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हेलंग-मारवाड़ी बाईपास मामला : ऑनलाइन केस हुआ दायर, अब NGT सुलझाएगी लड़ाई

tiwarishalini
Published on: 22 Dec 2017 3:26 PM IST
हेलंग-मारवाड़ी बाईपास मामला : ऑनलाइन केस हुआ दायर, अब NGT सुलझाएगी लड़ाई
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चमोली। हेलंग-मारवाड़ी बाईपास को लेकर जोशीमठ व पांडुकेश्वर के लोगों की लड़ाई अब एनजीटी में पहुंच गई है। एनजीटी में ऑनलाइन केस दायर कर दिया गया है। बताया जा रहा है कि जोशीमठ के अस्तित्व को बचाने के लिए पूरी कवायद हो रही है लेकिन असली लड़ाई आर्थिक हितों की है।

अगर नया रास्ता बन जाने से बद्रीनाथ की दूरी एकतरफ से 21 किमी कम हो जाएगी तो यह बात निश्चित है कि लोग इस मार्ग का इस्तेमाल ज्यादा करेंगे और श्रद्धालु जब पुराना रास्ता छोड़कर बाईपास पकड़ेंगे तो जोशीमठ की अर्थव्यवस्था का चौपट होना भी निश्चित है। बताते चलें, पांडुकेश्वर के लोग इस बाईपास के पक्ष में इसीलिए हैं कि उन्हें अपना भविष्य उज्ज्वल दिख रहा है।

इन दिनों नए बाईपास को लेकर भूमि अधिग्रहण की कार्यवाही चल रही है। केंद्र सरकार की प्राथमिकता के इस प्रोजेक्ट पर प्रशासन जोशीमठ से पहले हेलंग से मारवाड़ी तक प्रस्तावित बाईपास पर कई बार बैठक करा चुका है। बाईपास निर्माण को लेकर जोशीमठ के लोगों का कहना है कि इससे बद्रीनाथ और हेमकुंड यात्री सीधे बाईपास से ही आवाजाही करेंगे। ऐसे में तीर्थनगरी जोशीमठ के अस्तित्व को खतरा है।

यहां की व्यावसायिक गतिविधियां समाप्त हो जाएंगी। इससे बेरोजगारी का अंदेशा है। जोशीमठ के लोगों का यह भी कहना था कि पिछले चार दशक से जन विरोध के चलते ही यह निर्माण आधा-अधूरा पड़ा है। जोशीमठ के लोगों ने हाईकोर्ट के फैसले सहित अन्य दस्तावेज भी प्रशासन के सामने रखकर बाईपास का विरोध किया है।

उधर, पांडुकेश्वर के लोगों का मारवाड़ी बाईपास का समर्थन करते हुए कहना है कि इसके निर्माण से बदरीनाथ की दूरी 21 किमी कम हो जाएगी। यात्रियों को आने-जाने के दौरान 42 किमी कम सफर करना होगा। लिहाजा हमें व्यापक जनहित को देखते हुए मारवाड़ी बाईपास का विरोध नहीं करना चाहिए। तर्क यह भी था कि जोशीमठ में यात्रा सीजन के दौरान जाम की स्थिति रहती है।

वहीं, पैनखंडा संघर्ष समिति के अध्यक्ष रमेश चंद्र सती के अनुसार सरकारों के जोशीमठ के प्रति नकारात्मक रवैये के कारण ही यह एनजीटी जाने का कदम उठाना पड़ा है। गौरतलब है कि राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण ने अपने ताजे आदेश में स्पष्ट किया है कि पर्वतीय क्षेत्रों मे नदियों के किनारे से पचास मीटर तक की दूरी पर किसी भी प्रकार के निर्माण कार्य नहीं हो सकेंगे।

इसलिए हेलंग से मारवाड़ी तक जिस बाईपास को बनाने को प्रस्ताव है वह अलकनंदा नदी से सटा है। जोशीमठ के लोगों का मानना है कि जब बद्रीनाथ जाने वाले वाहन को पांडुकेश्वर से होकर गुजरना हैं तो फिर वाईपास की क्या जरूरत है।

व्यापार मंडल के तहसील अध्यक्ष श्रीराम डिमरी का कहना है कि जोशीमठ के लोग जोशीमठ को टच करते हुए बाईपास बनाने की मांग कर रहे हैं और इसके लिए भूमि भी उपलब्ध है। जोशीमठ को टच करते हुए जहां से भी बाईपास बनेगा बदरीनाथ से पूर्व पांडुकेश्वर को तो मार्ग पर आना ही तो आखिर पांडुकेश्वर को जोशीमठ के यात्रा मार्ग से पूर्ववत जुड़े रहने पर आपत्ति क्यों है।

उन्होंने कहा कि यदि दूरी ही कम चाहिए तो हेलंग से ही सुरंग मार्ग निर्माण कर लामबगड़ पहुंचा जा सकता है। उनका कहना है कि बाईपास हेलंग से बने या कहीं और से इसका फैसला केंद्र सरकार को लेना है लेकिन जोशीमठ के पौराणिक अस्तित्व व शीतकालीन पूजा स्थल को बचाने के लिए हर लड़ाई लड़ी जाएगी।

tiwarishalini

tiwarishalini

Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

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