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Uttarakhand Sinking Town: जोशीमठ की तरह नैनीताल भी खतरे में, वक्त रहते नहीं संभले तो हालात होंगे बेकाबू
Uttarakhand Sinking Town: जोशीमठ की तरह नैनीताल की सड़कें और पहाड़ियां भी दरक रही हैं। शहर में दर्जनभर स्थान ऐसे हैं, जहां 6 इंच तक चौड़ी दरारें पड़ चुकी हैं।
Uttarakhand Sinking Town: हिमालय की गोद में बसा उत्तराखंड पर्यटकों का पसंदीदा गंतव्य स्थल रहा है। गर्मी के दौरान जब मैदानी इलाकों में तापमान असहनीय हो जाता है, तो लोग पहाड़ों की ओर शीतल हवा के लिए रूख करते हैं। उत्तर भारत के अधिकांश लोग हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड स्थित हिल स्टेशनों की ओर रूख करते हैं। लेकिन खूबसूरत हिल स्टेशनों वाला राज्य उत्तराखंड इन दिनों प्राकृतिक आपदा के कारण सुर्खियों में है। राज्य का ऐतिहासिक शहर जोशीमठ पल-पल अपना अस्तित्व खोता जा रहा है।
जोशीमठ में रह रहे लोगों के पास अपनी पुरखों की जमीन और घर से दूर हो जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। जोशीमठ की तरह राज्य का एक और जाना-माना हिल स्टेशन नैनीताल एक भयानक खतरे की ओर बढ़ रहा है। पर्यावरण विशेषज्ञ सरकार को चेता रहे हैं कि नैनीताल की संवेदनशील स्थिति पर जल्द नहीं दिया गया तो बहुत जल्द ये खूबसूरत हिल स्टेशन भी इतिहास के पन्नों में दर्ज होकर रह जाएगा।
दरक रही नैनीताल की पहाड़ियां
जोशीमठ की तरह नैनीताल की सड़कें और पहाड़ियां भी दरक रही हैं। शहर में दर्जनभर स्थान ऐसे हैं, जहां 6 इंच तक चौड़ी दरारें पड़ चुकी हैं। नैनीताल में 80 के दशक से ही लैंडस्लाइड, भू-धंसाव व भू-कटाव की घटनाएं सामने आ रही हैं। साल 2018 में बलियानाला में भारी भू-स्खलन के कारण अब तक 100 मीटर से अधिक का एरिया समाप्त हो गया। शहर के मालरोड के साथ ही भवाली मार्ग व स्टेनले क्षेत्र में कई स्थानों पर 20 मीटर तक लंबी दरारें उभर आईं। भू-वैज्ञानिकों ने नैनीताल में दर्जन भर ऐसे स्पॉट चिन्हित किए हैं, जहां लगातार जमीन धंस रही है।
सरकारी की अनदेखी से खतरे में भविष्य
भू-वैज्ञानिकों ने नैनीताल में दर्जन भर संवेदनशील जगहों को चिन्हित कर सरकार को इन जगहों पर निर्माण कार्य रोकने और ट्रीटमेंट कार्य शुरू करने की सलाह दी थी। सरकार की ओर से इन सलाहों की अनदेखी जारी है। ऐसे में अगर समय रहते हुए ट्रीटमेंट कार्य शुरू नहीं किया गया तो नैनीताल का हश्र भी जोशीमठ की तरह होना तय है।