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कोरोना के खौफ से बेपरवाह लोग, हिल स्टेशनों पर सैलानियों की बाढ़, अर्थव्यवस्था का है बुरा हाल
लॉकडाउन में मिली ढील के बाद लोग पहाड़ों की ओर कूच कर गए हैं, देश के तमाम हिल स्टेशनों पर सैलानियों की जबरदस्त भीड़ उमड़ी है जो इस महामारी को फिर से दावत दे रही है।
लखनऊ: देश में कोरोना की दूसरी लहर जैसे ही सुस्त पड़ी सरकार की ओर से मिली ढील के बाद लोग बेपरवार होकर घूमने फिरने लगे हैं, हिल स्टेशनों पर सैलानियों की इतनी भीड़ है कि होटल में कमरे नहीं बचे हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि कैसे लोग इस महामारी को फिर से हल्के में लेने लगे हैं। दूसरी लहर अभी पूरी तरह से खत्म नहीं हुई है और तीसरी लहर की आहट सुनाई देने लगी है। जैसे ही लॉकडाउन में ढील मिली लोग पहाड़ों की ओर कूच कर गए हैं, हिमाचल हो या फिर उत्तराखंड या फिर जम्मू-कश्मीर तमाम हिल स्टेशनों पर सैलानियों की जबरदस्त भीड़ उमड़ी है जो इस महामारी को फिर से दावत दे रही है।
होटल में नहीं मिल रहा कमरा
लोगों की भीड़ सड़क लेकर होटलों तक इस तरह है कि सभी होटल फुल हो गए हैं। हालांकि इससे पर्यटन उद्योग से जुड़े लोगों के चेहरे जहां खिल उठे हैं तो वहीं कोरोना की तीसरी लहर का खतरा भी बढ़ गया है। भीड़ में लोग कोरोना के किसी गाइडलाइन का पालन करते नहीं दिखाई दे रहे हैं। ज्यादा भीड़ के चलते ये इलाके कोरोना स्प्रेड का बड़ा हॉट स्पॉट बन सकते हैं। अगर कोरोना की तीसरी लहर आई तो स्थिति भयावह होगी, इसकी वजह ये लापरवाही बन सकती है जो एक बार फिर लोगों की जिंदगी पर भारी पड़ सकती है।
नहीं दिख रहा कोरोना का खौफ
ये बात सही है कि बीते करीब दो साल से लोग अपने घरों में कैद हैं लेकिन जिस तरह से हिल स्टेशनों पर सैलानियों की भीड़ उमड़ी है और उनमें कोरोना का कोई खौफ नहीं दिख रहा है वह हैरान करने वाला है। क्योंकि अभी कुछ दिन पहले ही कोरोना की दूसरी लहर से हजारों लोगों की जान चली गई। हैरत की बात तो ये है कि पर्यटकों के चेहरों पर कोरोना का बिल्कुल भी नज़र नहीं आ रहा। लोग धड़ल्ले से बिना मास्क, सोशल डिस्टनसिंग और एकसाथ जमघट लगाकर होटलों, रेस्टोरेंट्स और ढाबों में लंच, ब्रेकफास्ट और डिनर करते, नदी नालों में सैकड़ों की संख्या में नहाते नज़र आ रहे हैं। जबकि WHO की मानें तो अभी भी कोरोना की तीसरी लहर का ख़तरा इंसानी दुनिया पर काले बादलों की तरह मंडरा रहा है।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने जताई चिंता
देश में जैसे-जैसे कोरोना के मामलों में कमी आ रही है, लोग घूमने के लिए फिर से हिल स्टेशनों का रूख कर रहे हैं। पिछले कुछ दिनों से ऐसी ही तस्वीरें सोशल मीडिया पर काफी वायरल भी हो रही हैं, जिसमें पहाड़ी इलाकों में भारी मात्रा में सैलानी देखे जा रहे हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस पर अपनी चिंता जताई है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि यदि लोग कोरोना प्रोटोकॉल का पालन नहीं करते हैं, तो सरकार फिर से पाबंदियां लगा सकती है।
लोग लुटा रहे हैं पैसा
लॉकडाउन में मिली ढील के बाद लाखों लोग हिल स्टेशनों का रुख किया है, कोई कार से तो कोई बस से कोई बाइक से तो कोई ट्रेन से अलग-अलग हिल का लुत्फ उठा रहे हैं। इससे बाजार गुलजार हैं और लोग जमकर खरीददारी भी कर रहे हैं। जिस तरह से ये भीड़ उमड़ी है उसे देखकर यही कहा जा सकता है कि इन लोगों के पास पैसों की कोई कमी नहीं है, भले ही देश की अर्थव्यवस्था आईसीयू में हो और करोड़ों लोगों के सामने अजीविका चलाने का संकट हो।
यूपी में खुले मॉल-होटल
यूपी में 5 जुलाई से मल्टीप्लेक्स, सिनेमाहॉल, स्टेडियन और जिम इत्यादि को खोल दिया गया है। जिसके बाद मॉल, रेस्टोरेंट, पार्कों में लोगों की काफी भीड़ दिखाई दे रही हैं। लोग कोरोना गाइडलाइन का भी पालन नहीं कर रहे हैं।
कोरोना से चौपट हुई अर्थव्यवस्था
कोरोना महामारी से जूझ रही भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आशंकाएं बढ़ रही हैं और लोगों को लग रहा है कि यह अनुमान से भी कम विकास कर पाएगी। इसे इससे समझा जा सकता है कि अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेन्सी स्टैंडर्ड एंड पूअर (एस एंड पी) ने भारत की अनुमानित विकास दर में कटौती कर दी है। एस एंड पी ने पहले कहा था कि भारतीय अर्थव्यवस्था 11 प्रतिशत की दर से विकास दर्ज कर लेगी, पर अब उसका मानना है कि इसमें 9.5 प्रतिशत का ही विकास होगा। यानी, पहले के अनुमान से 1.5 प्रतिशत कम विकास होने की संभावना है।
एनएसओ का आंकड़ा
केंद्र सरकार की संस्था नेशनल स्टैटैस्टिकल ऑफ़िस (एनएसओ) ने भी कहा है कि वित्तीय वर्ष 2020-21 की अंतिम तिमाही यानी जनवरी 2021 से मार्च 2021 के बीच विकास दर शून्य से छोड़ा ऊपर यानी 1.6 प्रतिशत पर रहा। यह विकास दर खुश होने की नहीं चिंतित होने की बात है क्योंकि इस दौरान लॉकडाउन पूरी तरह हट चुका था और कामकाज सामान्य हो गया था। इसके बावजूद यह विकास दर यह संकेत देती है कि भारतीय अर्थव्यवस्था चौपट हो चुकी है।
गौरतलब है कि इसके पहले वित्तीय वर्ष 2019-20 में 4 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई थी जो 11 वर्ष में सबके कम विकास दर थी। अर्थव्यरवस्था के लिहाज यह खराब प्रदर्शन उत्पादन और निर्माण क्षेत्रों के सिकुड़ने की वजह से हुआ था। वित्तीय वर्ष 2020-21 की पहले तिमाही यानी अप्रैल 2020 से जून 2020 के दौरान विकास दर झटका खाते हुए -24.38 रही थी। बता दें कि इस साल वित्तीय घाटा 78 हज़ार करोड़ रुपये का रहा है, जो पिछले साल के 2.9 लाख करोड़ रुपये के मुक़ाबले काफी कम है। अप्रैल में आठ कोर इंडस्ट्री यानी आठ मूलभूत उद्योगों की वृद्धि दर की बात करें तो यह 56.1 फीसदी रही है।
देश में कोरोना का हाल
देश में कोरोना के वायरस की दूसरी लहर के बीच बुधवार को कोविड-19 के नए मामलों में वृद्धि दर्ज की गई है। बुधवार को 43 हजार से ज्यादा नए मामले आए हैं, जबकि मंगलवार को यह आंकड़ा 34,703 पर था। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से बुधवार को जारी ताजा आंकड़ों के मुताबिक, भारत में पिछले 24 घंटे में 43,733 नए मामले सामने आए हैं। इस दौरान, 930 लोगों की मौत हुई है। कोरोना से मौतों के आंकड़े में वृद्धि हुई है, मंगलवार को यह आंकड़ा कल 553 पर था।