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लौटेगा गौरवः अब सुल्तानपुर का नाम बदलकर कुशभवनपुर करने की तैयारी
नगर पालिका बोर्ड की बैठक में सुल्तानपुर का नाम कुशभवनपुर करने की सहमति मिल गई थी।
रामकृष्ण वाजपेयी
लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से लगे जनपद सुल्तानपुर का अतीत अत्यंत गौरवशाली और महिमामयी रहा है। पुरातात्विक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, भौगोलिक तथा औद्योगिक दृष्टि से सुल्तानपुर का अपना विशिष्ट स्थान है। महर्षि वाल्मीकि, दुर्वासा, वशिष्ठ आदि ऋषि मुनियों की तपोस्थली होने का गौरव इसी जिले को प्राप्त है। परिवर्तन के शाश्वत नियम के अनेक झंझावातों के बावजूद इसका अस्तित्व अक्षुण्ण रहा है। अयोध्या और प्रयागराज के बाद अब इस जिले का नाम बदलकर कुशभवनपुर करने की एक बार फिर चर्चा जोरों पर है। कहते हैं इस नगर को भगवान राम के पुत्र कुश ने बसाया था।
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इस जिले का नाम बदलने का प्रयास काफी समय से किया जा रहा है। 2018 में लंभुआ से भाजपा विधायक देवमणि द्विवेदी ने सुल्तानपुर का नया नाम कुशभवनपुर करने का प्रस्ताव विधानसभा में पेश किया था। इससे पहले नगर पालिका बोर्ड की बैठक में भी सुल्तानपुर का नाम कुशभवनपुर करने की सहमति मिल गई थी। इसके अलावा सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व प्रदेश सरकार में मंत्री ओम प्रकाश राजभर की बहराइच का नाम बदलकर महाराजा सुहेलदेव के नाम पर करने की मांग है। क्षेत्र के भाजपा विधायक लोकेंद्र प्रताप सिंह ने मोहम्मदी तहसील का नाम बदलने की मांग कर रखी है। इसके अलावा फैजाबाद, इलाहाबाद के बाद अकबरपुर, सिकन्दरा और रसूलाबाद के भी नाम बदलने की भी मांग होती रही है।
राम नाईक ने सीएम योगी को सुल्तानपुर जिले का नाम बदलने के लिए चिट्ठी लिखी
इसके बाद 2019 में तत्कालीन उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सुल्तानपुर जिले का नाम बदलने के लिए चिट्ठी लिखी थी राज्यपाल ने सुल्तानपुर जिले का नाम बदलकर कुशभवनपुर करने की सिफारिश की थी। इस चिट्ठी में उन्होंने राजपूताना शौर्य फाउंडेशन की मांग का जिक्र करते हुए लिखा था कि 'राजपूताना शौर्य फाउंडेशन के प्रतिनिधि मंडल द्वारा मुझसे मुलाकात कर एक किताब 'सुल्तानपुर इतिहास की झलक' के साथ एक ज्ञापन सौंपा गया, जिसमें उन्होंने सुल्तानपुर को हेरिटेज सिटी में शामिल किए जाने और उसका नाम बदलकर कुशभवनपुर किए जाने का अनुरोध किया गया।
इस किताब के आधार पर उचित कार्यवाही किया जाए
उन्होंने लिखा था कि इस किताब के आधार पर उचित कार्यवाही किया जाए। अयोध्या और प्रयाग के मध्य गोमती नदी के दोनों ओर सई और तमसा नदियों के बीच कभी यह भूभाग अत्याधिक दुर्गम था। गोमती के किनारे का यह क्षेत्र कुश-काश के लिए प्राचीन काल से ही प्रसिद्ध है,कुश-घास से बनने वाले बांध की प्रसिद्ध मंडी यहीं पर है।
प्राचीन काल मे सुल्तानपुर का नाम कुशभवनपुर था
प्राचीन काल मे सुल्तानपुर का नाम कुशभवनपुर था जो कालांतर में अलाउद्दीन खिलजी के आक्रमण के बाद बदलकर सुल्तानपुर हो गया। मोहम्म्द गोरी के आक्रमण के पूर्व यह स्थान राजभरों के आधिपत्य मे था,जिनके जनपद मे तीन राज्य इसौली,कुलपुर व भादर थे,आज भी उनके किलों के भग्न अवशेष विद्यमान हैं,जो तत्कालीन गौरव व समृद्धि को मुखरित करते है।
जनश्रुति के अनुसार कुडवार राज्य के पश्चिम में स्थित आज का गढ़ा ग्राम बौद्ध धर्म ग्रंथों मे वर्णित दस गणराज्यों में एक था जहां के राजा कलामवंशी क्षत्रिय थे। इसका प्राचीन नाम केशीपुत्र था जिसका अस्तित्व ईसा की तेरहवी शताब्दी तक कायम था।
मूल शहर गोमती के बाएं किनारे पर स्थित था
कहते हैं कि मूल शहर गोमती के बाएं किनारे पर स्थित था। ऐसा माना जाता है कि भगवान राम के पुत्र कुश महाराज ने इसकी स्थापना की थी और उनके नाम पर इसका नाम कुशपुर या कुशभवनपुर रखा गया था। चीनी प्राचीन यात्री ह्वेनसांग द्वारा वर्णित है कि कुशपुर में जनरल कनिंघम द्वारा इस प्राचीन शहर की पहचान की गई थी। उन्होंने लिखा है कि उनके समय में यहाँ पर अशोक के द्वारा निर्मित बड़े स्तूप स्थित थे और बुद्ध ने यहां छह महीने तक शिक्षा दी थी।
कुशभवनपुर के स्थान पर सुलतानपुर का निर्माण किया
सुलतानपुर के उत्तर-पश्चिम में 8 किमी दूर एक गांव महमूदपुर में बौद्ध अवशेष अभी भी दिखाई देते हैं। बाद में शहर भरों के हाथों में आ गया किन्तु 12 वीं शताब्दी में मुसलमानों द्वारा उनसे छीन लिया गया। लगभग सात सौ पचास साल पहले कहा जाता है कि दो भाइयों सईद मुहम्मद और सईद अल-उद-दीन,जो पेशे से घोड़े के व्यापारी थे,ने पूर्वी अवध का दौरा किया और कुशभवनपुर के भर राजाओं को बेचने के लिए कुछ घोड़ों की पेशकश की जिन्होंने घोड़ों को जब्त कर लिया और दोनो भाइयों को मार दिया। यह समाचार अल-उद-दीन खिलजी को मिलने पर उन्होंने एक बड़ी सेना के साथ भरों पर आक्रमण किया और अधिकांश भरों की हत्या कर कुशभवनपुर के स्थान पर सुलतानपुर का निर्माण किया|
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नदी के दाहिने किनारे पर एक गांव में सैन्य स्टेशन और छावनी स्थापित की गई थी, जिसे गिरघिट के नाम से जाना जाता था, लेकिन अधिकतर अधिकारियों द्वारा इसे सुल्तानपुर या छावनी और ग्रामीण जनसंख्या द्वारा इसे कैंप या शिविर द्वारा बुलाया जाता था। इस स्थान पर ही वर्तमान शहर विकसित किया गया है।