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Uttarakhand Politics: वरिष्ठ नेताओं को मनाना धामी के लिए बड़ी चुनौती, चुनाव में भारी पड़ सकती है नाराजगी

CM Pushkar Singh Dhami Ki Chunauti : पुष्कर सिंह धामी के साथ कैबिनेट में पुराने मंत्रियों ने तो शपथ ले ली है मगर शपथ ग्रहण समारोह से पहले चली सियासी गतिविधियों ने साफ इशारा किया है कि भीतर से सबकुछ दुरुस्त नहीं है।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman TiwariPublished By Shivani
Published on: 5 July 2021 1:03 PM IST
Pushkar Singh Dhami
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सीएम पद की शपथ लेते पुष्कर सिंह धामी (फोटो: सोशल मीडिया)

CM Pushkar Singh Dhami Ki Chunauti : उत्तराखंड के मुख्यमंत्री (Uttarakhand Chief Minister) पद पर युवा नेता पुष्कर सिंह धामी की ताजपोशी तो जरूर हो चुकी है मगर पार्टी हाईकमान के इस फैसले से राज्य के कई वरिष्ठ नेता नाराज (BJP Leaders Angry) बताए जा रहे हैं। राज्य में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की नाराजगी पार्टी के लिए भारी पड़ सकती है। नए मुख्यमंत्री के लिए इस मुश्किल से निपटना किसी बड़ी चुनौती (Pushkar Singh Dhami Ki Chunauti) से कम नहीं है।

हालांकि धामी के नाम पर मुहर लगाकर भाजपा नेतृत्व ने एक तीर से कई समीकरण साधने की कोशिश की है। उन्हें सीएम बनाकर भाजपा ने बड़ा सियासी दांव खेला है। धामी की उम्र मात्र 45 वर्ष ही है। इस नजरिए से उन्हें अभी लंबी सियासी पारी खेलनी है। धामी का नाम तय करके भाजपा ने उत्तराखंड की सियासत के लिए एक मजबूत नेता तैयार करने के साथ ही गुटबाजी करने वाले वरिष्ठ नेताओं को सख्त संदेश देने की भी कोशिश की है मगर इस फैसले से फैली नाराजगी भी पार्टी के लिए बड़ी मुश्किल बनती दिख रही है। चुनाव में यह नाराजगी पार्टी के लिए भारी पड़ सकती है।

शाह तक को देना पड़ा मामले में दखल

धामी के साथ कैबिनेट में पुराने मंत्रियों ने तो शपथ ले ली है मगर शपथ ग्रहण समारोह से पहले चली सियासी गतिविधियों ने साफ इशारा किया है कि भीतर से सबकुछ दुरुस्त नहीं है। वरिष्ठ नेताओं की नाराजगी का आलम यह था कि यहां तक आशंका जताई जाने लगी थी कि सतपाल महाराज और डॉ हरक सिंह रावत मंत्री पद की शपथ लेने पहुंचेंगे भी कि नहीं।


प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मदन कौशिक की ओर से इन दोनों नेताओं की नाराजगी दूर करने की कोशिश के बाद आखिरकार केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को भी इस मामले में दखल देना पड़ा। पार्टी के जानकार सूत्रों का कहना है कि शाह ने इन दोनों नेताओं से कई बार बातचीत की और उन्हें शपथ लेने के लिए राजी किया। दूसरी ओर भाजपा के प्रदेश प्रभारी दुष्यंत गौतम व प्रदेश अध्यक्ष लगातार वरिष्ठ नेताओं की नाराजगी की खबरों का खंडन करने में जुटे रहे।

धामी खुद भी जुटे रहे मनाने में

वरिष्ठ नेताओं की नाराजगी के कारण ही शपथ ग्रहण समारोह से पहले रविवार को धानी का ज्यादातर समय पार्टी के नाराज नेताओं को मनाने में ही बीता। उन्होंने अपनी ओर से नाराज नेता सतपाल महाराज और हरक सिंह रावत को मनाने की पूरी कोशिश की। नाराजगी दूर करने के लिए धामी ने खुद सतपाल महाराज के घर पहुंचकर विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की और उन्हें गुलदस्ता भेंट किया। उनकी पूरी कोशिश थी कि वरिष्ठ मंत्रियों के शपथ लेने में किसी भी प्रकार का विरोध सामने न आए नहीं तो इसका बहुत ही गलत सियासी संदेश जाएगा और इसे लेकर और इसे विपक्ष की ओर से मुद्दा भी बनाया जा सकता है।

वरिष्ठ नेताओं को इस तरह किया गया मैनेज

दूसरी और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक असंतोष की चर्चाओं को लगातार खारिज तो जरूर करते रहे मगर उनके यमुना कॉलोनी स्थित आवास पर दिनभर बैठकों का दौर चलता रहा। करीब पांच घंटे तक चली इस बैठक के दौरान नाराज नेताओं को मनाने की कोशिश की गई। बैठक में पार्टी के प्रदेश प्रभारी दुष्यंत गौतम, संगठन महामंत्री अजय कुमार व प्रदेश महामंत्री कुलदीप कुमार भी मौजूद थे।


बैठक में कुछ देर के लिए धन सिंह रावत और स्वामी यतीश्वरानंद भी पहुंचे। पार्टी के वरिष्ठ नेता बिशन सिंह चुफाल भी वरिष्ठ पदाधिकारियों से मुलाकात करने के लिए पहुंचे। बैठक के बाद बाहर निकले प्रदेश अध्यक्ष कौशिक ने पार्टी में सब कुछ दुरुस्त होने का दावा तो किया मगर फिर भी वरिष्ठ नेताओं की नाराजगी की खबरें सियासी हलकों में तैरती रहीं।

वरिष्ठ नेता चुफाल ने पहले सतपाल महाराज और हरक सिंह रावत के नाराज होने की बात कही मगर प्रदेश अध्यक्ष से बातचीत करने के बाद वे अपनी बातों से पलट गए और कहा कि पार्टी में कोई भी नेता नाराज नहीं है। इससे समझा जा सकता है दिन भर वरिष्ठ नेताओं को मैनेज करने का कैसा खेल चलता रहा।

सबको साथ लेकर चलने की कोशिश

उत्तराखंड विधानसभा के मौजूदा कार्यकाल में धामी भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री के रूप में पेश किए गए तीसरे चेहरे हैं। उनके पूर्व त्रिवेंद्र सिंह रावत और तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनने का मौका दिया गया था। त्रिवेंद्र सिंह रावत ने तो करीब 4 वर्षों तक मुख्यमंत्री का पद संभाला मगर तीरथ सिंह रावत की बहुत जल्दी ही सीएम पद से विदाई हो गई।

अब अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले पुष्कर सिंह धामी को उत्तराखंड की कमान सौंपी गई है। धामी का कहना है कि पार्टी में कई वरिष्ठ मुख्यमंत्री पद के दावेदार थे जो मुझसे कहीं ज्यादा सक्षम हैं, लेकिन अब मैं सबको साथ लेकर चलने का प्रयास करूंगा।

कम समय में दिखाना होगा काम

धामी के पास अगले विधानसभा चुनाव से पहले काफी कम वक्त बचा है और इस दौरान उन्हें सरकार के काम दिखाने के साथ ही मतदाताओं का भरोसा भी जीतना है। उन्हें मुख्यमंत्री बनाए जाने से नाराज वरिष्ठ नेताओं को साथ लेकर चलना भी बहुत बड़ी चुनौती साबित होगी। चुनावी घोषणा पत्र के वादों को पूरा करना भी एक बड़ी चुनौती है।


कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत ने इस मुद्दे को उठा भी दिया है। उनका कहना है कि नए मुख्यमंत्री कम से कम भाजपा के घोषणापत्र को तो देख लें। तमाम वादे अभी पूरे किए जाने बाकी हैं। ऐसे में धामी के सामने तमाम बड़ी चुनौतियां मुंह बाए खड़ी हैं। इन चुनौतियों से निपटना धामी के लिए आसान काम नहीं होगा।

Shivani

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