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Uttarakhand Election 2022: भाजपा ने समान नागरिकता संहिता का किया वादा, धामी ने जारी किया बयान

Uttarakhand Election 2022: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने वादा किया है कि अगर भाजपा उत्तराखंड में फिर से सत्ता में आती है तो नई सरकार के शपथ ग्रहण के तुरंत बाद समान नागरिक संहिता का मसौदा तैयार करने के लिए एक समिति का गठन किया जाएगा।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani LalPublished By Deepak Kumar
Published on: 12 Feb 2022 5:07 PM IST
Pushkar Singh Dhami
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उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (फोटो-न्यूजट्रैक)

Uttarakhand Election 2022: हिजाब मसले पर चल रहे विवाद के बीच अब समान नागरिक संहिता का मसला भी उठा खड़ा हुआ है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Uttarakhand Chief Minister Pushkar Singh Dhami) ने वादा किया है कि अगर भाजपा (BJP) उत्तराखंड में फिर से सत्ता में आती है तो नई सरकार के शपथ ग्रहण के तुरंत बाद समान नागरिक संहिता का मसौदा तैयार करने के लिए एक समिति का गठन किया जाएगा। धामी ने कहा है कि इस समिति में विधि विशेषज्ञ, सेवानिवृत्त लोग, बुद्धिजीवी और अन्य हितधारक शामिल होंगे। उत्तराखंड में 14 फरवरी यानी वैलेंटाइन डे को राज्य की 70 विधानसभा सीटों के लिए मतदान होगा और आज चुनाव प्रचार का अंतिम दिन है।

विडियो पर बयान

धामी (Uttarakhand Chief Minister Pushkar Singh Dhami) ने वीडियो पर जारी बयान में कहा कि समान अचार संहिता (common code of conduct) की समिति के दायरे में विवाह, तलाक, जमीन जायदाद और उत्तराधिकार से जुड़े मुद्दे शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि यह भारत के संविधान निर्माताओं के सपनों को पूरा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा और संविधान की भावना को साकार करेगा। यह भारतीय संविधान (Indian Constitution) के अनुच्छेद 44 की दिशा में भी एक प्रभावी कदम होगा जो समाज के सभी नागरिकों के लिए उनके धर्म की परवाह किए बिना समान कानून की अवधारणा प्रस्तुत करता है।

उन्होंने कहा कि समय-समय पर सर्वोच्च न्यायालय ने भी समान नागरिक संहिता की आवश्यकता को रेखांकित किया है और इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाए जाने पर भी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की भाजपा सरकार (BJP Government) गोवा (Goa) से इस फैसले के लिए प्रेरणा लेगी जिसने समान नागरिक संहिता को लागू करके देश के सामने एक उदाहरण पेश किया है। एक सामान्य नागरिक संहिता (common code of conduct) महिला सशक्तिकरण को मजबूत करने के अलावा सामाजिक सौहार्द और लैंगिक समानता को बढ़ावा देगी।

गिरिराज सिंह ने किया था समर्थन

कल केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह (Union Minister Giriraj Singh) ने कहा था कि समान नागरिक संहिता समय की मांग है। उन्होंने कहा कि देश एक है और सबके लिए एक कानून होना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि कोई व्यक्तिगत धार्मिक कानून नहीं होना चाहिए। गिरिराज सिंह (Union Minister Giriraj Singh) ने कहा कि समान नागरिक संहिता समय की मांग है। देश एक है, इसलिए सभी के लिए एक कानून होना चाहिए। हिंदुओं ने बाल विवाह को खत्म कर दिया है, इसलिए यूनिफार्म सिविल कोड की जरूरत है। कोई व्यक्तिगत धार्मिक कानून नहीं होना चाहिए। गिरिराज सिंह का बयान कर्नाटक में हिजाब विवाद के सन्दर्भ में था।

समान नागरिक संहिता क्या है?

समान नागरिक संहिता (common code of conduct) विवाह, तलाक, गोद लेने, उत्तराधिकार, और अन्य जैसे व्यक्तिगत मामलों को नियंत्रित करने वाले सामान्य कानूनों का एक व्यापक समूह है। वर्तमान में हर धर्म का अपना पर्सनल लॉ है। समान संहिता का उद्देश्य समानता सुनिश्चित करना है। पिछले साल नवंबर में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने जोर देकर कहा था कि समान संहिता अनिवार्य है। न्यायमूर्ति सुनीत कुमार की एकल-न्यायाधीश पीठ ने कहा था कि एक समान नागरिक संहिता परस्पर विरोधी विचारधारा वाले कानूनों के प्रति असमान निष्ठा को हटाकर राष्ट्रीय एकता के कारण में मदद करेगी।

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Deepak Kumar

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