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उत्तराखंड : केदारनाथ धाम का पुनर्निर्माण सरकार के लिए बना चुनौती

raghvendra
Published on: 28 Feb 2018 10:29 AM GMT
उत्तराखंड :  केदारनाथ धाम का पुनर्निर्माण सरकार के लिए बना चुनौती
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देहरादून। केदारनाथ धाम का पुनर्निर्माण उत्तराखंड सरकार के लिए चुनौती बना हुआ है। कई परियोजनाओं पर काम अब भी शुरुआती चरण में है। कई में आधा काम ही हुआ है। ये हाल तो तब है जब सर्दियों में हाड़ कंपाने वाली ठंड के बीच भी यहां पुनर्निर्माण कार्य को जारी रखा गया। अब 29 अप्रैल को केदारनाथ के कपाट खुल रहे हैं। इसलिए पुनर्निर्माण कार्यों में तेजी लाने की पूरी कोशिश हो रही है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कह चुके हैं कि कपाट खुलने से पहले यहां इतनी व्यवस्था कर ली जाए कि तीर्थयात्रियों को किसी तरह की दिक्कत न हो। इसलिए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और मुख्य सचिव लगातार निर्माण कार्यों का जायजा ले रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी 28 फरवरी को प्रधानमंत्री कार्यालय से केदारपुरी के निर्माण कार्यों की प्रगति की समीक्षा करेंगे।

प्रधानमंत्री दो ड्रोन कैमरों के जरिये केदारपुरी में पुनर्निर्माण कार्य को देखेंगे। इसे देखते हुए रुद्रप्रयाग के जिलाधिकारी केदारनाथ में निर्माण कार्य और व्यवस्थाओं की पड़ताल कर रहे हैं ताकि प्रधानमंत्री की समीक्षा के दौरान कही किसी तरह की कोई कमी न रह जाए। रुद्रप्रयाग के जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने बताया कि प्रधानमंत्री की समीक्षा के लिए ड्रोन पहुंचाए जा चुके हैं। किन गांवों को प्रधानमंत्री को लाइव दिखाया जाएगा। कितनी देर तक ड्रोन लाइव शूट करने में सक्षम होंगे। इस सब पर कार्य किया जा रहा है।

प्रधानमंत्री चाहते हैं कि केदारनाथ के पुनर्निर्माण का कार्य 2019 से पहले पूरा हो जाए। इसलिए उन्होंने पिछले वर्ष दो बार केदारनाथ की यात्रा की। अक्टूबर 2017 में दिवाली के मौके पर केदारघाटी पहुंचकर पांच परियोजनाओं का शिलान्यास किया। यह भी माना जा रहा है कि वे यहीं से अपने अगले चुनाव अभियान की शुरुआत करेंगे। इसीलिए यहां चल रहे पुनर्निर्माण कार्यों की सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय से मॉनीटरिंग हो रही है। प्रधानमंत्री के सचिव भास्कल खुल्बे निर्माण कार्यों का जायजा ले रहे हैं।

कैसे बनेगी भव्य केदारपुरी

केदारनाथ के पुनर्निर्माण प्लान के मुताबिक मंदिर के पीछे काफी बड़े क्षेत्र में हरा भरा पार्क बनाया जाएगा। इसके साथ वैली ब्रिज से मंदिर मार्ग के दोनों तरफ भी पार्क बनाए जाएंगे। यहां एक चबूतरा बनाया जाएगा, जिसके ऊपर एक फव्वारा होगा। मंदिर के रास्ते को चौड़ा किया जाएगा। मंदिर मार्ग के दोनों छोर पर ही योग और ध्यान केंद्र, संग्रहालय, रावल निवास, बदरी-केदार मंदिर समिति का कार्यालय और तीर्थ पुरोहितों के भवन बनेंगे।

केदारनाथ मंदिर परिसर को भी विकसित किया जाएगा। इसके चारों तरफ सुरक्षा दीवारों का निर्माण कर प्रवेश द्वार की सीढिय़ों की लंबाई बढ़ाई जाएगी। मंदिर के दोनों तरफ बहने वाली मंदाकिनी और सरस्वती नदी का रुख सुरक्षित क्षेत्र की ओर मोडऩा भी इस योजना में शामिल है। ताकि भविष्य में मंदिर और यहां आने वाले श्रद्धालुओं पर बाढ़ का खतरा न आए। केदारपुरी को दोनों नदियों से बचाने के लिए इसके चारों ओर अर्ध चंद्राकार सुरक्षा दीवार का निर्माण भी कराया जाएगा। इस सुरक्षा दीवार पर शिव के 20 अलग अलग रूप उकेरे जाएंगे।

पुनर्निर्माण की स्थिति

केदारपुरी में मंदिर तक जाने के 50 फीट चौड़े रास्ते का निर्माण तेज गति से चल रहा है। रुद्रप्रयाग के डीएम मंगेश घिल्डियाल ने बताया कि चौड़ीकरण का कार्य 40 फीसदी तक हो गया है। इसके साथ ही मंदिर के चबूतरे को लगभग दोगुना बड़ा कर दिया गया है। इस कार्य को अप्रैल तक पूरा होने का लक्ष्य है।

सरस्वती नदी पर घाटों के निर्माण कार्य पर जिलाधिकारी ने जानकारी दी कि अभी इसमें 15 फीसदी कार्य संपन्न हुआ है। केदारनाथ में बारिश भी हो रही है जिसके चलते सीमेंट का काम अभी नहीं हो पा रहा, मौसम ठीक होने और गर्मी बढऩे पर सरस्वती घाट के निर्माण का कार्य फिर शुरु होगा।

मंदाकिनी के चारों ओर सुरक्षा दीवार बनाए जाने काम रुका हुआ है। मार्च में तापमान ठीक होने पर कार्य शुरू होगा। तीर्थ पुरोहितों के मकानों को पहाड़ी शैली में लकड़ी और पत्थर से बनाया जा रहा है। इन आवासीय भवनों में जौनसार के हस्तशिल्प की छटा भी देखने को मिलेगी। शंकराचार्य समाधि स्थल के निर्माण के लिए इसके डिजायन को अंतिम रूप देने पर कार्य चल रहा है। जिंदल ग्रुप इस कार्य को कर रहा है।

जिलाधिकारी का कहना है कि 2013 की आपदा के बाद केदारनाथ में तीर्थ यात्रियों के लिए व्यवस्था एक बार फिर पटरी पर आ गई है। रहने, खाने-पीने के पूरे इंतजाम है। उन्होंने उम्मीद जतायी कि इस बार केदारनाथ में और अधिक तीर्थयात्री जुटेंगे।

प्रधानमंत्री ने इन परियोजनाओं का किया था शिलान्यास

  • संगमतट से केदारनाथ मंदिर तक पैदल मार्ग निर्माण।
  • सरस्वती नदी तटों की सुरक्षा दीवार।
  • घाटों का निर्माण, तीर्थ पुरोहितों के आवासीय भवनों का निर्माण।
  • गुरु शंकराचार्य की समाधि स्थल का निर्माण और म्यूजियम।
  • ध्यान केन्द्र और मंन्दाकिनी नदी की सुरक्षा दीवारों के निर्माण कार्य।

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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