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उत्तराखंड में दो सीटों पर दिलचस्प जंग, दो पूर्व CM की बेटियां चुनाव मैदान में, ले पाएंगी अपने पिता की हार का बदला?
Uttarakhand Election 2022: उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में दो पूर्व मुख्यमंत्रियों की बेटियां भी खासी चर्चा में हैं। एक बेटी को BJP ने चुनाव मैदान में उतारा है तो दूसरी बेटी कांग्रेस के टिकट पर चुनावी अखाड़े में कूदी है।
Uttarakhand Election 2022: उत्तराखंड के विधानसभा चुनाव में इस बार दिलचस्प नजारा दिख रहा है। उत्तराखंड के गठन के बाद यह पहला विधानसभा चुनाव (Uttarakhand Vidhan Sabha Chunav) होगा जिसमें एक कद्दावर नेता हरक सिंह रावत (Harak Singh Rawat) चुनावी अखाड़े में नहीं दिखेंगे। इस बार के विधानसभा चुनाव में दो पूर्व मुख्यमंत्रियों की बेटियां भी खासी चर्चा में हैं। एक बेटी को भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने चुनाव मैदान में उतारा है तो दूसरी बेटी कांग्रेस (Congress) के टिकट पर चुनावी अखाड़े में कूदी है।
दिलचस्प बात यह है कि इन दोनों बेटियों को जिन सीटों से चुनाव मैदान में उतारा गया है, उन सीटों पर सीएम रहते उनके पिता को हार का मुंह देखना पड़ा था। दोनों बेटियों को मुख्यमंत्री रह चुके अपने पिता की हार का बदला लेना है। अब यह देखने वाली बात होगी कि सियासी दिग्गजों की ये बेटियां चुनावी अखाड़े में बदला लेने में कामयाब हो पाती हैं या नहीं।
दिग्गजों की इन बेटियों को मिला टिकट
उत्तराखंड में इस बार के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत (Harish Rawat) की बेटी अनुपमा रावत (Anupama Rawat) को हरिद्वार ग्रामीण सीट (Haridwar Rural Seat) से चुनाव मैदान में उतारा है। दूसरी और भारतीय जनता पार्टी ने पूर्व मुख्यमंत्री बीसी खंडूरी (Bhuwan Chandra Khanduri) की बेटी रितु खंडूरी (Ritu Khanduri Bhushan) को यमकेश्वर की जगह कोटद्वार (Kotdwar Vidhan Sabha Seat) से टिकट दिया है।
कोटेदार से पिछले विधानसभा चुनाव में हरक सिंह रावत (Harak Singh Rawat) ने भाजपा के टिकट पर जीत हासिल की थी। हाल में उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया था, मगर कांग्रेस की ओर से उन्हें इस बार चुनाव मैदान में नहीं उतारा गया है। कांग्रेस ने उनकी पुत्रवधू अनुकृति को तो टिकट जरूर दिया मगर रावत इस बार चुनावी अखाड़े में नहीं दिखेंगे।
दोनों के पिता हार गए थे चुनाव
कांग्रेस और भाजपा की ओर से दो पूर्व मुख्यमंत्रियों की बेटियों को ऐसी सीटों से टिकट दिया गया है जहां उनके पिता को हार का मुंह देखना पड़ा था। एक और उल्लेखनीय बात यह है कि दोनों बेटियों के पिता को मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए हार का कटु स्वाद चखना पड़ा था। अब इन दोनों बेटियों के पास अपने पिता की हार का बदला लेने का मौका है।
2012 के विधानसभा चुनाव में बीसी खंडूरी ने मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए कोटद्वार सीट (Kotdwar Vidhan Sabha Seat) से किस्मत आजमाई थी। भाजपा की ओर से पूरी ताकत लगाए जाने के बावजूद खंडूरी को कांग्रेस प्रत्याशी सुरेंद्र सिंह नेगी ने हरा दिया था। 2012 के चुनाव में मुख्यमंत्री की यह हार काफी चर्चा का विषय बनी थी।
इसी तरह 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत को भी शर्मिंदगी झेलनी पड़ी थी। कांग्रेस ने उन्हें हरिद्वार ग्रामीण सीट (Haridwar Rural Seat) से चुनाव मैदान में उतारा था मगर रावत जीतने में कामयाब नहीं हो सके थे। उन्हें भाजपा के स्वामी यतीश्वरानंद ने चुनाव में पराजित कर दिया था। मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए रावत की इस हार ने हर किसी को चौंका दिया था।
हराने वाले नेता ही दोनों के सामने
यह भी एक अजीब संयोग है कि दोनों बेटियों के सामने वही प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरे हैं जिन्होंने मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए उनके पिताओं को शर्मिंदगी झेलने पर मजबूर किया था। हरिद्वार ग्रामीण सीट पर भाजपा ने एक बार फिर स्वामी यतीश्वरानंद (Swami Yatishwaranand) को ही चुनाव मैदान में उतारा है। हरीश रावत की बेटी अनुपमा रावत के पास इस बार स्वामी को हराकर अपने पिता की हार का बदला लेने का सुनहरा मौका है।
दूसरी ओर कोटद्वार विधानसभा सीट पर कांग्रेस के टिकट पर एक बार फिर सुरेंद्र सिंह नेगी (Surendra Singh Negi) ही चुनाव मैदान में उतरे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री बीसी खंडूरी की बेटी रितु खंडूरी को इस बार नेगी का ही मुकाबला करना है। रितु के हाथ भी वह सुनहरा मौका लगा है जिसमें वे नेगी को हराकर अपने पिता की हार का बदला ले सकती हैं।
खंडूरी की बेटी की सीट बदली
रितु खंडूरी ने 2017 का विधानसभा चुनाव यम्केश्वर सीट से जीता था मगर इस बार पार्टी ने उनकी सीट बदलकर उन्हें कोटद्वार सीट से चुनाव मैदान में उतारा है। हरीश रावत की बेटी अनुपमा रावत लंबे समय से हरिद्वार ग्रामीण इलाके में ही सक्रिय रही हैं और इसलिए पार्टी ने उन्हें इसी चुनाव क्षेत्र से मैदान में उतार कर अपने पिता की हार का बदला लेने का मौका दिया है।
2012 के चुनाव में खंडूरी को कोटद्वार में नेगी के हाथों 4,623 मतों से हार झेलनी पड़ी थी जबकि हरीश रावत को 2017 के विधानसभा चुनाव में स्वामी यतीश्वरानंद के हाथों 12,227 मतों से हार का मुंह देखना पड़ा था। अब देखने वाली बात यह होगी कि इस बार के विधानसभा चुनाव में दोनों बेटियां अपने पूर्व सीएम पिताओं की हार का बदला ले पाती हैं या नहीं। दोनों बेटियां अपने दल की महिला शाखा की पदाधिकारी हैं और देखना है कि वे अपने मकसद में कहां तक कामयाब हो पाती हैं।
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