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CM Tirath Singh Rawat Resign: उत्तराखंड में भाजपा फिर बदलेगी CM, तीरथ की इस्तीफे की पेशकश, नए नेता का चुनाव जल्द
CM Tirath Singh Rawat Resign: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया।
CM Tirath Singh Rawat Resign: उत्तराखंड में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा नए चेहरे के साथ मैदान में उतरेगी। राज्य के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा को लिखे पत्र में पद से इस्तीफा देने की पेशकश की है। इस्तीफे के पीछे उन्होंने संवैधानिक संकट को कारण बताया है। बुधवार को पार्टी हाईकमान की ओर से दिल्ली तलब किए जाने के बाद से ही उनके इस्तीफे की चर्चाएं सियासी हलकों में तैर रही थी।
बुधवार को देर रात उनकी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ बैठक हुई थी। अमित शाह के आवास पर हुई इस बैठक के बाद ही तय माना जा रहा था की भाजपा उत्तराखंड में नेतृत्व बदलने जा रही है। पार्टी हाईकमान तीरथ की अगुवाई में विधानसभा चुनाव में नहीं उतरना चाहता था। शाह और नड्डा की तीरथ के साथ बैठक के बाद भी इस मुद्दे पर गहन मंथन चला और बाद में पार्टी नेतृत्व के कहने पर तीरथ सिंह ने इस्तीफे की पेशकश कर दी।
संवैधानिक अड़चन को बताया कारण
पार्टी अध्यक्ष को लिखे पत्र में तीरथ सिंह रावत ने कहा है कि संवैधानिक नियमों के तहत उन्हें मुख्यमंत्री बनने के बाद छह महीने के भीतर विधानसभा का सदस्य बनना था। उन्होंने कहा कि संविधान के आर्टिकल 151 के मुताबिक अगर विधानसभा चुनाव में एक वर्ष से कम का समय करता है तो आयोग की ओर से वहां पर उपचुनाव नहीं कराए जा सकते। उत्तराखंड में संवैधानिक संकट की स्थिति से बचने के लिए मैं मुख्यमंत्री का पद छोड़ने का इच्छुक हूं।
देहरादून में सियासी हलचल तेज
रावत के इस्तीफे की पेशकश के बाद राजधानी देहरादून में सियासी हलचल काफी तेज हो गई हैं। भाजपा से जुड़े जानकार सूत्रों का कहना है कि एक-दो दिनों के भीतर विधानमंडल दल की बैठक में नए नेता का चुनाव किया जा सकता है। विधानमंडल दल की बैठक के लिए भाजपा विधायक देहरादून पहुंचने लगे हैं। जानकारों के मुताबिक मुख्यमंत्री तीरथ सिंह कल राज्यपाल से मिलकर अपना इस्तीफा सौंप देंगे। तीरथ सिंह रावत की 10 मार्च को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के रूप में ताजपोशी हुई थी। उन्होंने 115 दिनों तक उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के रूप में कार्यभार संभाला। इतने छोटे कार्यकाल के दौरान भी उनके कई बयानों को लेकर विवाद पैदा हुए।
शाह और नड्डा की बैठक में हुआ फैसला
बुधवार को दिल्ली पहुंचने के बाद रावत की पार्टी के अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात हुई थी। भाजपा सूत्रों के मुताबिक यह मुलाकात शाह के घर पर हुई। देर रात हुई इस बैठक के दौरान उत्तराखंड में नेतृत्व और अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के मुद्दे पर गहराई से मंथन किया गया।
सूत्रों के मुताबिक भाजपा नेतृत्व ने अगला विधानसभा चुनाव तीरथ सिंह की लीडरशिप में न लड़ने की मंशा बताई। उत्तराखंड में भाजपा के कई नेता भी उनकी खिलाफत कर रहे थे। इस मुद्दे पर गहराई से मंथन करने के बाद आखिरकार नेतृत्व ने उन्हें इस्तीफा देने का फरमान सुना दिया।
भाजपा इस दांव में खा चुकी है झटका
भाजपा ने उत्तराखंड में चुनाव से तुरंत पहले नेतृत्व परिवर्तन का बड़ा सियासी दांव जरूर खेला है मगर इस दांव में पार्टी को एक बार सियासी नुकसान भी हो चुका है।
भाजपा ने 2012 में भी चुनाव से ठीक पहले उत्तराखंड में नेतृत्व परिवर्तन किया था। उस समय रमेश पोखरियाल निशंक की जगह बीसी खंडूरी की ताजपोशी की गई थी मगर भाजपा कांग्रेस के हाथों में चुनाव हार गई थी। इसके बावजूद भाजपा की ओर से तीरथ सिंह को हटाकर भाजपा में नए नेता की अगुवाई में चुनाव लड़ने का फैसला किया गया है।
विधायक बनने में फ॔सा था पेंच
तीरथ सिंह रावत के साथ एक और पेंच विधानसभा की सदस्यता को लेकर फंसा हुआ था। उन्होंने 10 मार्च को उत्तराखंड की कमान संभाली थी और उन्हें 6 महीने के भीतर यानी 10 सितंबर तक विधानसभा का सदस्य बनना है। मौजूदा समय में रावत पौड़ी गढ़वाल से सांसद हैं। उत्तराखंड भाजपा में चर्चा थी कि वे गंगोत्री विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में उतर सकते हैं। मौजूदा समय में यह विधानसभा सीट खाली है। आम आदमी पार्टी की ओर से इस सीट से कर्नल अजय कोठियाल को प्रत्याशी बनाने का ऐलान किया गया है।
आयोग लेगा अंतिम फैसला
वैसे राज्य में उपचुनाव के संबंध में अभी तक चुनाव आयोग ने अंतिम फैसला नहीं लिया है। माना जा रहा है कि आयोग कोरोना महामारी की स्थितियों को देखते हुए ही अंतिम फैसला करेगा। रावत के पास विधानसभा सदस्य बनने के लिए दो महीने का वक्त बचा था। विधानसभा का कार्यकाल एक साल से कम समय का बचे होने पर उपचुनाव नहीं भी कराए जा सकते हैं। इस बारे में अंतिम फैसला चुनाव आयोग को ही करना है। सूत्रों के मुताबिक कोरोना महामारी को देखते हुए आयोग उपचुनाव कराने का इच्छुक नहीं है।
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