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बाढ़ प्रभावितों की मदद के लिए शुरू की मशरूम फार्मिंग, आज सालाना 1.5 करोड़ का टर्नओवर

हिरेशा वर्मा ने बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए मशरूम की खेती की। आज उनका सालाना 1.5 करोड़ का टर्नओवर...

Anshul Thakur
Written By Anshul ThakurPublished By Ragini Sinha
Published on: 20 Aug 2021 8:09 AM GMT (Updated on: 20 Aug 2021 8:10 AM GMT)
mushroom farming
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बाढ़ प्रभावितों की मदद के लिए शुरु कि मशरूम फार्मिंग (social media) 

साल 2013 में उत्तराखंड में हुई बाढ़ त्रासदी में कई लोगों की मौत हो गई. इस ने लोगों के परिवार के कमाने वाले लोगों को, घर, परिवार, व्यवसाय को छीन लिया, लेकिन इनका सहारा बन कर उभरीं हिरेशा वर्मा। हिरेशा वर्मा देहरादून की रहने वाली हैं। वह अच्छी सैलरी पर IT सेक्टर में काम कर रहीं थीं, लेकिन जब 2013 में उत्तराखंड में बाढ़ त्रासदी हुई, तो उनसे बेसहारा लोगों की तकलीफ को देखा नहीं गया. उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी और गांव के लोगों के बीच रहकर मशरूम फार्मिंग करना शुरू किया। जिससे गांव के लोगों को जीवन जीने में मदद मिल सके। हिरेशा ने 2013 के अंत में मशरूम फार्मिंग करने की शुरुआत की थी। 2 हजार रुपये कि लागत से हिरेशा ने मशरूम फार्मिंग की शुरुआत की थी। आज इसका सालाना टर्नओवर 1.5 करोड़ रुपए तक हो गया है। हिरेशा फिलहाल अपने फार्म में 9 तरह के मशरूम उगाती हैं और दो हजार से ज्यादा लोगों को रोजगार दे रहीं है। उन्होंने मशरूम की खेती करने के लिए हिमाचल के डायरेक्टरेट ऑफ़ मशरूम रिसर्च से एक महीने की ट्रेनिंग ली। फिर 2 हजार की लागत से घर में ही मशरूम उगाने का काम शुरू कर दिया। 4 महीने बाद जब हिरेशा ने मशरूम को मार्केट में बेचना शुरू किया, तो उन्हें 5 हजार रुपये मिले।

500 से ज्यादा मशरूम के बॉक्स लगाए

इसके बाद हिरेशा ने एक गांव में छोटी सी जमीन किराए पर ली और एक झोपड़ी बनाकर मशरूम का सेटअप जमाया। उन्होंने इस झोपड़ी एक समय में 500 से ज्यादा मशरूम के बॉक्स लगाए, जिससे जल्दी मशरूम निकले और इन्हें बेचने पर उनकी अच्छी कमाई हुई, जिसके बाद उन्होंने गांव के लोगों को मशरूम फार्मिंग से जोड़ने के लिए किसानों और महिलाओं को मशरूम फार्मिंग की फ्री ट्रेनिंग दी।

गांव वालों ने हिरेशा के इस आइडिया का समर्थन किया और उनके साथ जुड़ते गए। हिरेशा के साथ आब तक 2 हजार से ज्यादा किसान जुड़े चुके हैं, जिनमें से ज्यादातर महिलाएं वो हैं जो 2013 में उत्तराखंड में आई बाढ़ त्रासदी से प्रभावित हैं।

बैंक से 80 लाख रुपए का लोन लिया

आपको बता दें कि मशरूम कि खेती ठंड़े माहौल में हि की जा सकती है। इसलिए गर्मी के सीजन में मशरूम का प्रोडक्शन नहीं हो रहा था. इस समस्या को सुलझाने के लिए हिरेशा ने बैंक से 80 लाख रुपए का लोन लिया और मशरूम फार्मिंग के लिए AC रूम का सेटअप तैयार किया। जिसका फायदा भी बहुत हुआ और उन्होंने ओएस्टर मशरूम, बटन, मिल्क के‌‌मिनी सहित 9 तरह के मशरूम उगाने शुरू कर दिया। आज उनके पास 10 AC रूम है, जहां प्रतिदिन एक टन मशरूम का उत्पादन किया जाता है.

हिरेशा बीते दो साल से मशरूम फार्मिंग में वैल्यू एडिशन पर काम कर रहीं हैं। उन्होंने 'Han Agrocare' के नाम से कंपनी को रजिस्टर किया है। अब वह मशरूम की प्रोसेसिंग से कॉफी, पापड़, सूप, अचार, चाय, जैसे कई प्रोडक्ट तैयार को करती हैं। साथ ही उनके प्रोडक्ट को अब वह ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों ही प्लेटफॉर्म को इस्तेमाल से बेच रही हैं।

Ragini Sinha

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