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Valley of Flowers: फूलों की घाटी में बढ़ता मानव दख़ल

Valley of Flowers: विश्व विरासत फूलों की घाटी में बढ़ते मानव दखल को लेकर पर्यावरण और पारिस्थिति तंत्र के जानकारों का कहना है कि फूलों की घाटी में इतने ज्यादा सैलानियों की चहल-कदमी चिंता का विषय है ।

Nirala Tripathi
Written By Nirala Tripathi
Published on: 18 Oct 2023 3:33 PM IST
Uttarakhand Valley of Flowers
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Uttarakhand Valley of Flowers (photo: social media) 

Valley of Flowers: पिछले कुछ वर्षों से उत्तराखंड राज्य के चमोली जिले में स्थित खूबसूरत फूलों की घाटी की सैर पर आने वाले सैलानियों की बढ़ती संख्या ने पर्यावरणविदो व वैज्ञानिकों को चिंता में डाल दिया है। हाल के वर्षों में हमारे देश में खासकर युवाओं में एडवेंचर टूरिज्म बहुत लोकप्रिय हुआ है। जिसके चलते अब लोग पुरानी व पारंपरिक जगहों के बजाय नई , साहसिक, रोमांचकारी पर्यटन यात्राओं व स्थलों को ज्यादा तरजीह दे रहे हैं।

विश्व विरासत फूलों की घाटी में बढ़ते मानव दखल को लेकर पर्यावरण और पारिस्थिति तंत्र के जानकारों का कहना है कि फूलों की घाटी में इतने ज्यादा सैलानियों की चहल-कदमी चिंता का विषय है , दरअसल, यह क्षेत्र इकोलॉजिकली रूप से बेहद संवेदनशील है ।घाटी के नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र को अतिरिक्त मानवजनित दबाव से बचाने को लेकर वनस्पतिशास्त्रियों के साथ ही पर्यावरण एक्टिविस्ट भी खासे चिंतित हैं और फूलों की घाटी आने वाले सैलानियों की संख्या को सीमित करने की बात कह रहे हैं ।एक्सपर्ट ऐसी नीति बनाने की मांग कह रहे हैं जिससे इस क्षेत्र में आने वाले सैलानियों की संख्या को सीमित किया जा सके।

प्राकृतिक संपदा की दुनियां

फूलों की घाटी की खोज सबसे पहले फ्रैंक स्मिथ ने 1931 में की थी। फ्रैंक ब्रिटिश पर्वतारोही थे। फ़्रैंक और उनके साथी होल्डसवर्थ ने दुर्लभ औषधियों व विभिन्न प्रजातियों के फूलों से भरी इस घाटी को हिमालय की एक पर्यतारोहण अभियान के दौरान देखा और बाहरी दुनियां के सामने लाए।


पश्चिमी हिमालय की ऊंचाई पर स्थित, फूलों की घाटी 1982 में स्थापित राष्ट्रीय उद्यान है। यह विश्व विरासत सूची में भी अपना स्थान रखती है। यह एक ऐसा गंतव्य है जहां प्रकृति पूरी महिमा के साथ खिलती है और एक लुभावना अनुभव प्रदान करती है। ऑर्किड, पॉपी, प्रिमुलस, गेंदा, डेज़ी और एनीमोन जैसे बेहद खूबसूरत फूलों की 600 से अधिक प्रजातियाँ व अपने स्थानिक अल्पाइन फूलों की घास के मैदानों और उत्कृष्ट प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है। यह समृद्ध विविधता वाला क्षेत्र दुर्लभ और लुप्तप्राय जानवरों का भी घर है, जिनमें एशियाई काला भालू, हिम तेंदुआ, भूरा भालू और नीली भेड़ शामिल है।औषधीय गुणों से भरपूर प्रसिद्ध ब्रह्म कमल पूरे साल के इन्हीं कुछ महीनों में ही खिलता है। फूलों की घाटी हर साल एक जून से 31 अक्तूबर तक पर्यटकों के लिए खुली रहती है। घाटी का सबसे पीक समय जुलाई और अगस्त का महीना माना जाता है। इस दौरान यहां सबसे अधिक करीब 300 प्रजाति के फूल खिले होते हैं।


इस वर्ष अधिक बारिश , पहाड़ों पर बढ़ती लैंस्लाइड, बद्रीनाथ हाईवे का बंद होना व अलर्ट के चलते घाटी की सैर को आने वाले पर्यटकों की संख्या घटी है। इस बार पिछले साल 2022 की तुलना में आधे पर्यटक ही पहुंच पाए है ।


इस साल एक जून से सितंबर तक घाटी में 10,452 पर्यटक ही पहुंचे हैं । जबकि पिछले साल 2022 में सितंबर तक 20,730 सैलानी की संख्या ने पिछले सारे रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिए थे।


सन 2000 में सूबे के गठन के बाद से फूलों की घाटी देखने के लिए सबसे ज्यादा सैलानी साल 2019 में पहुंचे जिनकी संख्या 17,424 थी।

घाटी में जाने के लिए स्थानीय पर्यटकों से 150 रुपए विदेशी पर्यटकों के लिए 600 रुपये शुल्क निर्धारित है।

Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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