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उत्तराखंड के वन विभाग में चार अधिकारियों के प्रमोशन रद्द, फिर बने रेंजर
उत्तराखंड के वन विभाग में करीब डेढ़ साल पहले हुई गलती सुधारने के मामले ने तूल पकड़ लिया है। यह गलती पदोन्नति के मामले में हुई थी। गलती तो सुधार ली गई लेकिन डेढ़ साल तक पदोन्नति पर वेतन सुविधाओं का लाभ लेने के मामले में क्या होगा यह अभी स्पष्ट नहीं है।
देहरादून: उत्तराखंड के वन विभाग में करीब डेढ़ साल पहले हुई गलती सुधारने के मामले ने तूल पकड़ लिया है। यह गलती पदोन्नति के मामले में हुई थी। गलती तो सुधार ली गई लेकिन डेढ़ साल तक पदोन्नति पर वेतन सुविधाओं का लाभ लेने के मामले में क्या होगा यह अभी स्पष्ट नहीं है।
शासन ने सहायक वन संरक्षक के पद पर प्रमोशन पाए चार रेंजरों के प्रमोशन वापस ले लिए हैं। गलती से हुए इन प्रमोशनों के पकड़ में आने के बाद प्रदेश शासन ने इन चार अफसरों करुणानिधि भारती, कामता प्रसाद वर्मा, बाबूलाल और महिपाल सिंह सिरोही को अपने मूल पद यानी रेंजर के पद पर लौटने के आदेश दिए गए हैं। इससे अधिकारियों में आक्रोश है, कहा जा रहा है कि ऐसा पहली बार हुआ है जब प्रमोटी अधिकारियों को अपने मूल पद पर वापस लौटने को कहा गया है।
मामले के अनुसार इन रेंजरों को उन पदों पर प्रमोट कर दिया गया था जो सृजित ही नहीं थे। एपीसीसीएफ मानव संसाधन एवं प्रशिक्षण मोनीष मल्लिक ने भी इसकी पुष्टि की है। बता दें कि 16 जून 2016 को वन विभाग ने 16 वन क्षेत्राधिकारियों को प्रमोशन देकर सहायक वन संरक्षक बनाया था। जबकि, प्रमोशन के लिए इतने पद थे ही नहीं।
राज्य वन सेवा नियमावली के तहत सहायक वन संरक्षक के 90 पद हैं। नियम के मुताबिक इन पदों में से आधे पद प्रमोशन से और बाकी 50 प्रतिशत पद सीधी भर्ती से भरे जाते हैं। इस हिसाब से 45 पदों पर चार सहायक वन संरक्षकों का प्रमोशन होना चाहिए था लेकिन गलती यह हुई कि 16 वन क्षेत्राधिकारियों को प्रमोशन दे दिया गया। इससे प्रमोशन के बाद इनकी संख्या 49 यानी चार अधिक हो गई। अब जब इस गलती का पता चला तो इन चार वन क्षेत्राधिकारियों का प्रमोशन वापस ले लिया गया है।
इस संबंध में एक सहायक वन संरक्षक का कहना है कि ऐसी पदोन्नतियां पहले भी होती रही हैं लेकिन पदावनत पहली बार किया गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि कि लगता है कि अधिकारियों के किसी चहेते का प्रमोशन नहीं हुआ, इसीलिए उनका प्रमोशन रद्द किया गया है।