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क्या धामी महारथियों के चक्रव्यूह में अभिमन्यु बन कर फंस जाएंगे या निकल पाएंगे बाहर

Pushkar Singh Dhami : सूत्रों का कहना है कि केंद्रीय शिक्षामंत्री पद से मुक्त होने के बाद रमेश पोखरियाल निशंक अब खाली हो गए हैं। तमाम अफसर अब धामी के यहां हाजिरी लगाने के बजाय निशंक के दरबार में चेहरा दिखाने पहुंच रहे हैं।

Ramkrishna Vajpei
Written By Ramkrishna VajpeiPublished By Shivani
Published on: 24 July 2021 5:29 PM GMT
Pushkar Singh Dhami
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सीएम पुष्कर सिंह धामी (फोटो: सोशल मीडिया)

Pushkar Singh Dhami : उत्तराखंड के युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी बहुत तेजी से मिशन-2022 को फोकस कर आगे बढ़ रहे हैं। वह इस बात की सारी सावधान बरत रहे हैं कि केंद्रीय नेतृत्व का उनपर जताया गया विश्वास डगमगाने न पाए। लेकिन वह इस बात को नहीं समझ रहे हैं कि उनको चुनौती पार्टी के बाहर नहीं पार्टी के भीतर से है। उन्हें खतरा कौरवों से नहीं पार्टी के पांडवों से हैं। कुल मिलाकर उत्तराखंड की राजनीति से जुड़े विश्लेषकों का कहना है कि मुख्यमंत्री पद के लिए धामी का चयन सही है लेकिन उनकी राह में रोड़े पार्टी के दिग्गजों की ओर से ही अटकाये जाने हैं। जो कि एक सूत्री मिशन को लेकर चल रहे हैं।

देहरादून स्थित एक वरिष्ठ भाजपा नेता का कहना है कि धामी की स्थिति महाभारत के चक्रव्यूह में फंसे अभिमन्यु के जैसी है जिसमें अभिमन्यु खुद धामी हैं और भाजपा के ही तमाम महारथी इस चक्रव्यूह की किलेबंदी मजबूत करने में जुटे हैं।

सूत्रों का कहना है कि केंद्रीय शिक्षामंत्री पद के दायित्व से मुक्त होने के बाद रमेश पोखरियाल निशंक अब खाली हो गए हैं। पूर्व मुख्यमंत्री निशंक की उत्तराखंड में मजबूत लॉबी पर पकड़ है। तमाम अफसर अब धामी के यहां हाजिरी लगाने के बजाय निशंक के दरबार में चेहरा दिखाने पहुंच रहे हैं।


यही हाल त्रिवेंद्र सिंह रावत का है जो कि चार वर्ष कुछ महीने तक मुख्यमंत्री के रूप में पहाड़ी राज्य में सत्ता सुख भोगने के बाद अब खाली हो चुके हैं। धामी का कद बढ़ता कद उन्हें कत्तई नही भा रहा है। उत्तराखंड की राजनीति में त्रिवेंद्र सिंह रावत का अभी भी अच्छा दखल है।

पूर्व मुख्यमंत्री मेजर जनरल भुवन चंद्र खंडूरी की बात करें तो उनके सामने पुष्कर सिंह धामी की हैसियत बच्चे जैसी है। धामी को उनका वरद हस्त कितना मिला है यह आने वाला वक्त बताएगा।

तीरथ सिंह रावत भले अपनी असफलता के चलते हटाए गए हों लेकिन धामी के लिए वह भी चक्रव्यूह के महारथी ही साबित होंगे। इसके अलावा भगत सिंह कोश्यारी भी तो पूर्व सीएम हैं हालांकि धामी उन्हें अपना राजनीतिक गुरु मानते हैं लेकिन राजनीति में सब कुछ संभव है।

वैसे तो मदन कौशिक इस समय उत्तराखंड भाजपा के अध्यक्ष हैं लेकिन उन्हें हटाए जाने की बातें जिस तरह से राज्य की फिजाओं में तैर रही हैं उस स्थिति में वह भी धामी की राह में फूल तो नहीं ही बोएंगे।


इसके अलावा सतपाल महाराज व हरक सिंह रावत को साधना भी नये मुख्यमंत्री के लिए एक बड़ी चुनौती है। क्योंकि जब धामी का मुख्यमंत्री पद के लिए नाम फाइनल हो रहा था उस समय दिल्ली पहुंच कर ताल ठोंकने वाले सतपाल महाराज व हरक सिंह रावत ही थे। हालांकि फिलहाल दोनो शांत हैं। पूर्व मुख्यलमंत्रियों तीरथ सिंह रावत और त्रिवेंद्र सिंह रावत की नाराजग की पुष्टि तो वरिष्ठ नेता बिशन सिंह चुफाल ने भी की थी। इसलिए ऐसे में राजनीति के इस युवा खिलाड़ी के लक्ष्य के सामने दिग्गज और माहिर योद्धा बड़ी चुनौती साबित हो सकते हैं।

Shivani

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