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Zila Panchayat Election UP 2021: कल के मतदान में क्रॉस वोटिंग का सता रहा डर, दिग्गजों ने झोंकी ताकत
Zila Panchayat Election UP 2021: सोनभद्र में शनिवार को सुबह 11 बजे से कलेक्ट्रेट में जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए होने वाले मतदान की उल्टी गिनती शुरू हो गई है।
Zila Panchayat Election UP 2021: सोनभद्र जिले में शनिवार को सुबह 11 बजे से कलेक्ट्रेट में जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए होने वाले मतदान की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। सपा और एनडीए गठबंधन प्रत्याशी में कड़ी टक्कर होने के कारण दोनों पार्टियों को क्रॉस वोटिंग का डर सता रहा है। इसको देखते हुए पूर्व संध्या पर जहां पार्टी के दिग्गजों ने पूरी ताकत झोंक दी। वहीं जगह-जगह बैठक कर और एक दूसरे खेमे के लोगों से संपर्क कर जीत के लिए देर रात तक जी-तोड़ कोशिश होती रही।
एनडीए गठबंधन में जहां प्रत्याशी चयन के समय से ही खींचतान की दिखी स्थिति ने शीर्ष स्तर तक तनाव की स्थिति पैदा कर दी थी। वहीं, कहीं अंदरूनी खींचतान बाजी हाथ से निकलने की वजह ना बन जाए। इसके लिए अपना दल एस के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं एमएलसी आशीष पटेल लगातार तीन दिनों से जिले में कैंप कर सत्ता पक्ष के सभी विधायकों- सांसदों के साथ समन्वय बनाते हुए जीत अपने पाले में करने में लगे हुए हैं। वहीं पूर्व एमएलसी विनीत सिंह भी अपना दल एस के समर्थन में तीन दिनों से जिले में डेरा डालकर जीत तय करने के निमित्त पसीना बहा रहे हैं।
उधर, दो दिन पूर्व तक अपनी जीत के लिए आश्वस्त सपा खेमा अचानक तेजी से पुलिस के बड़े दबाव और एनडीए गठबंधन के तरफ से मजबूत होती मोर्चाबंदी को देख काफी तनाव में आ गया है। दबाव बढ़ने के साथ ही शुक्रवार की सुबह से ही सपा के कई नेताओं के मोबाइल स्विच्ड ऑफ हो गए। जीत पक्की करने की कवायद में जुटे व्यस्त सपा के दिग्गज भी रणनीति लीक होने के डर से शुक्रवार को पुलिस और सत्ता पक्ष के कद्दावरों की नजर से बचते दिखे। एक दूसरे खेमे के जमावड़े वाले अफसरों की चोरी-छिपे निगरानी होती रही।
सत्ता पक्ष की पहुंच से दूर रखे गए जिला पंचायत सदस्यों की तलाश में जहां पुलिस देर रात तक जुटी रही। वहीं सपा खेमे की तरफ से अपने समर्थक जिला पंचायत सदस्यों को मतदान के समय तक किसी भी हाल में पुलिस के नजर से बचाए रखने की जुगत की जाती रही। दोनों दलों में सीधी और कड़ी टक्कर ने जिले का सियासी पारा बढ़ा दिया है।
सत्ता पक्ष को रास आती रही है सोनभद्र के जिला पंचायत अध्यक्षी
सत्ता पक्ष की हनक कहें या जिला पंचायत सदस्यों की सत्ता के साथ रहने की ललक। यहां की जिला पंचायत अध्यक्ष निर्वाचन प्रक्रिया शुरू होने से अब तक सत्ता पक्ष को ही ज्यादातर रास आती रही है। सोनभद्र के रूप में अलग जनपद सृजन में आप कुछ कर रहा है महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले तत्कालीन सांसद रामप्यारे पनिका की पत्नी बसंती पनिका कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में 1995 में यहां की पहली निर्वाचित जिला पंचायत अध्यक्ष बनीं। उस समय राज्य में बसपा और केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी। 2000 में भाजपा की सरकार आई तो भाजपा के देवेंद्र प्रसाद शास्त्री जिला पंचायत अध्यक्ष निर्वाचित हुए।
2006 में सपा की सरकार रहने के दौरान उसी दल के शिव शंकर घसिया ने जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर विजय हासिल की। 2011 में बसपा की सरकार रहने के दौरान उसी दल के दिलीप सिंह मौर्य जिला पंचायत अध्यक्ष निर्वाचित हुए। 2012 में सपा की सरकार आने के बाद अविश्वास प्रस्ताव लाकर दिलीप को हटा दिया गया। इसके बाद 2013 में हुए चुनाव में सपा की अनीता राकेश जिला पंचायत अध्यक्ष बनीं। कार्यकाल पूरा होने के बाद 2016 में चुनाव हुआ।
सपा के अनिल यादव को सत्ता पक्ष का लाभ मिला और वह आसानी से जिला पंचायत अध्यक्ष निर्वाचित हो गए लेकिन 2017 में भाजपा की सरकार बनते ही अविश्वास प्रस्ताव के चलते उन्हें कुर्सी छोड़नी पड़ी। इसके बाद 2018 में हुए उपचुनाव में भाजपा के अमरेश पटेल जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर काबिज हुए और उन्होंने 2021 तक का कार्यकाल पूरा किया। अब एक बार फिर से भाजपा के सत्ता में रहने के दौरान ही चुनाव हो रहा है. प्रत्याशी भी एनडीए गठबंधन का है ऐसे में सत्ता पक्ष को कुर्सी मिलने का क्रम बना रहेगा या सपा इस बार इस मिथक को तोड़ देगी? इसको लेकर चर्चाएं जारी हैं।