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Uttarakhand News: अंधेरे में गुमनाम, 7 महीने बाद भी नहीं कोई सुनवाई, आखिर कौन लड़ेगा उसकी लड़ाई, जानिए बाघ की पूरी कहानी
Uttarakhand News: नैनीताल के चिड़ियाघर के रेस्क्यू सेंटर के अंधेरे बांडे में एक बाघ 7 महीने से बंद है। जिसको आदमखोर बताकर गिरफ्तार किया गया था। लेकिन, रिपोर्ट आज तक नहीं आ पायी है।
Uttarakhand News: नैनीताल के चिड़ियाघर के रेस्क्यू सेंटर के अंधेरे बाड़े में एक बाघ 7 महीने से बंद है। जिसको आदमखोर बताकर गिरफ्तार किया गया था। लेकिन, अफसरों की लापरवाही के कारण रिपोर्ट आज तक नहीं आ पायी है कि बाघ वास्तव में आदमखोर है या नहीं। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि बाघ को जल्द जंगलों में नहीं छोड़ा गया तो वह शिकार करने की क्षमता खो बैठेगा।
बता दें कि जून 2022 में खटीमा विधानसभा के सुरई वन रेंज में एक बाघ ने तीन लोगों सहित कुछ मवेशियों को मार दिया था। जिसके बाद वन विभाग ने एक बाघ को पिंजरे में कैद कर लिया था। जिसे नैनीताल के चिड़ियाघर में बने रेस्क्यू सेंटर में भेज दिया गया था। इसके बाद बाघ के डीएनए सैंपल लिए गये थे, ताकि इस बात की पुष्टि जा सके कि पकड़ा गया बाघ आदमखोर है या नहीं। लेकिन, वन्यजीव संस्थान देहरानदून ने अभी तक रिपोर्ट नहीं दी है। नियमानुसार रिपोर्ट एक महीने के अंदर मिल जानी चाहिए।
जानें कैसे होती है आदमखोर होने की पुष्टि ?
वन विभाग के पशु चिकित्सक के मुताबिक बाघ के हमले में मारे गए व्यक्ति के घटनास्थल से नमूने एकत्र किए जाते हैं। पकड़े गए बाघ के डीएनए के नमूनों से इसका मिलान किया जाता है। जिससे पता चलता है कि बाघ आदमखोर है या नहीं। यदि बाघ के आदमखोर होने की पुष्टि हो जाती है तो उसे हमेशा कैद में रखा जाता है भविष्य में कभी नहीं छोड़ा जाता है। लेकिन खटीमा में गिरफ्तार किए गए बाघ की रिपोर्ट आज तक नहीं आयी है, जिसके चलते ये बाघ चिड़ियाघर के बाड़े में बंद है।
शिकार करने की क्षमता खो देगा बाघ : पशु चिकित्सक
पशु चिकित्सक डॉ. पांगती के अनुसार अगर लंबे समय तक किसी शिकारी जानवर को बाड़े में रखा जाता है, तो उसके शिकार करने की क्षमता खत्म या कम हो जाती है। इसलिए अधिकतम एक महीने के भीतर उसे वापस जंगल में छोड़ा जाना चाहिए। लंबे समय तक चिड़ियाघर या पिंजरे में बंद जानवर दोबारा जंगल में छोड़े जाने पर असहज हो जाता है और खुद का भोजन भी नहीं जुटा पाता है। इसलिए पकड़े गये बाघ को एक महीने के अंदर छोड़ दिया जाना चाहिए।