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Uttarakhand Election 2022: हरक सिंह रावत का क्या प्लान, हर बार चुनाव से पहले ही क्यों हो जाते हैं बाहर
Uttarakhand Election 2022: उत्तराखंड के कद्दावर नेता हरक सिंह रावत को भारतीय जनता पार्टी ने पार्टी से 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया है।
Uttarakhand Election 2022: देश के 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव 2022 (assembly election 2022) अगले महीने से शुरू होने वाला है। जिसके लिए चुनाव आयोग (Election Commission Of India) ने चुनाव के तारीखों का ऐलान भी कर दिया है। सभी सियासी दल अपने-अपने समीकरण को ठीक करने में लगी हुई हैं ऐसे में कई पार्टी के नेता अपना दल भी बदल रहे हैं। हाल फिलहाल में ऐसी ही खबर उत्तराखंड से सामने आ रही है जहां भारतीय जनता पार्टी (BJP Uttarakhand) ने अपने एक वरिष्ठ नेता हरक सिंह रावत (Harak Singh Rawat News) को पार्टी से 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया है।
गौरतलब है कि आज से ठीक 6 साल पहले हरक सिंह रावत ने कांग्रेस पार्टी का साथ छोड़ भारतीय जनता पार्टी का दामन थामा था। अब 6 साल बाद फिर वही कहानी वापस लौटता दिख रहा है बस फर्क सिर्फ इतना है कि इस बार उनके जाने की पार्टी दूसरी और शामिल होने की पार्टी दूसरी रहेगी। उस वक्त 2017 विधानसभा चुनाव से पहले हरक सिंह रावत ने आधी रात को कांग्रेस का साथ छोड़ दिया था। 2016 में हरक सिंह रावत ने 9 विधायकों के साथ आधी रात को हरीश रावत सरकार के खिलाफ राज्यपाल से मिलने पहुंचे थे।
आज फिर 6 साल बाद एक वही रात आई जब आधी रात को खबर आई कि भारतीय जनता पार्टी ने हरक सिंह रावत को 6 साल के लिए पार्टी से बाहर खदेड़ दिया है खबर सामने आने के बाद ही हरक सिंह रावत भावुक हो गए हालांकि चुनाव के वक्त नेताओं के आंसू कुछ ज्यादा ही कीमती होते हैं अब इन आंसुओं के बदौलत हरक सिंह रावत राजनीतिक समीकरण को भी साधेंगे। हरक सिंह रावत और गृह मंत्री अमित शाह के बीच बड़ी अच्छी दोस्ती मानी जाती है ठीक वैसे ही दोस्ती जैसी हरक सिंह रावत के साथ हरीश रावत की थी। हरक सिंह रावत भारतीय जनता पार्टी का साथ अंतिम सांस तक देने की कसम में खाया करते थे हालांकि उससे पहले ही अब पार्टी ने ही उनसे नाता तोड़ दिया है।
दरअसल हरक सिंह रावत और भारतीय जनता पार्टी के बीच तब गई जब हरक सिंह रावत ने अपने ही परिवार के लिए तीन टिकटों का मांग कर दिया। इसमें यम्केश्वर डोईवाला और केदारनाथ सीट शामिल है। इन सीटों पर टिकट मांगने के लिए हरक सिंह रावत अपने करीबी नेता उमेश शर्मा के साथ दिल्ली गए उस वक्त हरक सिंह के साथ उनकी बहू अनुकृति भी दिल्ली गई थी। हरक सिंह रावत चाहते थे कि उन्हें उनकी पसंदीदा सभी सीट मिल जाए जिसमें वह अपनी बहू के लिए लैंसडाउन की सीट चाहते थे। पार्टी हरक सिंह रावत को पसंदीदा सीख देने के लिए तो तैयार थी मगर उनके परिवार के लोगों के लिए दो अलग से सीट देना पार्टी को मंजूर नहीं था।
जिसके बाद हरक सिंह और बीजेपी के बीच दरार पड़ गया। और परिणाम यह आया कि भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें आधी रात को 6 साल के लिए पार्टी से निकालने का फैसला कर लिया। अब हरक सिंह रावत के भारतीय जनता पार्टी से बाहर हो जाने के बाद यह अटकलें तेज हो गई हैं कि वह कभी भी कांग्रेस पार्टी का दामन थाम सकते हैं। यह उम्मीद इसलिए भी और लगाई जा रही है क्योंकि कांग्रेस पार्टी उनके सभी शर्तों को मान जाएगी अगर ऐसा हुआ तो इस बार का उत्तराखंड विधानसभा चुनाव बहुत ज्यादा दिलचस्प होने वाला है।