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चमोली में टूटा ग्लेशियर: 8 लोगों की मौत, 384 को निकाला गया सुरक्षित
इस आपदा की वजह से आठ लोगों अपनी जान गंवा चुके हैं। जबकि अब तक सेना ने 384 लोगों को बचाया है।
चमोली: उत्तराखंड (Uttarakhand) में ग्लेशियर टूटने (Glacier Burst) से एक बार फिर से कई लोगों की जान मुसीबत में आ गई है। चमोली (Chamoli) जिले के जोशीमठ के पास भारत-चीन बॉर्डर (India-China border) पर हिम्सखलन होने से सुमना इलाके में सैकड़ों लोगों के फंसे होने की आशंका है। जिन्हें बचाने के लिए सेना जुटी हुई है।
मौके पर राहत व बचाव कार्य में जुटी सेना ने बताया है कि अब तक इस आपदा की वजह से आठ लोगों अपनी जान गंवा चुके हैं। जबकि अब तक 384 लोगों को बचाया और उन्हें सुरक्षित जगह पर ले जाया गया है, जिनमें छह लोगों की हालत गंभीर है। बता दें कि शुक्रवार को शाम करीब 4 बजे BRO कार्यालय के पास मलारी और सुमना 16 बिंदु के बीच आईटीबीपी की 8 बीएन पोस्ट के पास ये ग्लेशियर टूटा था।
राहत बचाव कार्य में रात भर जुटी रही सेना
जिसकी चपेट में BRO का एक कार्यालय और दो लेबर कैंप आ गए। जिसके बाद सेना ने जल्द ही राहत व बचाव कार्य शुरू कर दिया। रात भर चलाए गए इस ऑपरेशन में पहले बीआरओ कैंप में फंसे GREF के 150 कर्मचारियों और मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाला गया। अभी भी राहत बचाव का काम जारी है। कोरोना महामारी के मद्देनजर सेना पूरे प्रोटोकॉल के तहत कार्रवाही कर रही है।
सेना के हैलिकॉप्टर और पर्वतारोही बचाव दल को स्टैंड बाय पर रखा गया है। दरअसल, मिली जानकारी के मुताबिक, अभी भी कैंप और सडक निर्माण स्थल में बर्फ के नीचे कई लोगों के फंसे होने की आशंका है। ऐसे में उन्हें निकालने के लिए जरूरत पड़ने पर सेना हैलिकॉप्टर और पर्वतारोही बचाव दल का इस्तेमाल कर सकती है।
दो महीने पहले आई थी बड़ी आपदा
गौरतलब है कि इससे पहले भी चमोली में ग्लेशियर के टूटने से बड़ी दुर्घटना हो गई थी। सात फरवरी को सुबह चमोली जिले की ऋषिगंगा घाटी में ग्लेशियर टूट गया था, जिससे बाढ़ आ गई थी। इस प्राकृतिक आपदा में कई लोगों ने अपनी जान गंवा दी थी। यहां पर कई दिनों तक राहत व बचाव कार्य जारी रहा था।