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Uttarakhand CM: बंगाल में ममता की ताजपोशी पर भाजपा ने बोला था हमला, अब उत्तराखंड में खुद दोहराई वही कहानी
Uttarakhand: उत्तराखंड के विधानसभा चुनाव में हार के बावजूद पुष्कर सिंह धामी को भाजपा विधायक दल का नेता चुन लिया गया है।
Uttarakhand CM: उत्तराखंड के विधानसभा चुनाव (Uttarakhand Election 2022) में हार के बावजूद पुष्कर सिंह धामी को भाजपा विधायक दल का नेता चुन लिया गया है। भाजपा ने मुख्यमंत्री को लेकर कई दिनों से ऊहापोह की स्थिति में फंसी हुई थी मगर शीर्ष नेतृत्व ने गहराई से मंथन करने के बाद धानी के पक्ष में ही फैसला लिया। उत्तराखंड में इस बार के विधानसभा चुनावों में धामी को खटीमा सीट (khatima seat) पर कांग्रेस प्रत्याशी भुवन कापड़ी (Congress candidate Bhuvan Kapri) के हाथों हार का सामना करना पड़ा था। इसके बावजूद उन्हें मुख्यमंत्री बनाने के फैसले पर हैरानी भी जताई जा रही है।
यही कहानी पिछले साल पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में भी हुई थी और उस समय भाजपा की ओर से टीएमसी और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Chief Minister Mamata Banerjee) पर तीखे हमले किए गए थे। नंदीग्राम विधानसभा सीट (Nandigram assembly seat) पर ममता की हार के बावजूद उन्हें टीएमसी विधायक दल का नेता चुना गया था और इस कदम को भाजपा की ओर से नैतिकता के खिलाफ बताया गया था मगर अब धामी के मामले में भाजपा नेता चुप्पी साधे हुए हैं।
दोनों राज्यों की कहानी एक जैसी
पश्चिम बंगाल और उत्तराखंड के विधानसभा चुनावों की कहानी लगभग एक जैसी ही है। पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस (TMC) को बड़ी जीत दिलाने में ममता बनर्जी की बड़ी भूमिका थी मगर ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) नंदीग्राम के संग्राम में भाजपा उम्मीदवार शुभेंदु अधिकारी से चुनाव हार गई थीं। ममता और शुभेंदु के बीच कड़ा मुकाबला हुआ था मगर आखिरकार शुभेंदु अधिकारी को ही जीत हासिल हुई। चुनावी हार के बाद ममता को विधायक दल का नया नेता चुने जाने पर सवाल उठाए जा रहे थे मगर तृणमूल कांग्रेस के विधायकों ने ममता में ही निष्ठा दिखाई।
धामी ने दिलाई जीत मगर खुद हार गए
इसी तरह उत्तराखंड (Uttarakhand) की चुनावी जीत में पुष्कर सिंह धामी की बड़ी भूमिका मानी जा रही है उन्होंने 6 महीने पहले ही मुख्यमंत्री के रूप में उत्तराखंड की कमान संभाली थी। इस बार के चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला माना जा रहा था मगर भाजपा भारी जीत हासिल करते हुए 47 सीटें जीतने में कामयाब रही। धामी ने भाजपा को तो बड़ी जीत दिलाने में कामयाबी हासिल की मगर वे उधम सिंह नगर की खटीमा विधानसभा सीट पर अपना चुनाव हार गए।
2012 और 2017 के चुनाव में इस सीट पर जीत हासिल करने वाले धामी को कांग्रेस प्रत्याशी भुवन कापड़ी ने हराया। धामी की हार के बाद उन्हें फिर मुख्यमंत्री बनाए जाने को लेकर भाजपा नेतृत्व पसोपेश की स्थिति में फंसा हुआ था मगर आखिरकार पीएम मोदी के हस्तक्षेप के बाद युवा नेता धामी को ही कमान सौंपने का फैसला किया गया।
तब भाजपा ने उठाए सवाल, अब खुद वही कदम
मजे की बात है कि चुनावी हार के बाद पश्चिम बंगाल में ममता के मुख्यमंत्री बनने पर भाजपा ने तीखा हमला बोला था। भाजपा नेताओं का कहना था कि चुनावी हार के बाद ममता को मुख्यमंत्री बनने का नैतिक अधिकार नहीं है मगर करीब साल भर बाद भाजपा भी वही कदम उठाने के लिए मजबूर हो गई। ममता की चुनावी हार के बाद उन्हें मुख्यमंत्री बनाए जाने पर सवाल उठाने वालों में भाजपा आईटी सेल (BJP IT Cell) के हेड अमित मालवीय भी शामिल थे। अमित मालवीय ने सवाल खड़ा किया था कि चुनावी हार के बाद ममता को मुख्यमंत्री बनने का कैसे नैतिक अधिकार है।
मालवीय के साथ कई अन्य भाजपा नेताओं ने भी ममता बनर्जी और टीएमसी पर हमला बोला था। ममता को चुनाव हराने वाले शुभेंदु अधिकारी ने भी ममता को सीएम बनाए जाने पर सवाल खड़े किए थे। यह अजीब विडंबना है कि ममता पर सवाल खड़ा करने वाली भाजपा आज खुद वही कदम उठाने पर मजबूर हो गई है और इसके तहत उत्तराखंड में अब पुष्कर सिंह धामी की ताजपोशी की जा रही है।
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