TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

उत्तराखण्ड : 2018 में बड़े भूकंपों के आने की संभावना, भयावह होंगे नतीजे

raghvendra
Published on: 17 Feb 2018 5:06 PM IST
उत्तराखण्ड : 2018 में बड़े भूकंपों के आने की संभावना, भयावह होंगे नतीजे
X

देहरादून। वैज्ञानिकों का मानना है कि 2018 में बड़े भूकंपों के आने की संभावना है जिसके भयावह नतीजे आएंगे। जियोलाजिकल सोसाइटी ऑफ अमेरिका की सालाना मीटिंग में रखे गए एक अध्ययन में यह आशंका जतायी गई है जिसमें कहा गया है कि घनी आबादी वाले इलाकों में यह त्रासदी भयावह हो सकती है।

मोंटाना विश्वविद्यालय के रेबेक्का बेंडिक के साथ कोलोराडो यूनिवर्सिटी के रोजर बिल्हाम ने अपने रिसर्च पेपर में कहा है कि 2018 में बड़े भूकंपों की आवृत्ति में वृद्धि हो सकती है। उन्होंने यह बात पृथ्वी की गति और भूकंपों के बीच गहरे संबंधों के आधार पर कही है।

ये भी पढ़ें... उत्तराखंड : बिना राजस्व चुकाए व्यापार कर रहे हैं अपंजीकृत व्यवसायी

वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलाजी के वैज्ञानिकों ने भी हाल में चेतावनी दी है कि क्षेत्र में बहुत जल्द एक बड़े भूकंप का खतरा है। इंडियन प्लेट प्रतिवर्ष 45 मिलीमीटर की रफ्तार से यूरेशियन प्लेट के नीचे खिसक रही है। इसके अलावा नॉर्वेजियन रिसर्च इंस्टीट्यूट नोरसार, वाडिया इंस्टीट्यूट और आईआईटइी रुडक़ी के वैज्ञानिकों के संयुक्त अध्ययन में भी उत्तराखंड में बड़े भूकंप के लिए तैयार रहने की चेतावनी दी जा चुकी है।

वैज्ञानिकों का कहना है कि इस क्षेत्र में रिक्टर स्केल पर नौ तीव्रता तक का भूकंप आने का खतरा है जिससे भारी तबाही हो सकती है। यह भी कहा जा रहा है कि क्षेत्र में 700 सालों से बड़ा भूकंप नहीं आया है, इसने क्षेत्र में बड़े भूकंप के खतरे को बढ़ा दिया है। वैज्ञानिकों के अनुसार यदि देहरादून में पांच तीव्रता का भूकंप भी 10 किलोमीटर की गहराई में आता है तो यहां छह प्रतिशत भवन नष्ट हो जाएंगे। अगर ये भूकंप रात के समय आया तो जानमाल का और अधिक नुकसान हो सकता है।

भूकंप की दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्रों को विभिन्न जोन में बांटा गया है। जोन 5 में हिमालय, गुवाहटी और श्रीनगर जैसे क्षेत्र आते हैं, जबकि जोन 4 में देहरादून, दिल्ली, जमुनानगर, पटना, मेरठ, जम्मू, अमृतसर और जालंधर आते हैं। वहीं, जोन 3 में अहमदाबाद, बड़ोदरा, राजकोट, सूरत, मुंबई, आगरा, विभाड़ी, नासिक, कानपुर, पुणे, भुवनेश्वर, कटक, आसनसोल, कोच्चि, कोलकाता, वाराणसी, बरेली, लखनऊ, इंदौर, जबलपुर, विजयवाड़ा, धनबाद, चेन्नई, कोयंबटूर, मैंगलोर, कोजीकोढ, त्रिवेन्द्रम आते हैं।

विशेषज्ञों की मानें तो उत्तराखंड में जिस प्रकार से लगातार भूकंप के झटके महसूस किए जा रहे हैं, उसे बड़े खतरे का संकेत भी हो सकते हैं। उत्तराखंड समेत उत्तर भारत के तमाम राज्यों में बड़े भूकंप की आशंका हर वक्त बनी रहती है और ये भूकंप आने वाले दिनों से लेकर 50 साल बाद भी आ सकता है। हिमालयी क्षेत्र की भूगर्भीय प्लेटों का लगातार तनाव में रहना इसकी मुख्य वजह है।

वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. सुशील कुमार भी कहते हैं कि उत्तराखंड समेत समूचे उत्तर भारत में लंबे समय से बड़ा भूकंप नहीं आया है। इस आधार पर कहा जा सकता है कि यहां धरती के भीतर भारी मात्रा में ऊर्जा संरक्षित हो सकती है, जो कभी भी बड़े भूकंप का सबब बन सकती है।

वाडिया संस्थान के ही एक और वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. अजय पाल के अनुसार वर्ष 2007 के बाद चार रिक्टर स्केल से अधिक के 14 भूकंप रिकॉर्ड किए गए हैं। इन सभी भूकंप में एक समानता यह है कि ये एमसीटी के दक्षिणी भाग पर आए हैं। इस जोन में प्रमुख रूप से रुद्रप्रयाग, चमोली, उत्तरकाशी व पिथौरागढ़ के जिले शामिल हैं। इससे लगता है कि यह भविष्य के बड़े भूकंप का संकेत हो सकता है। वैज्ञानिकों के अनुसार साउथ अल्मोड़ा थ्रस्ट को असक्रिय एरिया माना जाता रहा है। मगर सुयालबाड़ी (नैनीताल) से कालामुनि (मुनस्यारी) तक इसकी सक्रियता ने भविष्य के लिए खतरे के संकेत भी दिए हैं।



\
raghvendra

raghvendra

राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

Next Story