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बेहतर कृषि के लिए गांवों को गोद लें वैज्ञानिक- कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह
केन्द्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने उत्तराखंड के किसानों को उन्नत तकनीक के ज़रिये खेती कर अपनी आजीविका में वृद्धि का आह्वान किया। मंगलवार को जी.बी.पंत कृषि एवं औद्योगिक विश्वविद्यालय में केंद्रीय मंत्री और मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने
देहरादून:केन्द्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने उत्तराखंड के किसानों को उन्नत तकनीक के ज़रिये खेती कर अपनी आजीविका में वृद्धि का आह्वान किया। मंगलवार को जी.बी.पंत कृषि एवं औद्योगिक विश्वविद्यालय में केंद्रीय मंत्री और मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता, निदेशक, वैज्ञानिक और अधिकारियों की बैठक को संबोधित किया।प्रदेश के कृषि मंत्री श्री सुबोध उनियाल भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
इस अवसर पर केन्द्रीय मंत्री राधा मोहन सिंह ने जी.बी.पंत कृषि विश्वविद्यालय को कृषि के क्षेत्र में तकनीकी दक्षता के साथ ही आर्थिक रूप से लाभकारी संस्था के रूप में किसानों के समक्ष एक मॉडल पेश करने को कहा। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के पास हजारों एकड़ जमीन उपलब्ध है, जिससे इसकी आय में कई गुना वृद्धि की जा सकती है। यहां पर कृषि के क्षेत्र में नई तकनीकी के माध्यम से किसानों को अपनी छोटी जोतों से आय को दोगुना करने के लिए प्रेरित किया जा सकता है। ताकि वे कृषि की ओर आकर्षित हों।
उन्होंने विश्वविद्यालय में समन्वित खेती के भिन्न-भिन्न मॉडल विकसित कर उनके खर्च व आमदनी को दर्शाते हुए किसानों को दिखाये जाने की आवश्यकता बतायी। साथ ही उन्होंने चार वैज्ञानिकों के समूह गठित कर चार गांवों को गोद लिये जाने का भी सुझाव दिया ताकि उत्तराखण्ड की न्याय पंचायतों के अधिकतर गांवों को वैज्ञानिकों द्वारा गोद लिया जा सके।
केन्द्रीय मंत्री श्री राधा मोहन सिंह ने कहा कि वर्ष 2018 को मोटे अनाजों के उत्पादक वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है। इस दिशा में विश्वविद्यालय द्वारा भी प्रभावी रूप से कार्य किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि देश बदल रहा है तथा इस बदलाव के पीछे अधिकारियों की भी महत्वपूर्ण भूमिका है। अतः कृषि में बदलाव भी कृषि विश्वविद्यालयों, संस्थानों व कृषि से संबंधित सभी अधिकारियों द्वारा ही लाया जा सकता है। उन्होंने आशा जतायी कि पंतनगर विश्वविद्यालय संतुलित उर्वरक व समन्वित खेती के तरीकों से दूसरी हरित क्रांति के जनक के रूप में उभरेगा।
कृषि विश्वविद्यालय में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि उनकी सबसे बड़ी चिन्ता पहाड़ों के तेजी से खेती विहीन होने की है। उन्होंने कहा कि इसके मुख्य कारण पानी का अभाव, बिखरी खेती एवं वन्य जीवों का गांवों तक पहुंचना है। वैज्ञानिकों को इन सब कारणों के समाधान हेतु शोध किये जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कृषि वैज्ञानिकों से खेती को लाभप्रद बनाने की तकनीकी किसानों तक पहुंचाने की अपेक्षा की। ताकि खेतों को आबाद किया जा सके, पशुओं को चारा मिल सके तथा वन्य जीवों को गांवों से दूर भोजन उपलब्ध हो सके।
मुख्यमंत्री ने कृषि वैज्ञानिकों से प्रदेश के मैदानी व पर्वतीय भौगोलिक परिस्थिति एवं जलवायु के अनुकूल खेती को उपजाऊ बनाये जाने तथा स्थानीय जलवायु के अनुरूप उन्नत कृषि बीजों के उत्पादन की दिशा में कार्य करने पर बल दिया। उन्होंने कृषि के क्षेत्र में शोध कार्य किये जाने की भी आवश्यकता बतायी। बैठक में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.ए.के.मिश्रा द्वारा विश्वविद्यालय द्वारा संचालित विभिन्न कार्यक्रमों की जानकारी दी गई।
इससे पूर्व केन्द्रीय कृषि मंत्री एवं मुख्यमंत्री ने पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय के उद्यान अनुसांधान केन्द्र एवं प्रजनक बीज उत्पादन केन्द्र का निरीक्षण किया तथा वहां चल रहे विभिन्न प्रयोगों व विभिन्न फसलों की उन्नत प्रजातियों के बीजों के उत्पादन संबंधी कार्यकलापों की जानकारी भी प्राप्त की।