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उत्तराखंड के ये दो गांव नहीं चाहते शहर का हिस्सा बनना
उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने बाड़ाहाट (उत्तरकाशी) नपा के सीमा विस्तार के बाद शामिल हुए दो गांव बड़ेथी एवं मातली बरसाली के मामले में राज्य सरकार से जवाब मांगा है। सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए पांच सप्ताह का समय दिया गया है।
नैनीताल: उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने बाड़ाहाट (उत्तरकाशी) नपा के सीमा विस्तार के बाद शामिल हुए दो गांव बड़ेथी एवं मातली बरसाली के मामले में राज्य सरकार से जवाब मांगा है। सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए पांच सप्ताह का समय दिया गया है।
हाईकोर्ट ने यह जवाब तलब बड़ेथी निवासी बबीता परमार और मातली निवासी चंद्रकला की अलग-अलग जनहित याचिकाओं की सुनवाई करते हुए तलब किया है। मुख्य न्यायाधीश केएम जोसफ और न्यायमूर्ति वीके विष्ट की संयुक्त खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई की।
याचिकाकर्ता का कहना राज्य सरकार ने 22 सितंबर 2017 को एक शासनादेश जारी किया है। इस शासनादेश के तहत तहसील डुंडा की इन ग्राम सभाओं को बाड़ाहाट नगर पालिका में मिलाया गया है जबकि सरकार का यह फैसला गलत है। इसमें कहा गया है कि इस गांव के अधिकतर लोग कृषि से जुड़े हैं और बेरोजगारी भी झेल रहे हैं। ये लोग सरकारी टैक्स भी जमा नहीं कर सकते हैं। इस मामले में शहरी विकास सचिव को अनुरोध पत्र भेजा जा चुका है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि अभी तक इसमें कुछ भी नहीं किया गया है। इससे ग्रामीण परेशान हैं।