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Uttarakhand Election 2022: उत्तराखंड में कई सियासी दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर, कड़े मुकाबले में फंसे, अब मतदाता लिखेंगे किस्मत

Uttarakhand Election 2022: उत्तराखंड की 70 विधानसभा सीटों के लिए सोमवार को एक ही चरण में मतदान का काम पूरा हो जाएगा। इस बार के चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के बीच इतना कड़ा मुकाबला हो रहा है।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman TiwariPublished By Deepak Kumar
Published on: 13 Feb 2022 2:06 PM GMT
Uttarakhand Election 2022
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उत्तराखंड चुनाव 2022 की प्रतीकात्मक तस्वीर (फोटो:सोशल मीडिया)

Uttarakhand Election 2022: उत्तराखंड की 70 विधानसभा सीटों के लिए सोमवार को एक ही चरण में मतदान का काम पूरा हो जाएगा। शनिवार को चुनावी शोर थमने से पहले सभी सियासी दलों ने पूरी ताकत झोंक रखी थी मगर अब मतदाताओं को प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला करना है। इस बार के चुनाव में भाजपा (BJP) और कांग्रेस (Congress) के बीच इतना कड़ा मुकाबला हो रहा है कि कोई दिल यह कह सकने की स्थिति में नहीं है कि किस पार्टी का पलड़ा भारी है।

इस बार के चुनाव में एक दिलचस्प पहलू यह भी है कि जिन सियासी दिग्गजों के ऊपर पार्टी के चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी थी, वे अपने ही चुनाव क्षेत्र में कड़े मुकाबले में फंस गए हैं। मतदान का समय नजदीक आने के साथ ही कई दिग्गज नेताओं के दिलों की धड़कनें बढ़ी हुई हैं क्योंकि इस चुनाव में उनकी प्रतिष्ठा दांव पर लग गई है।

सीएम धामी को मिल रही कड़ी चुनौती

भाजपा (BJP) ने विधानसभा चुनाव (Uttarakhand Election 2022) से कुछ समय पूर्व दिग्गजों का पत्ता काटते हुए युवा पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) को उत्तराखंड की कमान सौंपी थी। उधम सिंह नगर (Udham Singh Nagar) की खटीमा विधानसभा सीट (Khatima assembly seat) पर लगातार दो बार चुनाव जीत चुके धामी एक बार फिर इसी क्षेत्र के मतदाताओं का समर्थन हासिल करने के लिए चुनाव मैदान में कूदे हैं। कांग्रेस (Congress) ने भुवन कापड़ी को उतार कर धामी की तगड़ी घेराबंदी की है।

आप ने इस सीट पर एसएस कलेर को चुनाव मैदान में उतारा है। 2017 के चुनाव में कापड़ी ने धामी को कड़ी चुनौती दी थी और धामी 2709 मतों से ही जीतने में कामयाब हुए थे। धामी पर दूसरे चुनाव क्षेत्रों में भाजपा के उम्मीदवारों को जिताने की भी बड़ी जिम्मेदारी थी मगर फिर भी उन्होंने बीच-बीच में समय निकालकर खटीमा में ही मतदाताओं को साधने की कोशिश की। जानकारों का मानना है कि इस बार के चुनाव में धामी कड़े मुकाबले में फंसे हुए हैं।

लालकुआं सीट पर रावत की राह आसान नहीं

राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस प्रचार समिति (congress campaign committee) के अध्यक्ष हरीश रावत (President Harish Rawat) की लालकुआं विधानसभा सीट (Lalkuan assembly seat) पर जीत की राह आसान नहीं मानी जा रही है। भाजपा ने सिटिंग विधायक नवीन दुमका का टिकट काटकर मोहन सिंह बिष्ट को चुनाव मैदान में उतारा है। जिला पंचायत सदस्य बिष्ट ने रावत के खिलाफ जबर्दस्त कैंपेन चलाया है।

रावत की एक और बड़ी मुसीबत कांग्रेस की बागी उम्मीदवार संध्या डालाकोटी हैं। वे भी इसी सीट से कांग्रेस के टिकट की दावेदार थीं मगर टिकट न मिलने के बाद निर्दल प्रत्याशी के रूप में चुनावी अखाड़े में कूद पड़ी हैं। रावत पर पूरे राज्य में कांग्रेस प्रत्याशियों के प्रचार का जिम्मा था मगर कड़े मुकाबले में फंस जाने के कारण उन्हें अपनी सीट पर ही ज्यादा समय देना पड़ा।

आप के सीएम चेहरे की घेराबंदी

आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) की ओर से कर्नल अजय कोठियाल को सीएम चेहरा घोषित किया गया है। इस बार के चुनाव में आप ज्यादा मजबूती से उभरकर सामने नहीं आ पाई है। गंगोत्री विधानसभा सीट पर कर्नल कोठियाल की भी प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। भाजपा ने सुरेश चौहान को चुनाव मैदान में उतारा है जबकि कांग्रेस की ओर से विजयपाल सजवाण कर्नल कोठियाल को चुनौती दे रहे हैं। पहली बार चुनाव मैदान में उतरे कर्नल कोठियाल डोर टू डोर कैंपेन करके अपनी चुनावी स्थिति मजबूत बनाने की कोशिश में जुटे हुए हैं।

धर्मनगरी में भी हो रही कड़ी सियासी जंग

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक (Madan Kaushik) को धर्मनगरी हरिद्वार में इस बार कड़ी चुनौती मिल रही है। हालांकि उनकी इस सीट पर मजबूत पकड़ मानी जाती है और लगातार चार बार चुनाव जीतकर उन्होंने इसे साबित भी किया है। कांग्रेस ने सतपाल ब्रह्मचारी को उतारकर कौशिक को घेरने का प्रयास किया है। कौशिक ने पिछले चुनाव में 35,927 मतों से जीत हासिल की थी मगर इस बार उन्हें अपने चुनाव क्षेत्र में काफी समय देना पड़ा है। प्रदेश अध्यक्ष के रूप में उनका यह पहला चुनाव है मगर अपना दुर्ग सहेजने की कोशिश में ही जुटे दिखाई पड़े।

बॉलीवुड गायक के पिता ने घेरा

राजधानी देहरादून की चकराता विधानसभा सीट (Chakrata assembly seat) पर नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह (Leader of Opposition Pritam Singh) भी इस बार कड़े मुकाबले में फंस गए हैं। मदन कौशिक की तरह उन्होंने भी 2002 से 2017 तक चार बार लगातार जीत हासिल की है मगर इस बार उन्हें भी कड़ी चुनौती मिल रही है। भाजपा ने रामचरण नौटियाल को उतारकर उन्हें घेरने का प्रयास किया है। रामचरण नौटियाल बॉलीवुड गायक जुबिन नौटियाल के पिता हैं। उन्होंने जोरदार प्रचार अभियान चलाकर प्रीतम सिंह को घेरने का प्रयास किया है। अब यह देखने वाली बात होगी कि प्रीतम सिंह नौटियाल का चक्रव्यूह तोड़ने में कहां तक कामयाब हो पाते हैं।

इस बार फंसे हैं कई और बड़े चेहरे

कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल (Ganesh Godiyal) को पौड़ी जनपद की श्रीनगर विधानसभा सीट पर भाजपा के वरिष्ठ नेता और मंत्री धन सिंह रावत की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। रावत ने पिछले चुनाव में गोदियाल को 8618 मतों से हराया था मगर इस बार गोदियाल पिछली हार का हिसाब चुकता करने की कोशिश में जुटे हुए हैं। कड़े मुकाबले में फंसे होने के कारण गोदियाल भी चुनाव प्रचार के दौरान अधिकांश समय श्रीनगर में ही डटे रहे।

हरिद्वार ग्रामीण सीट पर पिछला चुनाव हारने वाले पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत इस बार अपनी बेटी की जीत से अपने जख्म भरना चाहते हैं। इस सीट पर मजबूत पकड़ रखने वाले स्वामी यतीश्वरानंद भाजपा के टिकट पर उतरे हैं। बसपा ने मुस्लिम प्रत्याशी युनूस अंसारी को उतारकर उनकी राह और मुश्किल कर दी है।

राज्य के एक और पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूरी (Bhuvan Chandra Khanduri) के बेटी रितु खंडूरी कोटद्वार सीट पर चुनाव मैदान में उतरी हैं। यहां कांग्रेस प्रत्याशी सुरेंद्र सिंह नेगी उन्हें कड़ी चुनौती दे रहे हैं। लैंसडाउन सीट पर भी कड़ा मुकाबला हो रहा है। इस सीट पर चर्चित नेता डॉ हरक सिंह रावत की बहू अनुकृति गुसाईं की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। उत्तराखंड बनने के बाद यह पहला मौका है जब हरक सिंह रावत चुनाव मैदान में नहीं उतरे हैं।

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Deepak Kumar

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