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योगी सरकार के प्रयासों से यूपी में बढ़ा हरियाली का दायरा, वनावरण में 127 वर्ग किलोमीटर का हुआ इजाफा  

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रयासों से उत्तर प्रदेश में हरियाली का दायरा (ग्रीन कवर ) बढ़ा है। बीते चार वर्षों से प्रदेश सरकार द्वारा लगातार कराए गये रिकॉर्ड पौधरोपण से सूबे के वनावरण और वृक्षावरण दोनों में वृद्धि हुई है। फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट 2019 के अनुसार उत्तर प्रदेश में 2017 की तुलना में वनावरण में 127 किलोमीटर की वृद्धि हुई है।

Rajendra Kumar
Written By Rajendra KumarPublished By Deepak Raj
Published on: 4 July 2021 1:12 PM GMT (Updated on: 4 July 2021 3:46 PM GMT)
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लखनऊ न्यूज। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रयासों से उत्तर प्रदेश में हरियाली का दायरा (ग्रीन कवर ) बढ़ा है। बीते चार वर्षों से प्रदेश सरकार द्वारा लगातार कराए गये रिकॉर्ड पौधरोपण से सूबे के वनावरण और वृक्षावरण दोनों में वृद्धि हुई है। फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट 2019 के अनुसार उत्तर प्रदेश में 2017 की तुलना में वनावरण में 127 किलोमीटर की वृद्धि हुई है। जंगल के अलावा भी कई वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में पेड़-पौधों की बढ़ोतरी हुई है। रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर प्रदेश का वृक्षावरण राष्ट्रीय औसत 2.89 फीसद की तुलना में 3.05 फीसद हो गया है।

राज्य में हरियाली के बढ़े दायरे का श्रेय सूबे के वनाधिकारी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल को दे रहे हैं। अधिकारियों के अनुसार राज्य में हरियाली के दायरे को बढ़ाने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर ही हर वर्ष पौधरोपण के लक्ष्य को बढ़ाया गया। इसके चलते ही वर्ष 2017 से लेकर वर्ष 2020 तक विभिन्न प्रजातियों के 65.94 करोड़ पौधे लगाए गए। और अब 30 करोड़ पौधे लगाए जा रहे हैं।

पौधों की देखभाल और सुरक्षा की व्यवस्था भी सरकार ने सुनिश्चित की

पर्यावरण दिवस और ऐसे ही अन्य अवसरों पर लगने वाले पौधों की संख्या इसके अतरिक्त है। इस तरह इस साल मिशन 30 करोड़ के इन पौधों की संख्या को जोड़ दें तो यह संख्या सौ करोड़ के करीब होगी। राज्य में लगाए गए पौधों की देखभाल और सुरक्षा की व्यवस्था भी सरकार ने सुनिश्चित की। ऐसे प्रयासों के चलते ही सूबे में हरियाली का दायरा बढ़ा है, पर्यावरण विशेषज्ञों का यह मानना है।

FIle photo of Yogi Adityanath

पर्यावरण विशेषज्ञ संजय कुमार के अनुसार, अब उत्तर प्रदेश में कुल वनावरण 14,806 वर्ग किमी. (6.15 प्रतिशत) हो गया है। बीते चार सालों से प्रदेशभर में कराए जा रहे पौधारोपण के चलते वन क्षेत्रों में 25 प्रतिशत हरियाली बढ़ी है। यही नहीं, पर्यावरण के साथ भूमि संरक्षण, जलस्तर व मृदा आदि में भी काफी सुधार हुआ है। पिछले चार सालों के अंदर प्रदेशभर में विभिन्न प्रजातियों के जो करोड़ों पौधे लगाए गए हैं, उसके चलते प्रदेश में हरियाली का क्षेत्र बढ़ा है। तराई वाले क्षेत्रों के अलावा लखनऊ, चित्रकूट, मीरजापुर, सोनभद्र समेत अन्य क्षेत्र में हरियाली बढ़ी है।

ऐसे ही पौधारोपण का कार्यक्रम चलता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब प्रदेश में हरियाली ही हरियाली दिखेगी। पर्यावरण विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि प्रदेशभर में पौधारोपण से वन क्षेत्रों में जंगली पशु पक्षी की संख्या बढ़ी है। जंगलों के वीरान होने के चलते तेजी से गायब हो रहे पशु-पक्षी हरियाली लौटने पर दोबारा लौटने लगे हैं। इसमें भालू, मोर, लकड़हारा समेत अन्य पशु पक्षी शामिल हैं। पौधारोपण से भू-संरक्षण भी हुआ है। पर्यावरण में सुधार होने से हुई अच्छी बारिश के चलते जलस्तर में बढ़ोत्तरी में हुई है। मृदा में सुधार आया है। सबसे बड़ी बात ये है कि वे पौधारोपण के प्रति लोगों की जागरूकता बढ़ी है।

पौधों की सुरक्षा पर होगा पूरा जोर

इस बार पौधरोपण अभियान को सौ फीसद सफल बनाने के साथ ही पौधों की सुरक्षा पर भी जोर दिया जा रहा है। वन विभाग इसकी नोडल एजेंसी है। 26 अन्य विभाग इसमें सहयोग कर रहे हैं। इन विभागों को कुल 19.20 करोड़ पौध रोपड़ का लक्ष्य दिया गया है। बाकी 10.80 करोड़ पौधे वन विभाग लगाएगा। कृषि जलवायु क्षेत्र के अनुसार हर जिले में लोगों की मांग के अनुसार समय से पौधे उपलब्ध हों, इसके लिए वन विभाग की 1813 पौधशालाओं में 42.17 करोड़ पौध तैयार किए जा चुके हैं। इसके अलावा रेशम और उद्यान विभाग भी अपनी नर्सरियों में पौध तैयार किए हैं।

सरकारी विभागों, विभिन्न अदालतों के परिसर, किसानों, संस्थाओं, व्यक्तियों, निजी और सरकारी स्कूलों, केंद्र सरकार के उपक्रमों, स्थानीय निकायों, रेलवे, रक्षा, औद्योगिक इकाइयों, सहकारी समितियों को पहले की तरह वन विभाग निःशुल्क पौधे उपलब्ध कराएगा। पारदर्शिता के लिए जो विभाग पौधे लगाएगा वह उस जगह की जिओ टैंगिग भी कराएगा। ताकि उनकी सुरक्षा के इंतजाम में कोई चूक ना होने पाए। 10 फुट से लेकर 15 फुट तक के अच्छी गुणवत्ता के पौधों का भी रोपण किया जा रहा है। उनके जीवित रहने की संभावना ज्यादा रहती है।

पौधों को ग्रिड बनाकर लगाया गया है। बोरिंग, नहरों तथा अन्य साधनों से उनकी सिंचाई की व्यवस्था की गई है। पौधरोपण कार्यक्रम के तहत पारिजात, शीशम, नीम, अमलतास, गुलमोहर, जैकरेंडा, सिरस, कंजी, आम, छितवन, बरगद, पीपल, पाकड़, मौलश्री, कचनार, इमली, बेल, महुआ के पौधों को लगाया गया है। इसके साथ ही आंवला, हरड़, ढाक, कदम्ब, बरगद, गूलर, जामुन, इमली, बेल, नीम, अर्जुन,कैथा, मौलश्री, सहजन और बहेड़ा, अश्वगंधा, सतावर, सर्पगंधा, पीपली, दुद्धि, गिलोय, तुलसी,ग्वारपाठा, सफेद मूसली और बालमखीरा आदि को वाटिका में लगाया गया है।

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वर्ष 2017 से अब तक हुआ पौधा रोपण : -

वर्ष साल : हुआ पौधा रोपण

2017-18 : 5.71 करोड़

2018- 19 : 11.77 करोड़

2019-20 : 22.59 करोड़

2020-21 : 25.87 करोड़

2021-22 : 30.00 करोड़ (प्रस्तावित)

Deepak Raj

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