बार—बार उठते हैं कि आखिरकार राज्य में पुलिस बल में कैसे सुधार लाया जा सकता है? पुलिस व्यवस्था पूरी तरह से नागरिक के अनुकूल कैसे बन सकती है? अपराध से निपटने के लिए पुलिस और समुदाय के बीच समन्वय में सुधार के तरीके क्या हैं? इसमें टेक्नोलाजी का उपयोग कैसे बेहतर परिणाम दे सकता है?
अंत्योदय से सर्वोदय
समाज के वंचित वर्ग के आर्थिक विकास के लिए समावेशी नीतियों को स्वीकार करना आवश्यक है। यह यूपी के मामले में विशेष रूप से प्रासंगिक है जहां लगभग 24% आबादी अनुसूचित जाति से है, इनमें से 44% से अधिक गरीबी रेखा के नीचे है। इनके विकास के लिए टिकाउ रोजगार के अवसर और उनकी सार्वजनिक योजनाओं तक आसान पहुंच जरूरी है। पर सवाल उठता है कि इन्हें योजनाओं का बेहतर तरीके से लाभ मिले, इसके लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं? सरकारी सेवाओं तक पहुंचने में इनकी अड़चने कैसे दूर हो सकती हैं?
जन भागीदारी
किसी भी योजना या नीति बनाने में जितनी ज्यादा जन भागीदारी होगी। उतनी ही पालिसी की सफलता की संभावना बढेगी। इनके संचालन में जनता का इनपुट अहम भूमिका निभा सकता है। पर जनता और सरकार के बीच विचार साझा करने के लिए सूचना, संचार और प्रौदयोगिकी का कैसे उपयोग किया जा सकता है? निर्णय लेने की प्रक्रिया में जनता को कैसे शामिल किया जा सकता है? विकास योजना में जनभागीदारी कैसे बढ़ाई जा सकती है? जनता को प्रशासन में बदलाव की त्वरित जानकारी कैसे संभव है? इन प्रश्नों का समााधन जरूरी है।
कौशल युवा
अगस्त 2017 के आंकड़ों के मुताबिक राष्ट्रीय बेरोजगारी की दर 4.4% है, जबकि प्रदेश में 6.6% जनसंख्या वर्तमान में बेरोजगार है, अक्सर पीएचडी डिग्री धारक चतुर्थ श्रेणी की नौकरियों के लिए आवेदन करते देखे गए हैं। साफ है कि प्रदेश में अवसरों की कमी के साथ व्यावसायिक प्रशिक्षण की कमी है। फिर आखिरकार माध्यमिक या टेरिटेरी शिक्षा के बाद रोजगार उपलब्ध कराने के लिए क्या किया जा सकता है? यूथ को व्यावसायिक प्रशिक्षण के लिए कैसे प्रमोट किया जा सकता है? सरकारी स्तर पर क्या प्रयास किए जा सकते हैं? कौशल विकास योजनाओं में महिलाओं की भागीदारी कैसे बढ़ाई जा सकती है?
अपना घर
यूपी में गरीबों के लिए आवास की आवश्यकता है। सरकार ने 2022 तक "सभी के लिए आवास" की दिशा में काम करने का निर्णय लिया है। इसे पूरा करन की राह में चुनौतियां भी हैं। जैसे—शहरों में भूमि की कमी से कैसे निपटा जाए? आवास योजनाओं में निजी डेवलपर्स को प्रतिभाग करने के लिए कैसे उत्साहित किय जाए? भूमि रिकॉर्ड डेटा को और अधिक विश्वसनीय बनाने के लिए प्रौद्योगिकी को कैसे लाभ उठाया जा सकता है?
यूपी दिवस के मौके पर महासम्मेलन
प्रस्तुति—उप्र सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग
नालेज पार्टनर—आईआईटी कानपुर
29 दिसम्बर से रजिस्ट्रेशन ओपेन
12 जनवरी 2018 आवेदन करने की अंतिम तिथि
15 जनवरी रिजल्ट की घोषणा होगी
17 से 22 जनवरी तक क्षेत्रीय सम्मेलन
24 जनवरी यूपी दिवस के मौके पर महासम्मेलन
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