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Uttarakhand Aapda 2021: उत्तराखंड आपदा ने कुमाऊं में पर्यटन कारोबार की तोड़ी कमर, 100 करोड़ नुकसान का अनुमान
Uttarakhand Aapda 2021: उत्तराखंड में इस हालिया आपदा से कुमाऊं मंडल और वहां के पर्यटन कारोबार को करीब 100 करोड़ रुपए से अधिक के राजस्व का नुकसान हुआ है।
Uttarakhand aapda 2021: उत्तराखंड मतलब 'देवभूमि'। जहां देवताओं का वास है। लेकिन बीते दिनों जिस तरह वहां प्रकृति का कहर देखने को मिला, वह भयावह था। खौफनाक उनके लिए भी जो स्थानीय हैं और न भूलने वाला वाला मंजर उन सैलानियों के लिए जो प्रकृति के इस रौद्र रूप से अनजान यहां सुकून के पल बिताने आए थे। मौसम के अचानक करवट बदलने और भारी से बहुत भारी बारिश ने वहां के जनजीवन के साथ पर्यटन उद्योग को पूरी तरह चौपट कर दिया।
उत्तराखंड में इस हालिया आपदा से कुमाऊं मंडल और वहां के पर्यटन कारोबार को पूरी तरह से चौपट कर दिया है। एक अनुमान के मुताबिक, कुमाऊं मंडल में पर्यटन कारोबार को करीब 100 करोड़ रुपए से अधिक के राजस्व का नुकसान हुआ है। जानकार बताते हैं कि इस साल अभी 'बंगाली सीजन' शुरू ही हुआ था कि तीन दिनों तक ऐसी आपदा देखने को मिली जो अकल्पनीय था। इस आपदा की वजह से दशहरा की छुट्टियों में पहाड़ घूमने आए सैलानी किसी तरह जान बचाकर यहां से निकले हैं। बारिश से पहले सैलानियों से खचाखच भरे पर्यटक स्थल अब पूरी तरह वीरान हो चुके हैं। साथ ही, आपदा ने कुमाऊं मंडल के पर्यटन व्यवसाय को पूरी तरह घुटनों पर ला दिया है।
क्या है बंगाली सीजन (Bengali Season Kya Hai)
अब यहां कई पाठकों के मन में सहज सवाल उठना लाजमी है, कि बंगाली सीजन क्या होता है ? तो हम बताते हैं। दरअसल, बंगाली पर्यटकों की पसंदीदा जगह पिथौरागढ़ जिले का मुनस्यारी और चौकोड़ी है। बंगाली पर्यटकों की आवाजाही इन दोनों स्थानों पर विशेषकर होती है। खास बात यह है, कि बंगाली पर्यटक अपना रूट टनकपुर से चंपावत, लोहाघाट होते हुए तय करते है। लेकिन पर्यटक इन स्थानों पर ठहरना पसंद नहीं करते हैं। दशहरे के ठीक बाद बंगाली पर्यटन सीजन शुरू होता है। बंगाली पर्यटक उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल में भी विशेष तौर पर घूमने आते हैं। इस वजह से यहां का पर्यटन व्यापार चमक उठता है।
नवंबर तक थी एडवांस बुकिंग, अब कैंसिल
अब लौटते हैं ताजा हालात पर। हाल के आपदा और भूस्खलन से सड़कों के टूटने और रेल पटरियों के हवा में झूलने के नजारे पूरी दुनिया ने देखे। हालांकि, कुमाऊं की वादियों में मौजूद सैलानी किसी तरह यहां से अपने घरों को लौट चुके हैं। अल्मोड़ा, नैनीताल, चंपावत, पिथौरागढ़, बागेश्वर, मुन्स्यारी सहित आसपास के तमाम क्षेत्र अब लगभग वीरान हो चुके हैं। पर्यटन क्षेत्र से जुड़े कारोबारियों के अनुसार, कुमाऊं मंडल में तकरीबन 5,000 से अधिक छोटे-बड़े होटल और रिजॉर्ट हैं। जो यहां के हजारों लोगों को रोजगार देता है। बाहरी सैलानियों ने नवंबर तक की एडवांस बुकिंग करवा रखी थी, जो अब कैंसिल हो रही है।
चंपावत में भीं फंसे हैं पर्यटक
चंपावत पर्यटन विभाग के अनुसार, तीन दिनों की जबरदस्त बारिश के बावजूद जिले के किसी भी जगह में पर्यटक नहीं फंसे हैं, जबकि कुछ पर्यटन स्थलों को खासा नुकसान हुआ है। जिला पर्यटन विकास अधिकारी लता बिष्ट ने एक राष्ट्रीय दैनिक को बताया कि जिले के तीन पर्यटक स्थल टनकपुर, चंपावत और लोहाघाट की सुरक्षा दीवार और कुछ अन्य को नुकसान हुआ है। अभी नुकसान के सर्वे की रिपोर्ट नहीं आई है। लेकिन अनुमानतः 10 लाख रुपए के नुकसान का अनुमान है।
पिथौरागढ़ और आसपास होटल व्यवसाय को नुकसान
इस संबंध में, पिथौरागढ़ होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन के सचिव राकेश देवलाल ने बताया कि 'जिले में आपदा से पर्यटन कारोबार को तीन करोड़ से भी अधिक का नुकसान हुआ है। एक करोड़ अकेले कुमाऊं मंडल विकास निगम को और लगभग दो करोड़ पिथौरागढ़ और इसके आसपास के निजी होटल एंड रेस्टोरेंट वालों को हुआ है।'
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ने पर्यटकों को डराया
'होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन', नैनीताल के अध्यक्ष दिनेश साह का कहना है कि प्राकृतिक आपदा ने व्यापार को जितना नुकसान अभी नहीं दिया, उससे कहीं ज्यादा सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर प्रसारित होने की वजह से भविष्य में होने वाला है। साह कहते हैं, आपदा की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद कुमाऊं मंडल में आने वाले अन्य राज्यों के सैलानी डरे-सहमे हैं। पूरा कारोबार चौपट हो गया है। इसी कारण अग्रिम बुकिंग भी लगातार कैंसिल हो रही है।
100 करोड़ से अधिक का नुकसान
लेकिन सबसे अहम बात नॉर्दन होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन के निदेशक प्रवीण शर्मा कहते हैं, इस साल अक्टूबर में अच्छे कारोबार की उम्मीद थी। लेकिन प्राकृतिक आपदा ने पर्यटन कारोबार की कमर तोड़कर रख दी। कुमाऊं मंडल में करीब 100 करोड़ से अधिक का नुकसान होने का अनुमान है।
दशहरा के ठीक बाद आए इस प्राकृतिक आपदा ने उत्तराखंड पर्यटन और होटल व्यवसाय की कमर तोड़कर रख दी है। जिसे संभलने में अभी काफी वक्त लगेगा। इससे पहले बीते डेढ़ साल में कोरोना महामारी की वजह से यह व्यापार पहले ही अधमरा हुआ बैठा था, जिसे मौसम की मार ने अब घुटनों पर ला दिया है।