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उत्तराखंड : महेश योगी की चौरासी कुटी आएगी पर्यटन नक्शे में
देहरादून : उत्तराखंड सरकार आध्यात्मिक गुरु महेश योगी की तप: स्थली रही ऋषिकेश की चौरासी कुटी आश्रम को योग पर्यटन का केंद्र और इको टूरिस्ट हब बनाने की तैयारी है। इस आश्रम में आकर्षक स्वरूप में 84 कुटियां हैं। इसे पर्यटन से जोडऩे के लिए एक विस्तृत योजना तैयार की गई है जिसके तहत कई दशक तक वीरान रहे इस आश्रम को सजा संवारकर आध्यात्मिक योग पर्यटन के केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा। बहुत अधिक संभावना है कि मार्च के शुरू में होने वाले अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव तक इसे विकसित कर लिया जाए।
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महेश योगी के विदेश में रहने के कारण कई एकड़ जमीन में फैला चौरासी कुटी आश्रम सालों तक वीरान व निर्जन पड़ा रहा। जब तक वह यहां रहे यह योग के एक केंद्र के रूप में प्रसिद्ध रहा। वैसे तो महेश योगी के तमाम शिष्य देश विदेश से यहां भावातीत ध्यान योग सीखने आते रहे लेकिन बाद में उनके इसे छोडऩे के बाद यह स्थान बिल्कुल वीरान हो गया। चूंकि यह आश्रम टाइगर रिजर्व के किनारे था इसलिए यह आवारा पशुओं का डेरा बन गया था, हालांकि गेट पर ताला पड़ा रहता था। अब आश्रम की साफ सफाई हो चुकी है, बगीचे को विकसित किया जा रहा है और कुछ जगह बेंच भी लगाई जा रही हैं। इसे एक प्राकृतिक रुप दिया जा रहा है। अधिकारियों की मंशा इसके स्वरूप से कोई भी छेड़छाड़ किये बगैर इसे विकसित करने की है। अलबत्ता पर्यटकों की जरूरत को देखते हुए कुछ दुकानें इसके आसपास जरूर खोली जा सकती हैं।
हाल ही में इस आश्रम को आरंभिक चरण में पर्यटकों के लिए खोला जा चुका है। पूरे आश्रम में रंग बिरंगी चित्रकारी मोह लेती है। ऐसा प्रतीत होता है कि यह चित्रकारी भावातीत योग में एकाग्रता लाने के लिए की गई होगी।
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मशहूर रॉक बैंड के सदस्यों के यहां योग सीखने के लिए आने के बाद इस आश्रम का कुछ ज्यादा ही नाम हो गया। रॉक बैंड के सदस्यों ने इस दौरान तैयार कई गीतों को लेकर मशहूर व्हाइट एल्बम भी तैयार किया। रॉक बैंड के सदस्यों के यहां योग सीखने के 50 वर्ष पूरे होने पर उत्तराखंड सरकार की यहां एक विशाल कार्यक्रम आयोजित करने की भी तैयारी है। बहुत संभव है कि यह कार्यक्रम वन व पर्यटन विभाग मिलकर करें। प्रदेश के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज भी इसमें अपनी रुचि दिखा चुके हैं। हिमालय की तलहटी में बसे उत्तराखंड को देवभूमि या तपोभूमि कहा जाता है। यह वह भूमि है जिसने मानव जाति की भलाई के लिए अनगिनत संतों, योगियों, ऋषियों को जन्म दिया। जिन्होंने अपने ज्ञान के रस से पूरी दुनिया को सींचा। इसी तरह से इसी तपोभूमि से मौन साधना कर निकले महेश योगी ने पूरी दुनिया में अपने ज्ञान का परचम फहराया था और भावातीत ध्यान योग की एक नई विधा का सृजन किया था।