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Uttarakhand Elections 2022: अपने झगड़ों में ही जूझ रही कांग्रेस, पार्टी में मुख्यमंत्री पद को लेकर जारी है अंतर्कलह
Uttarakhand Election 2022: उत्तराखंड चुनाव में कांग्रेस एन्टी इन कम्बेंसी के सहारे अपनी नैय्या पार लगाने की फिराक में है लेकिन इस नैय्या को पार्टी की अंतर्कलह ही आगे बढ़ने से रोक रही है।
Uttarakhand Elections 2022: उत्तराखंड चुनाव में कांग्रेस एन्टी इन कम्बेंसी के सहारे अपनी नैय्या पार लगाने की फिराक में है लेकिन इस नैय्या को पार्टी की अंतर्कलह ही आगे बढ़ने से रोक रही है। अंतर्कलह की बात छोड़ दें तो कांग्रेस ने इस चुनाव में अन्य मुद्दों के अलावा राज्य में बार बार मुख्यमंत्री बदले जाने को एक बड़ा मुद्दा बनाया हुआ है और एक नारा भी बनाया है – तीन तिगाड़ा-काम बिगाड़ा, उत्तराखंड में नहीं आयेगी बीजेपी दोबारा। लेकिन बार बार मुख्यमंत्री बदलने में कांग्रेस का भी बड़ा हिस्सा रहा है।
जबसे उत्तराखंड बना है तबसे राज्य में मुख्यमंत्री संकट बना हुआ है और बीते 21 साल में यहाँ 11 मुख्यंत्री हो चुके हैं। कांग्रेस ने राज्य से पलायन को भी मुद्दा बनाया है। 2008 से 2018 के बीच 3 लाख 83 हजार लोग उत्तराखंड के गांवों से पलायन कर चुके हैं। आलम ये है कि राज्य के 700 गांव सूने पड़े हैं। कांग्रेस ये प्रचार कर रही है कि राज्य सरकार पूरी तरह विफल रही है और राज्य में विकास एकदम नहीं हुआ है।
भाजपा के खिलाफ निशाना साधे
कांग्रेस भले ही बढ़चढ़ कर भाजपा के खिलाफ निशाना साधे हुए है लेकिन खुद वह अंतर्कलह से घिरी हुई है। वरिष्ठ नेता हरीश रावत फिर मुख्यमंत्री बनने का सपना पाले है और अपनों को मुख्यमंत्री चेहरा दिखाने की कोशिश करते हैं। राज्य नें नेता विपक्ष और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह कई मसलों पर हरीश रावत का खुल कर विरोध कर चुके हैं।
पिछले महीने हरीश रावत ने एक ट्वीट किया था कि उनको चुनाव अभियान में पार्टी का एपोर्ट नहीं मिल रहा है। जिसके बाद सभी सीनियर नेता दिल्ली बुलाये गए थे और सबको साथ मिल कर काम करने को कहा गया था। वैसे कांग्रेस ने अभी तक किसी को बतौर मुख्यमंत्री कैंडिडेट नहीं तय किया है।
एक खेमा हरीश रावत और राज्य कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल के समर्थन में है तो दूसरा खेमा प्रीतम सिंह और देवेन्द्र यादव को सपोर्ट करता है। अब तो दलबदल के पुराने खिलाड़ी हरक सिंह रावत भी कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं। हालांकि मुख्यमंत्री पद के लिए उनको कोई दावेदार नहीं मान रहा है।
कांग्रेस ने इस चुनाव में मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित नहीं किया है। इसके बावजूद पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री पद के सबसे बड़ा दावेदार बताया जा रहा है।
वैसे, इस चुनाव में भी हमेशा की तरह कुमायूं बनाम गढ़वाल की खींचतान रहेगी। दोनों क्षेत्रों का टकराव हमेशा से यहाँ रहा है। नारायण दत्त तिवारी और हरीश रावत जैसे कांग्रेस के बड़े नेता कुमायूं के हैं जबकि भुवन चन्द्र खंडूरी, रमेश पोखरियाल निशंक, त्रिवेन्द्र सिंह रावत जैसे भाजपा के नेता गढ़वाल से आते हैं।