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Uttarakhand Election 2022: केदारनाथ में आ सकते हैं चौंकाने वाले नतीजे, चौतरफा है मुकाबला

Uttarakhand Election 2022: उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 में भारतीय जनता पार्टी ने केदारनाथ विधानसभा सीट से शैलारानी रावत को अपना उम्मीदवार बनाया है।

Bishwajeet Kumar
Published By Bishwajeet KumarWritten By Neel Mani Lal
Published on: 5 Feb 2022 3:04 PM IST
Uttarakhand Election 2022: केदारनाथ में आ सकते हैं चौंकाने वाले नतीजे, चौतरफा है मुकाबला
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फाइल तस्वीर

नई दिल्ली। 2013 की आपदा के बाद 2014 में केदारनाथ (Kedarnath) में प्रमुख पुनर्विकास गतिविधियां शुरू हुईं। यही वह समय था जब नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) प्रधानमंत्री बने थे। पीएम ने लगातार केदारनाथ में परियोजना की प्रगति की समीक्षा की और निगरानी की। यहां बहुत काम हुआ है। अब उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में केदारनाथ विधानसभा सीट (Kedarnath assembly seat) जीतना भाजपा के लिए एक प्रमुख मुद्दा है। केदारनाथ विधानसभा सीट पर भाजपा (BJP) ने पूर्व विधायक शैलारानी रावत (Shailrani Rawat) पर फिर से भरोसा जताया है। पार्टी ने लगातार पांचवीं बार यहां से महिला को प्रत्याशी बनाया है।

2017 में चौथे नम्बर पर रही भाजपा

2017 में केदारनाथ विधानसभा सीट का परिणाम चौंकाने वाला रहा था क्योंकि भाजपा की उम्मीदवार शैला रानी रावत एक बहुकोणीय लड़ाई में चौथे स्थान पर रही थीं। 2016 तक शैलारानी कांग्रेस (Congress) में थीं। वह उन नौ कांग्रेस विधायकों में से थीं, जिन्होंने 2016 में हरीश रावत (Harish Rawat) सरकार के खिलाफ विद्रोह किया था। इस बार भी यहां चतुष्कोणीय मुकाबला है। केदारनाथ के वर्तमान विधायक कांग्रेस के मनोज रावत (Manoj Rawat) के मुकाबले में तीन प्रमुख प्रतिस्पर्धी हैं - शैला रानी रावत (भाजपा), कुलदीप रावत (Kuldeep Rawat) (निर्दलीय) और सुमन तिवारी (Suman Tiwari) (आप)। 2017 के राज्य विधानसभा चुनाव में मनोज रावत ने कुलदीप रावत (निर्दलीय) को 800 वोट से हराया था।

पुजारी पंडा समुदाय

आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) उम्मीदवार सुमन तिवारी पुजारी समुदाय से संबंधित हैं। तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत (Trivendra Singh Rawat) द्वारा लाये गए चार धाम देवस्थानम प्रबंधन अधिनियम के खिलाफ केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के पंडा और पुजारी समुदाय ने उत्तराखंड सरकार के खिलाफ आंदोलन किया था। पुजारियों के आंदोलन के कारण पुष्कर धामी सरकार ने इस अधिनियम को पिछले साल समाप्त कर दिया था। अब पुजारी पंडा समुदाय के वोट पर आप की नजर है।

पहले के चुनाव

उत्तराखंड राज्य बनने के बाद पहले विधानसभा चुनाव में 2002 में केदारनाथ सीट पर भाजपा प्रत्याशी आशा नौटियाल ने कांग्रेस प्रत्याशी शैलारानी रावत को हराया था। 2007 में भी भाजपा से आशा नौटियाल (Asha Nautiyal) विधायक बनकर लगातार दूसरी बार विधानसभा में पहुंचीं। लेकिन 2012 में भाजपा प्रत्याशी आशा नौटियाल कांग्रेस प्रत्याशी शैलारानी रावत से हार गईं। 2016 में प्रदेश में हुए राजनीतिक उठापटक के बीच शैलारानी रावत, कांग्रेस से बगावत कर भाजपा में शामिल हो गईं। इसके बाद 2017 में उन्हें भाजपा ने केदारनाथ से अपना प्रत्याशी बनाया जिस कारण पूर्व विधायक आशा नौटियाल ने खुली बगावत करते हुए निर्दलीय चुनाव लड़ा। स्थिति यह रही कि भाजपा प्रत्याशी को जहां चुनाव में चौथे स्थान पर रहकर संतोष करना पड़ा। वहीं, निर्दलीय आशा नौटियाल भी हार गईं। अब, 2022 के चुनाव के लिए पार्टी ने केदारनाथ सीट पर पुन: शैलारानी रावत पर भरोसा जताया है।



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