×

...और अब 'पर्यावरण मित्र प्लास्टिक' बनाने की स्वदेशी तकनीक विकसित

Rishi
Published on: 2 Aug 2018 4:37 PM IST
...और अब पर्यावरण मित्र प्लास्टिक बनाने की स्वदेशी तकनीक विकसित
X

लखनऊ : प्लास्टिक एक ऐसा उत्पाद बन गया है जिसको लेकर दुनिया बहुत चिंतित है। इस उत्पाद ने सामान्य जीवन में अपनी ऐसी जगह बना ली है जिसके बिना काम ही नहीं चल पा रहा। लेकिन इसके कचरे के निस्तारण की समस्या ने अब बहुत ही भयावह रूप ले लिया है। जिस मात्रा में प्लास्टिक के चलते पर्यावरण में प्रदूषण बढ़ा है उससे सभी चिंतित हैं। ऐसे में पंतनगर विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा खोजी गयी एक स्वदेशी तकनीक की तरफ सभी का ध्यान गया है। इस तकनीक से अब पर्यावरण मित्र प्लास्टिक का उत्पादन संभव हो सकेगा।

केवल हरित विलायकों (साल्वेंट) का उपयोग

पंतनगर विश्वविद्यालय के रसायन शास्त्र की प्रयोगशाला के शोधार्थियों ने यह विलक्षण कार्य करने में सफलता हासिल की है। आधुनिक विज्ञान के क्षेत्र में इस खोज को बहुत ही महत्त्व दिया जा रहा है। इस खोज ने वैज्ञानिको को बहुत ही राहत दी है जो प्लास्टिक को लेकर चिंता में थे। इस खोज को इसीलिए विश्व की सभी शोध पत्रिकाओं ने हाथोहाथ लिया है। खास बात यह है कि केवल हरित विलायकों (साल्वेंट) का उपयोग करते हुए विभिन्न प्लास्टिक पदार्थों का संश्लेषण, शोधन एवं संवर्धन कर यह पर्यावरण हितैषी तकनीक विकसित की गई है। अब विश्वविद्यालय ने इस शोध का पेटेंट भी प्राप्त कर लिया है।

कार्बन डाई ऑक्साइड की तरल अवस्था का उपयोग किया गया

इस शोध के बारे में पंतनगर विश्वविद्यालय में रसायन शास्त्र विभाग के अध्यक्ष डॉ. एमजीएच जैदी बताते हैं कि स्वदेशी तकनीक में कार्बनिक विलायकों (ऑर्गेनिक साल्वेंट) के स्थान पर कार्बन डाई ऑक्साइड की तरल अवस्था का उपयोग किया गया है। कार्बन डाई ऑक्साइड का प्राकृतिक स्वरूप गैस के रूप में होता है। डॉ. जैदी बताते हैं कि इसे जब तरल अवस्था में बदलते हैं तो वह हरित विलायक के रूप में कार्य करती है। इस अवस्था में कोई भी प्लास्टिक उत्पाद बनाया जा सकता है। जैसे प्रेशर कुकर में चावल पकाने के बाद भाप निकाल दी जाती है, उसी प्रकार इस तकनीक में तैयार प्लास्टिक को बाहर निकालने के लिए गैस को डीप्रेशराइज कर देते हैं। इससे गैस अपनी प्राकृतिक अवस्था में आ जाती है। इस दौरान निकलने वाली कार्बन डाई ऑक्साइड पुन: रीसाइकिल हो जाती है, जिससे पर्यावरण को नुकसान नहीं होता है। जिस प्रकार पानी में शक्कर घोलने पर पानी विलायक एवं शक्कर विलय होती है। उसी प्रकार तारपीन के तेल एवं लाख के घोल से प्लास्टिक तैयार की जाती है, इसमें तारपीन का तेल विलायक एवं लाख विलय के रूप में होते है।

तकनीक के व्यावसायिक उपयोग पर मंथन

पर्यावरण मित्र प्लास्टिक के व्यावसायिक उत्पादन को लेकर अब मंथन शुरू हो चुका है। इसको व्यावसायिक स्वरुप में आने में अभी काफी समय लग सकता है। जानकारों के मुताबिक़ इसके व्यावसायिक उत्पादन के लिए अभी काफी काम करना होगा। लेकिन इस तकनीक के मिल जाने से एक बड़ी रहत की बात यह हुई है कि पर्यावरण को लेकर जीतनी चिंता थी उससे उबरने का रास्ता दिख गया है।

Rishi

Rishi

आशीष शर्मा ऋषि वेब और न्यूज चैनल के मंझे हुए पत्रकार हैं। आशीष को 13 साल का अनुभव है। ऋषि ने टोटल टीवी से अपनी पत्रकारीय पारी की शुरुआत की। इसके बाद वे साधना टीवी, टीवी 100 जैसे टीवी संस्थानों में रहे। इसके बाद वे न्यूज़ पोर्टल पर्दाफाश, द न्यूज़ में स्टेट हेड के पद पर कार्यरत थे। निर्मल बाबा, राधे मां और गोपाल कांडा पर की गई इनकी स्टोरीज ने काफी चर्चा बटोरी। यूपी में बसपा सरकार के दौरान हुए पैकफेड, ओटी घोटाला को ब्रेक कर चुके हैं। अफ़्रीकी खूनी हीरों से जुडी बड़ी खबर भी आम आदमी के सामने लाए हैं। यूपी की जेलों में चलने वाले माफिया गिरोहों पर की गयी उनकी ख़बर को काफी सराहा गया। कापी एडिटिंग और रिपोर्टिंग में दक्ष ऋषि अपनी विशेष शैली के लिए जाने जाते हैं।

Next Story