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पीएम मोदी का 'जय केदार', 400 करोड़ की योजनाओं की दी सौगात, आपदा को याद कर हुए भावुक

PM Modi In Kedarnath : पीएम मोदी ने कहा कि आज यहां भगवान भोले की नगरी में आधुनिकता के साथ कार्य हो रहा है और निर्माण कार्य की गति तेजी से आगे बढ़ रही है।

Rahul Singh Rajpoot
Written By Rahul Singh RajpootPublished By Vidushi Mishra
Published on: 5 Nov 2021 11:54 AM IST (Updated on: 5 Nov 2021 11:56 AM IST)
पीएम मोदी का जय केदार, 400 करोड़ की योजनाओं की दी सौगात, आपदा को याद कर हुए भावुक
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PM Modi In Kedarnath : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज उत्तराखंड के दौरे पर हैं। पीएम मोदी सुबह बाबा केदारनाथ के धाम पहुंचे हैं और पूजा अर्चना के बाद केदारनाथ में 400 करोड़ की परियोजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण किया है। विकास कार्यों का जायजा लेने के बाद केदारनाथ के दर से लोगों को संबोधित करते हुए पीएम मोदी 2013 की आपदा को याद करते हुए भावुक हो गए।

उन्होंने कहा मेरा दिल पूरी तरह से टूट गया था, जिस मिट्टी मुझे पाला पोसा उसकी ताकत से मैंने साहस के साथ फैसला लिया और सेवा करते हुए बाबा केदारनाथ की घाटी को फिर से बसाने का फैसला लिया।

तेजी से और खुले प्रयासों से विकास कार्य

उन्होंने कहा कि आज पहले से ज्यादा अच्छे और मजबूती के साथ बाबा केदारनाथ धाम को फिर से खड़ा कर दिया गया है। यहां निर्माण कार्य तेजी हो रहा है और आज आधे से ज्यादा कार्य पूरा हो चुका है।

पीएम मोदी ने कहा कि आज यहां भगवान भोले की नगरी में आधुनिकता के साथ कार्य हो रहा है और निर्माण कार्य की गति तेजी से आगे बढ़ रही है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इसका क्रेडिट कोई इंसान नहीं यह ईश्वर की कृपा ही है कि यह इतनी तेजी से और खुले प्रयासों से विकास कार्य आगे बढ़ रहा है।

फोटो- सोशल मीडिया

उन्होंने कहा कि उत्तराखंड सरकार का और इसकी जिम्मेदारी उठाने वाले सभी लोगों का हृदय से धन्यवाद करता हूं। जिन्होंने एड़ी चोटी का जोर लगा करके इस सपनों को पूरा किया है। मुझे पता है यहां बर्फबारी तेजी से होती है। बर्फबारी के बीच भी हमारे श्रमिक भाई-बहन, अधिकारी यहां के काम को ईश्वरी का निर्माण मानकर उसे पूरा करने में लगे हैं और किया भी है।

उन्होंने कहा मैं प्रधानमंत्री रहने से पहले ही भगवान शिव से विशेष रूप से जुड़ा रहा हूं। मुझे यहां आने का सौभाग्य मिलता रहा है, लेकिन 2013 की आपदा के बाद पूरी तरह से मन टूट गया था कि कैसे होगा, लेकिन मजबूत इरादों ने उसे डिगने नहीं दिया और भगवान केदारनाथ की घाटी को फिर से उसी तरह तैयार कर दिया है जैसा कि था।

केदार की सेवा से बड़ा पुण्य कुछ भी नहीं

आज यहां पहले से ज्यादा टेक्नोलॉजी की मदद से इसे विस्तृत रूप से तैयार किया गया है। जिससे अब कोई आपदा आए तो भगवान को छू भी ना पाए। आज केदारनाथ घाटी फिर से खड़ा हो गया है और विश्वास के साथ कार्य होने का संतोष हो रहा है।

उन्होंने कहा कि केदार की सेवा से बड़ा पुण्य कुछ भी नहीं है और मैं इस कार्य को निरंतर करता रहूंगा। पीएम मोदी ने कहा करोड़ों शिव भक्तों के लिए इससे बड़ा सौभाग्य और क्या हो सकता है कि बाबा केदारनाथ पहले की तरह अपने रूप में फिर से आ चुके हैं।

फोटो- सोशल मीडिया

उन्होंने कहा केदारनाथ मंदिर के सभी राउल और सभी पुजारियों का भी विशेष रूप से धन्यवाद अर्पित करना चाहता हूं। क्योंकि उनके सहयोग के बगैर यह विकास कार्य नहीं हो सकता था। उनके सकारात्मक रवैया से ही यहां इतनी तेजी से विकास कार्य चल रहा है। हम इस पुरानी विरासत को उनके कारण ही बचा पाए और इसे अब आधुनिकता के साथ जोड़कर आगे बढ़ा रहे हैं।

आदि शंकराचार्य जी को नमन

प्रधानमंत्री ने आदि शंकराचार्य जी को नमन करते हुए कहा कि संकरो, संकरा साक्षात शंकराचार्य भगवान शंकर के ही साक्षात स्वरूप थे। जिन्होंने 12 ज्योतिर्लिंग, छोटे बड़े शिव के धाम और चारधाम की स्थापना कराई। उनका ज्ञान अद्भुत था, शास्त्रों का ज्ञान, विज्ञान का ज्ञान अलौकिक था।जिस उम्र में एक साधारण आदमी साधारण रूप से संसार की बातों को देखना और सुनना और समझना चाहता है।

थोड़ी जागरूकता बढ़ती उस उम्र में उन्होंने वेदांत की गहराई में जाकर पूरे देश को एक धागे में बांध दिया। यह शंकर के भीतर साक्षात शंकरतव का जागरण के सिवाय और कुछ नहीं है। निकाह के चार धाम सड़क पर योजना पर तेजी से काम हो रहा है चारों धाम हाईवे से जुड़ रहे हैं भविष्य में यहां केदारनाथ जी तक श्रद्धालु अपनी कार से आ सके इसके लिए भी कार्य चल रहा है।

पवित्र हेमकुंड साहब भी हैं हेमकुंड हेमकुंड साहब जी के भी दर्शन के लिए वहां भी रोवे बनाने की दिशा में कार्य आगे बढ़ना शुरू हो गया है इसके अलावा ऋषिकेश और करणप्रयाग को भी रेल से जोड़ने का प्रयास चल रहा है। पहले कहा जाता था कि पहाड़ के लोग रेल नहीं देख पाते अब यहां से आएगी और जाएगी भी।

अयोध्या, काशी सहित सभी देवस्थलों का हो रहा विकास

फोटो- सोशल मीडिया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या, काशी में हो रहे तेजी से विकास कार्यों का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि सैकड़ों साल के बाद भगवान राम का भव्य मंदिर बनने का काम शुरू हो गया है। उसकी पुरानी पहचान मिलनी शुरू हो गई है। अभी 2 दिन पहले ही यहां दो दिन पहले दीपोत्सव का भव्य कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिससे अयोध्या को उनका पौराणिक गौरव हासिल हुआ है।

उन्होंने कहा कि काशी में भी विकास कार्य तेजी से चल रहा है। बाबा विश्वनाथ का कॉरिडोर पूरी तरह से बनकर तैयार हो गया है। इसके साथ ही बनारस में छोटे-बड़े मंदिरों का भी कायाकल्प चल रहा है। जा और मथुरा में भी तेजी से विकास कार्य चल रहा है पीएम मोदी ने कहा कि भारत के पौराणिक मूल्यों को बनाए रखने के लिए उनकी सरकार प्रतिबद्ध है और उस पर कार्य कर रही है।

पीएम मोदी ने कहा कि पहले कार्य को पूरा करने के लिए कोई समय सीमा नहीं होती थी लेकिन अब कार्यों को पूरा करने के लिए डेडलाइन तय की जाती है। यह आप सब के सहयोग से ही हम एक मिला है। पति आने वाला दशक उत्तराखंड का होगा और पहले यहां कहा जाता था कि उत्तराखंड की जवानी और पानी यहां के लोगों के लिए नहीं है लेकिन अब यह बदल दिया गया है।

अब उत्तराखंड का पानी और जवानी यहां के लोगों के लिए काम आएगा। ऋषि और मुनियों देशभर के साधु-संतों भगवान चरणों भगवान केदारनाथ के चरणों में आदि शंकराचार्य के चरणों में प्रणाम करते हुए जय केदार का जयकारा भी लगाया।

आदि शंकराचार्य कौन थे?
Adi Shankara Kon The

शंकर आचार्य का जन्म केरल में कालपी 'काषल' नामक गांव में करीब 507-50 ई. पूर्व में हुआ था। इनके पिता का नाम शिवगुरु भट्ट और माता का नाम सुभद्रा था। शिवगुरु ने बहुत दिन तक सपत्नीक शिव की आराधना करने के के बाद पुत्र-रत्न पाया था, जिसका नाम उन्होंने शंकर रखा। जब शंकराचार्य 3 साल के थे तभी इनके पिता का देहांत हो गया था।

फोटो- सोशल मीडिया

शंकर बड़े ही मेधावी और प्रतिभाशाली थे। 6 साल की उम्र में ही वह प्रकांड पंडित हो गए थे और आठ साल की अवस्था में इन्होंने संन्यास ले लिया था। इस दौरान उन्होंने भारतवर्ष के चारों कोनों में चार मठों की स्थापना की थी, जो अब तक प्रसिद्ध और पवित्र माने जाते हैं।

ये चारों मठों के नाम हैं-
Char Matho Ke Naam

-ज्योतिष्पीठ बदरिकाश्रम

-श्रृंगेरी पीठ

-द्वारिका शारदा पीठ

-पुरी गोवर्धन पीठ

इन्होंने अपने धर्म में कई विधर्मियों को भी दीक्षित किया था। इन्हें शंकर का ही एक रूप माना जाता है। इन्होंने सनातन धर्म के वैभव को बचाने और सम्पूर्ण भारत को एकता के सूत्र में पिरोने में बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान दिया।



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Vidushi Mishra

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