TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

​ विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस से करें डिप्रेशन मुक्त दिन की शुरुआत, जानें कैसे

आज का दिन (10 अक्टूबर) 'विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस' के रुप में मनाया जाता है। जैसे ही आज का दिन नजदीक आता है वैसे ही मेंटल बीमारी से पी

tiwarishalini
Published on: 10 Oct 2017 10:47 AM IST
​ विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस से करें डिप्रेशन मुक्त दिन की शुरुआत, जानें कैसे
X

लखनऊ: आज का दिन (10 अक्टूबर) 'विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस' के रुप में मनाया जाता है। जैसे ही आज का दिन नजदीक आता है वैसे ही मेंटल बीमारी से पीड़ित होने वाले मूल कारणों को दूर करने संबंधी विषय पर मनोचिकित्सकों से लेकर विशेषज्ञों की राय आने लगती है। इस पेशे से जुड़े सभी लोग मरीजों को डिप्रेशन से मुक्त रहने का संकल्प भी लेते हैं।

हर साल इस दिन का एक टॉपिक निर्धारित रहता है और इसी मुद्दे पर चर्चाएं होती हैं। इस बार का विषय है 'कार्यस्थल पर मानसिक स्वास्थ्य।' इसी तथ्य पर इस साल विशेषज्ञ बात कर रहे हैं।

केजीएमयू के कुलपति डॉक्टर एमएलबी भट्ट ने बताया कि यह विषय कृषि से लेकर प्रौद्योगिक और उससे भी ऊपर सभी प्रकार के कार्यस्थल में कल्याण को बढ़ावा देने के मकसद से रखा गया है। इसका मतलब यह है कि विभिन्न कार्य क्षेत्रों में कार्य कर रहे लोगों के मानसिक स्वास्थ्य स्तर को जानकर उसका निवारण करना है।

राजधानी के मनोचिकित्सकों की राय

इसी मुद्दे पर मंगलवार को न्यूजट्रैक डॉट कॉम ने लखनऊ के कई मनोचिकित्सकों व विशेषज्ञों से बात कर उनकी राय जानी।

BHU के ट्रामा सेंटर पर उठे सवाल, परिजनों ने लगाया किडनी निकालने का आरोप

युवाओं में मानसिक विकार की समस्या अधिक

केजीएमयू के डॉक्टर ऋषि ने बताया कि आजकल युवाओं में मानसिक विकार की समस्या अधिक आ रही है क्योंकि उन पर कार्य करने का लोड इतना अधिक रहता है कि वह दैनिक जीवन शैली पर ध्यान नहीं दे पाते हैं। इसके अलावा काम का प्रेशर अधिक होने से मानसिक विकार जैसी समस्याएं पैदा हो जाती हैं।

उन्होंने बताया कि इसके लिए श्रम शक्ति,अव्यवहारिक संरचना और चेतना को बढ़ाने की जरूरत है।

एसजीपीजीआई की डॉ ज्योत्सना का कहना है कि कार्यस्थल पर मानसिक अस्वस्थता से जुड़े रहने तथा नकारात्मक व्यवहार से संबंधित व्यक्ति का जीवन प्रभावित होता है। वह न तो कार्य क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन कर सकता है और ना ही अपने निजी जीवन में। इसलिए मानसिक तनाव होने पर तुरंत हेल्थ काउंसलर से मिलकर सलाह लेनी चाहिए।

मनोविशेषज्ञ डॉ सुनील पांडेय के अनुसार, मानसिक स्वास्थ्य संबंधित लचीलेपन को बढ़ावा देने के लिए कार्य करने की आवश्यकता है। क्योंकि जिसको भी मानसिक तनाव होता है वह पूरी तरह से विछिप्त जैसा रहता है। उन्होंने बताया कि तनाव से ग्रसित व्यक्ति किसी भी समय किसी भी तरह की हरकत कर सकता है इसलिए ऐसे व्यक्ति की पहचानकर उसके डिप्रेशन के निवाकरण की जरूरत है।

उपरोक्त विशेषज्ञों से बातचीत के बाद पता चलता है कि किसी भी कार्य क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन करने के लिए मानसिक तनाव से मुक्त रहना बेहद जरूरी है।

मानसिक बीमारी से पीड़ित होने वाले मूल कारण

-मानसिक स्वास्थ्य समाज समस्याओं के लिए कई कारण जिम्मेदार हैं जिसमें पहला परिवेश संबंधित तनाव जैसे की चिंता, अकेलापन, साथियों का दबाव आदि जिम्मेदार हैं।

- पीड़ित व्यक्ति में आत्मसम्मान में कमी होने पर

- परिवार में मृत्यु या कोई गंभीर समस्या होने पर

- दुर्घटना, चोट, हिंसा इत्यादि होने पर

- आनुवंशिक असमानताएं, दिमाग की चोट

- एल्कोहल जैसे मादक पदार्थों का सेवन करने पर

- संक्रमण के कारण दिमाग पर पड़ने वाला असर

डिप्रेशन के शिकार व्यक्ति से ऐसे करें व्यवहार

ऐसे व्यक्ति को दें सहारा

-विशेषज्ञों का कहना है कि जो भी व्यक्ति है मानसिक तनाव से ग्रसित है उसको सहारे की जरूरत पड़ती है। परिवार के सदस्य, दोस्त मित्र से उसको पूरी मदद की आवश्यकता है।

- उनकी भावनाओं को समझकर बेहतर तरीके से बात करनी चाहिए।

- उन्हें भावात्मक तथा सामाजिक सहयोग देना चाहिए

- उनके साथ धैर्य पूर्वक व्यवहार करना चाहिए

- उनमें आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए महापुरुषों का उदाहरण देना चाहिए

- उन्हें रचनात्मक एवं मनोरंजक गतिविधियों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए

- उन्हें नया सीखने तथा नई रुचियों को विकसित करने के लिए प्रेरित करना चाहिए

- सकारात्मक सोच बनाने के लिए प्रेरित करना चाहिए

- अपने दैनिक कार्यों से समय निकालकर मानसिक रूप से ग्रसित व्यक्ति को समय देना चाहिए

- परिवार के सदस्यों को ऐसे व्यक्ति को अकेले कम छोड़ना चाहिए।

देश में मनोचिकित्सकों की है कमी

देशभर में मनोचिकित्सकों की बेहद कमी है। करीब 8,500 मनोचिकित्सकों तथा 7,000 मनोवैज्ञानिकों की कमी से देश जूझ रहा है। इसके अलावा 2,100 नर्सों की भी कमी है।

यूपी में ये है स्थिति

उत्तर प्रदेश में मानसिक बीमारी का प्रभाव करीबन 8 प्रतिशत पाया गया है। हाल ही में किए गए नेशनल मेंटल हेल्थ सर्वे 2015- 16 में भारत में विभिन्न मानसिक बीमारियों का पता चला है। यह सर्वे भारत के 12 राज्यों में हुआ है। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण निगम भारत सरकार द्वारा यह सर्वे किया गया है। इन 12 राज्यों में से एक हमारी यूपी भी शामिल है। उत्तर प्रदेश की जनसंख्या के पूरे जीवन काल में किसी भी मानसिक बीमारी का प्रसार करीब 8 फीसदी मिला है। सभी मानसिक बीमारियों में तीन चौथाई स्ट्रेस तथा न्यूरोबोटिक बीमारियां हैं।

यूपी में टोबैको का प्रभाव अधिक

टोबैको यूपी में बहुत ज्यादा पाया गया है। यहां टोबैको करीब 16 प्रतिशत पाया गया है। बुजुर्ग लोगों में यह 30 फीसदी से ज्यादा मिले हैं। युवावस्था में मानसिक बीमारियों का प्रसार करीब 6 प्रतिशत है।

सर्वे में पता चला है कि यूपी में आत्महत्या का खतरा बहुत ज्यादा रहता है। यूपी में मानसिक रोगों में इलाज का अंतर 86 प्रतिशत है जो कि यह दिखाता है कि केवल 15 प्रतिशत से भी कम लोग मानसिक इलाज करवाते हैं। मानसिक स्वास्थ्य को लेकर लोग जागरूक व सजक नहीं हैं।

उपरोक्त मुद्दों को देखते हुए नेशनल मेंटल हेल्थ हेल्प सर्वे 2015- 16 के दौरान उत्तर प्रदेश में मानसिक स्वास्थ्य को एक गंभीर समस्या बताई गई है। केंद्र सरकार यूपी के कई जिलों में इसको लेकर काम करने वाली है। यूपी के 14 जिले शामिल होने की योजना तैयार हो रही है।



\
tiwarishalini

tiwarishalini

Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

Next Story