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Uttarakhand Election 2022: नतीजे के बाद वाली स्थितियों से निपटने की तैयारी में जुटी बीजेपी
Uttarakhand Election 2022: उत्तराखंड विधानसभा चुनाव की मतगणना से पहले नतीजों की स्थितियों से निपटने की तैयारियों में जुटी बीजेपी।
Uttarakhand Election 2022: उत्तराखंड विधानसभा चुनाव. उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव 14 फरवरी को संपन्न हो गए थे। ऐसे में 10 मार्च को आने वाले नतीजे से पहले वहां के नेताओं के पास चुनावी थकान दूर करने का अच्छा समय मिल गया। अब जब नतीजों का काउंटडाउन शुरू हो चुका है, सियासी दल एकबार फिर सक्रिय हो गए हैं। 70 विधानसभा सीटों वाली उत्तराखंड में शुरू से ही यानि राज्य के अस्तित्व में आने के दौरान से ही सत्ता बारी – बारी से बीजेपी और कांग्रेस के पास आती रही है।
ऐसे में इस बार स्थापित मान्यताओं के अनुसार, विपक्षी कांग्रेस के हाथ में सत्ता की चाभी आने की संभावना है। लेकिन एक कहावत है क्रिकेट औऱ राजनीति में अंतिम समय में पासा पलट सकता है। यही वजह है कि बीजेपी औऱ कांग्रेस दोनों अभी से चुनाव नतीजों के बाद उत्पन्न होने वाली संभावित परिस्थितियों से निपटने के लिए अपने आप को तैयार करने लगे हैं।
बीजेपी की तैयारी
सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी के लिए उत्तराखंड में पांच साल का वर्ष ज्यादा सहज नहीं रहा। बीजेपी को जल्दी जल्दी तीन - तीन मुख्यमंत्री बदलने पड़े। इससे उत्तराखंड बीजेपी के अंदर पैदा हुई बैचेनी के बारे में अंदाजा लगाया जा सकता है। पुष्कर सिंह धामी जैसे नये चेहरे के बदौलत चुनाव मैदान में उतरी बीजेपी को उम्मीद है कि पीएम मोदी की छवि के बदौलत इस पहाड़ी राज्य में अपनी सत्ता बचाने में कामयाब रह सकती है। सियासी गुणा – भाग में माहिर बीजेपी जरूरी संख्या से कम रहने पर प्लान बी भी तैयार कर रही है।
7 मार्च को बीजेपी के प्रदेश प्रभारी केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी राजधानी देहरादून में एक अहम बैठक करने जा रहे हैं, जिसमे राज्य के सभी सांसद, विधानसभा चुनाव के सभी उम्मीदवार औऱ पार्टी के सभी पदाधिकारी को बुलाया गया है। माना जा रहा कि इस बैठक में 10 मार्च के बाद बीजेपी की संभावित योजना को लेकर पार्टी नेताओं को संदेश दिया जाएगा।
कांग्रेस की तैयारी
उत्तराखंड में दो लोकसभा औऱ एक विधानसभा चुनाव बूरी तरह से हारने वाली कांग्रेस इस बार अपने लिए काफी संभावना देख रही है। पार्टी को लगता है कि राज्य के चुनावी इतिहास के अनुसार उसकी जीत पक्की है। साथ ही बीजेपी के खिलाफ गुस्से का भी फायदा उसे मिलता नजर आ रहा है। फिर भी पार्टी कोई चूक नहीं चाहती है।
कांग्रेस ने हर विधानसभा क्षेत्र में काउंटिंग एजेंट्स तैयार किए हैं, जो मतगणना के दिन मुस्तैद रहेंगे। इसके अलावा चुनाव नतीजों के बाद विधायकों के संभावित खरीद फरोख्त से बचने के लिए हर उम्मीदवार के पीछे कांग्रेस के नेता को लगाया है। कांग्रेस नेता लगातार उम्मीदवारों के समर्थन में हैं।
दरअसल उत्तराखंड की 70 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत के लिए 36 विधायकों का समर्थन चाहिए। लिहाजा बीजेपी औऱ कांग्रेस नतीजों के बाद होने वाले संभावित जोड़तोड़ के लिए अभी से अपने घरों को दुरूस्त करना शुरू कर दिया है। बहरहाल अब ये तो 10 मार्च को ही पता चलेगा कि जनता किसी को स्पष्ट जनादेश देकर चुनती है या फिर राज्य में सियासी मैनेजमेंट की नौबत आती है।