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अध्यात्म, मानव सेवा के लिए छोड़ दी तालुकेदारी, फिल्मी दुनिया
गोंडा। जिला मुख्यालय पर एक ऐसे सूफी संत हैं, जिन्होंने आध्यात्म और मानव सेवा के लिए तालुकेदारी और फिल्मी दुनिया छोड़ दी। बाबा के लाखों अनुयायी हैं जिनमें मुस्लिमों के साथ हिन्दू भी शामिल हैं। देवी पाटन मंडल ही नहीं देश व प्रदेश के अनेक स्थानों से यहां लाखों जायरीन आते हैं। गुरु की मजार वाले परिसर में ही आलीशान कम्प्यूटर संस्थान बना है जहां सभी धर्म सम्प्रदाय से ताल्लुक रखने वाले बच्चे दीनी तालीम के साथ तकनीकी शिक्षा ग्रहण करते हैं।
देवीपाटन मण्डल मुख्यालय पर सूफी संत हजरत इकराम मीनाशाह के मिशन को आगे बढ़ाते हुये उनके शिष्य हजरत महबूब मीनाशाह ने १७ साल पहले मीनाशाह इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नालोजी डिग्री कालेज (एमएसआईटी) की स्थापना की थी। संत हजरत महबूब मीनाशाह का जन्म 03 जुलाई 1934 को लखनऊ के यहियागंज में हुआ था। इनका नाम अजीज हसन था। इनके पिता मौलवी जियाउद्दीन जाने माने तालुकेदार थे। अजीज हसन की शिक्षा लखनऊ के हुसैनाबाद इण्टर कालेज, इण्टरमीडिएट कराची के एचआइएमएस बहादुर कालेज और उच्च शिक्षा एएमयू में हुई थी। उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में भी भाग लिया था।
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वह उन्नाव के न्योतनी के तालुकेदार भी रहे। 1952 में जमींदारी उन्मूलन के बाद वहमुंबई चले गए और बॉलीवुड में प्रोडक्शन मैनेजर और सहायक निर्देशक का का काम किया। करीब 15 वर्षों तक वह बॉलीवुड में रहे फिर ऊब कर आध्यात्म की ओर रुझान बढ़ा और सच्चे गुरु की खोज में निकल पड़े। तब गोंडा के आध्यात्म गुरु हजरत इकराम मीना शाह से मुलाकात हुई और उनके शिक्षाओं और मानवता की सेवा सेे प्रभावित होकर वर्ष 1967 से गोंडा के होकर रह गए। गुरु मीना शाह ने ही इन्हें महबूब मीना शाह नाम दिया। तब से ये मानव सेवा कर रहे हैं। इस आध्यात्मिक संस्था के पास करोड़ों की संपत्ति है।