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जड़ी बूटी : कासनी और वज्रदंती का पेटेंट कराएगी उत्तराखंड सरकार

आयुर्वेदिक दवाओं व दंत मंजन में इस्तेमाल होने वाली जड़ी बूटी कासनी और वज्रदंती का उत्तराखंड सरकार पेटेंट कराने की तैयारी कर रही है। कासनी देश के उत्तर पश्चिम

Anoop Ojha
Published on: 30 Dec 2017 1:26 PM IST
जड़ी बूटी : कासनी और वज्रदंती का पेटेंट कराएगी उत्तराखंड सरकार
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जड़ी बूटी : कासनी और वज्रदंती का पेटेंट कराएगी उत्तराखंड सरकार

देहरादून: आयुर्वेदिक दवाओं व दंत मंजन में इस्तेमाल होने वाली जड़ी बूटी कासनी और वज्रदंती का उत्तराखंड सरकार पेटेंट कराने की तैयारी कर रही है। कासनी देश के उत्तर पश्चिम भाग में छह हजार फुट की ऊंचाई तक तथा कुमाऊं, देहरादून में पाया जाता है। देश के कई हिस्सों मसलन पंजाब, हैदराबाद और कश्मीर में इसकी खेती भी की जाती है। इसमें पंजाब व कश्मीर की कासनी उत्तम मानी जाती है। औषधीय पौधा होने की वजह से इसकी जड़, फूल, बीज पंसारियों की दुकानों पर मिल जाते हैं।

इसका प्रयोग सिरदर्द, नेत्र रोग गले की सूजन, लीवर के रोग, बुखार, उल्टी, दस्त में बहुत लाभदायक है। ठंडाई में भी इसके बीज मिलाए जाते हैं। कासनी को काफी की तरह भी इस्तेमाल किया जाता है पर इसमें कैफीन नहीं होता। इसका स्वाद हल्का चाकलेट की तरह होता है। जंगली कासनी कड़ुआ व उगाया जाने वाला कासनी मीठा होता है।

वज्रदंती

इसी तरह वज्रदंती को बर्लेरिया प्रोनिसिटिस के नाम से जाना जाता है। अमूमन लोग इसका इस्तेमाल सजावट के लिए गुलदस्ते बनाने में करते हैं। इसकी खूबियों से अंजान लोग इसे खर पतवार जैसा समझते हैं। लेकिन वज्रदंती हमारे दांतों और मुंह की बेहतरीन देखभाल करता है। दांतों के लिए कई टूथपेस्ट व मंजन बनाने वाली कंपनियां इसका इस्तेमाल करती हैं। इसके अलावा यह बुखार, खांसी, जोड़ों के दर्द, गठिया, घाव व फोड़ों में भी लाभकारी है।

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के डिफेंस इंस्टीटय़ूट ऑफ बायो एनर्जी रिसर्च (डीआईबीईआर) के कासनी (सिकोरियम इंटीबस) के औषधीय गुण सिद्ध करने और उसके डायबिटीज, अस्थमा, ब्लड प्रेशर, लीवर व किडनी की बीमारियों में फायदेमंद बताने के बाद उत्तराखंड सरकार ने कासनी का पेटेंट कराने का फैसला लिया है। डीआईबीईआर ने उत्तराखंड के वन विभाग के अनुसंधान वृत्त के साथ कासनी व अन्य वनस्पतियों पर अनुसंधान के लिए इस साल जून में समझौता किया था। डीआईबीईआर ने शोध के दौरान पाया गया कि कासनी एक ओर जहां कार्बोहाइड्रेट व प्रोटीन का अच्छा स्रोत है, वहीं उसमें मधुमेह रोग में बी गुणकारी है और वह अच्छा एंटी-ऑक्सिडेंट है।

क्या कहते हैं व वन विभाग के अनुसंधान वृत्त के प्रमुख संजीव चतुर्वेदी

कासनी का पहले से ही विभिन्न आयुर्वेदिक व यूनानी दवाओं में इस्तेमाल होता रहा है। पिछले एक साल में ही वन अनुसंधान वृत्त ने देश की विभिन्न कंपनियों को एक लाख से अधिक कासनी के पौधे बेचे हैं। अब वैज्ञानिक अनुसंधान में कासनी के औषधीय गुण सिद्ध हो गए हैं इसलिए अब कासनी को पेटेंट कराने के लिए आवेदन करेंगे। वज्रदंती (पोटेंशिला फल्गंस) पर भी अनुसंधान चल रहा है। इन औषधीय वनस्पति प्रजातियों के पेटेंट मिलने के बाद इन हर कोई इन पौधो से उत्पाद नहीं बना सकेगा।



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Anoop Ojha

Anoop Ojha

Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

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