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Uttarakhand Forest Fire : हर साल धधकते हैं उत्तराखंड के जंगल, आखिर क्यों?

Uttarakhand Forest Fire : देश में देवभूमि के नाम से मशहूर उत्तराखंड के जंगलों में हर साल आग लगने की घटनाएं होती हैं। गर्मी के दिनों में यहां आग की घटनाएं ऐसे होती हैं कि प्रशासन को काबू पाने में भी पसीने छूटने लगते हैं।

Rajnish Verma
Written By Rajnish Verma
Published on: 28 April 2024 1:07 AM IST
Uttrakhand Forest Fire
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उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग (Photo - Social Media)

Uttarakhand Forest Fire : देश में देवभूमि के नाम से मशहूर उत्तराखंड के जंगलों में हर साल आग लगने की घटनाएं होती हैं। गर्मी के दिनों में यहां आग की घटनाएं ऐसे होती हैं कि प्रशासन को काबू पाने में भी पसीने छूटने लगते हैं। इस साल भी कई दिनों से जंगल धधक रहे हैं, लेकिन फायर विभाग अभी तक आग पर काबू नहीं पा सका है, अब वन विभाग के कर्मचारियों और सेना के जवानों को बुलाया गया है। बताया जा रहा है कि हेलीकॉप्टर के माध्यम से आग पर काबू पाने की कोशिश की जा रही है। अब यहां सवाल उठता है कि आखिर यहां के जंगलों में हर साल आग क्यों लगती है। आइये, इन्हीं सवालों का जवाब ढूंढने की एक कोशिश करेंगे -

उत्तराखंड में बीते चार दिनों से जंगल में लगी आग ने भीषण रूप ले लिया है, ये आग नैनीताल की हाईकोर्ट कॉलोनी से लेकर कई ग्रामीण क्षेत्रों में पहुंच चुकी है। आग की घटना से आसमान में धुंआ-धुंआ ही दिखाई दे रहा है, जिससे लोगों को सांस लेने में काफी तकलीफ हो रही है। सरकार और प्रशासन आग पर काबू पाने की कोशिशों में लगा हुआ है, लेकिन अभी तक आग पर काबू नहीं पाया जा सकता है। बताया जा रहा है कि वन विभाग के कर्मचारियों और सेना के जवानों को बुलाया गया है। इसके साथ ही हेलीकॉप्टर की मदद से आग पर काबू पाने की कोशिश की जा रही है।

आग की घटना से निवासियाें को खतरा

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, यह आग नैनीताल में लड़ियाकांटा क्षेत्र के जंगल में भी लगी हुई है। नैनीताल जिला मुख्यालय के पाइंस इलाके स्थित हाई कोर्ट कॉलोनी के निवासियों के लिए खतरा पैदा हो गया है। यही नहीं, नैनीताल से भवाली जाने वाली सड़क पर धुआं छाया हुआ है। बताया जा रहा है कि आग ने द पाइंस के पास स्थित एक पुराने और खाली घर को अपनी चपेट में ले लिया है। बीते 24 घंटे में कुमाऊं के जंगल में आग 26 घटनाएं हो चुकी हैं, जबकि गढ़वाल में पांच घटनाएं सामने आईं। अब तक आग के कारण 33.34 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित हुआ है। आग ने कार्बेट जंगल को भी नुकसान पहुंचाया है। आग की घटना के कारण प्रशासन ने नैनी झील में नौकायन पर भी प्रतिबंध लगा दिया है। आग पर काबू पाने के लिए सैकड़ों कर्मचारियों लगाया गया है।

सीएम बोले, वनाग्नि को रोकना बहुत जरूरी

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आग की घटना पर काबू पाने के लिए सूचना तंत्र को मजबूत करने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही उन्होंने क्विक रिस्पॉन्स टाइम को कम करने की साथ ही स्थानीय लोगों की मदद करने को कहा है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि चारधाम की यात्रा के प्रबंधन के साथ ही वनाग्नि को रोकना बहुत जरूरी है।

जंगलों में आग लगने के कारण

बता दें कि उत्तराखंड के जंगलों में हर साल आग की घटनाएं सामने आती हैं। विशेषज्ञाें का मानना है कि आग लगने का बड़ा कारण सर्दियों के मौसम में कम बारिश और बर्फबारी का होना भी है। बारिश और बर्फबारी की कमी होने से जंगलों में नमी की कमी हो जाती है। गर्मियों में अचानक तापमान बढ़ने से आग की घटनाएं देखने को मिलती हैं।

कई बार जंगलों में आग लगने की घटना मानव जनित भी होती है। गांव के लोग जंगलों में सूखी पत्तियों और घास में आग लगा देते हैं, जिससे आग भयानक रूप ले लेती है।

इसके साथ ही विशेषज्ञों का मानना है कि उत्तराखंड में 16 से 17 फीसदी जंगल चीड़ के है, उनकी पत्तियों में रेजिन रसायन पाया जाता है, जो ज्वलनशील होता है। गर्मी के दिनों में चीड़ पत्तियों से निकला रसायन भी जंगलों में आग लगने का बड़ा कारण है।



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Rajnish Verma

Rajnish Verma

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वर्तमान में न्यूज ट्रैक के साथ सफर जारी है। बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय से पत्रकारिता की पढ़ाई पूरी की। मैने अपने पत्रकारिता सफर की शुरुआत इंडिया एलाइव मैगजीन के साथ की। इसके बाद अमृत प्रभात, कैनविज टाइम्स, श्री टाइम्स अखबार में कई साल अपनी सेवाएं दी। इसके बाद न्यूज टाइम्स वेब पोर्टल, पाक्षिक मैगजीन के साथ सफर जारी रहा। विद्या भारती प्रचार विभाग के लिए मीडिया कोआर्डीनेटर के रूप में लगभग तीन साल सेवाएं दीं। पत्रकारिता में लगभग 12 साल का अनुभव है। राजनीति, क्राइम, हेल्थ और समाज से जुड़े मुद्दों पर खास दिलचस्पी है।

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