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चार धाम यात्रा रद्द: उत्तराखंड सरकार ने लिया बड़ा फैसला, 14 मई से होनी थी शुरू
मुख्यमंत्री ने कहा कि चारों धाम के कपाट अपने तय समय पर खुलेंगे। लेकिन केवल पुजारी और पुरोहित ही पूजा अर्चना करेंगे।
देहरादून: कोरोना महामारी के बढ़ते केसों के चलते उत्तराखंड(Uttrakhand) की मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत (CM Tirath Singh) ने चार धाम यात्रा रद्द कर दी है । ये यात्रा 14 मई को शुरू होने वाली थी। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के अनुसार कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है। आज गुरुवार को इस संबंध में एक बैठक आयोजित की गई थी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि चारों धाम के कपाट अपने तय समय पर खुलेंगे। लेकिन केवल पुजारी और पुरोहित ही धामों में पूजा अर्चना करेंगे। यात्रियों को वहां जाने की अनुमति नहीं होगी। मई में शुरू होने वाली चारधाम यात्रा को लेकर सरकार ने आज गुरुवार को उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद के सभागार में पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज की अध्यक्षता में बैठक की गई।
पिछले साल भी कोरोना के बढ़ते मामलों के चलते मई में कोरोना यात्रा को स्थगित कर दिया गया था लेकिन जुलाई में कोरोना गाइडलाइंस के साथ यात्रा को दोबारा शुरू किया गया था।
चारधाम यात्रा इस से होगी शुरू
केदारनाथ धाम के कपाट 17 मई को मेष लग्न में सुबह पांच बजे खोले जाएंगे। भगवान बद्री विशाल के कपाट श्रद्धालुओं के लिए 18 मई प्रातः 4:15 पर खोल दिए जाएंगे। गाडू घड़ा यात्रा 29 अप्रैल को सुनिश्चित की गई है। श्री गंगोत्री धाम व यमनोत्री धाम के कपाट 14 मई को खोले जाएंगे।
बता दें कि केदारनाथ और बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने की तारीख पहले ही घोषित की जा चुकी है। केदारनाथ के कपाट 17 मई को और बदरीनाथ के कपाट 18 मई को खोले जाएंगे। वहीं यमुनोत्री धाम के कपाट 14 मई और गंगोत्री धाम के कपाट 15 मई को खोले जाएंगे।
सीएम तीरथ सिंह रावत ने चारधाम यात्रा के लिए दो करोड़ रुपये की प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति प्रदान की थी। चारधाम यात्रा व्यवस्था के लिए आयुक्त, गढ़वाल मंडल को दो करोड़ रुपये की प्रशासकीय एवं वित्तीय स्वीकृति प्रदान की थी।
यात्रा कारोबारियों में निराशा
बीते सालों में चारधाम यात्रा के दौरान होटल ढाबों को सजाने संवारने का काम चलता था, लेकिन इस बार यात्रा के लिए हुई एडवांस बुकिंग रद्द होने से यात्रा कारोबारियों में निराशा हैं। इस बार किसी होटल ढाबा मालिक का फोन तक नहीं आया है। यमुनोत्री पैदल मार्ग पर डंडी-कंडी तथा घोड़ा-खच्चर चलाकर परिवार का पेट पालने वाले मजदूरों को भी आजीविका की चिंता सता रही है।