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उत्तराखंड में आएगी तबाही: बड़े खतरे का अंदेशा, आपस में मिले दो ग्लेशियर, रिपोर्ट देख हिल उठा हर कोई

Uttarakhand Mein Tabahi: अब एक बार फिर उत्तराखण्ड की ओर लोगों का ध्यान फिर एक खतरे (uttarakhand weather alert today) के अंदेशे को लेकर जा रहा है।

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Newstrack NetworkPublished By Divyanshu Rao
Published on: 24 Nov 2021 4:01 PM GMT
उत्तराखंड में आएगी तबाही:  बड़े खतरे का अंदेशा, आपस में मिले दो ग्लेशियर, रिपोर्ट देख हिल उठा हर कोई
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उत्तराखंड के मौसम की तस्वीर (फोटो:सोशल मीडिया) 

Uttarakhand Mein Tabahi: कभी भारी बारिश, कभी भीषण बाढ़ तो कभी भूस्खलन, हमेशा कोई न कोई प्राकृतिक आपदा उत्तराखण्ड में काल का रूप धर तबाही मचाती रहती है। उत्तराखण्ड (uttarakhand weather news) देश के लिए हमेशा एक विषय बना रहता है जहां विशेष तौर पर ध्यान दिया जाना आवश्यक है। यह ध्यान अच्छे और बुरे दोनों दिशाओं की ओर इशारा करता है। अच्छा इसलिए कि उत्तराखंड देश के सबसे खूबसूरत प्रदेशों में से एक है जहां प्रत्येक वर्ष भारी मात्रा में पर्यटक आते हैं और राज्य की हसीन और खुशगवार वादियों का लुत्फ उठाते हैं और इसके विपरीत बुरा इसलिए कि उत्तराखंड में लगातार आती रही प्राकृतिक आपदाओं के चलते देश का राज्य पर ज़रूरी संसाधनों के मद्देनज़र विशेष ध्यान बना रहता है जिसमें आवश्यकता पड़ने पर केंद्र से मदद के रूप में कई सुविधाएं मुहैया कराना शामिल है।

अब एक बार फिर उत्तराखण्ड की ओर लोगों का ध्यान फिर एक खतरे (uttarakhand weather alert today) के अंदेशे को लेकर जा रहा है। दरअसल राज्य में यह खतरा दो हिमखंडों यानी ग्लेशियर के आपस में मिलने के चलते बढ़ गया है। शुरुआती प्राप्त जानकारी से यह ज्ञात हुआ है कि राज्य में दो ग्लेशियर रास्ता बदल कर आपस में मिल गए हैं और इसके चलते प्रदेश में एक बार फिर किसी बड़े आने वाली प्राकृतिक आपदा को लेकर अंदेशा तेज़ हो गया है।

उत्तराखण्ड के मौसम की तस्वीर (फोटो:सोशल मीडिया)

यह दो ग्लेशियर पिथौरागढ़ के ऊपरी क्षोर हिमालय पर मिल गए हैं। इस विषय वैज्ञानिकों का मानना है कि दो ग्लेशियर का आपस में मिलना भविष्य में एक बड़े खतरे की ओर इशारा करता है जिसका कोई समय भी निश्चित नहीं है तथा भविष्य में घटित हो सकने वाली घटना उस जगह पर निर्भर करती है जहां दोनों ग्लेशियर आपस में मिले हैं क्योंकि दो ग्लेशियर के आपस में मिलने से ग्लेशियर का घनत्व बढ़ जाएगा तथा उसे पहले की अपेक्षा अपने क्रियाकलापों को अंजाम देने के लिए दोगुने जगह की अवश्यकता पड़ेगी और यदि परिस्तिथियाँ ग्लेशियर के प्रतिकूल रहती है तो भविष्य में यह ग्लेशियर टूटकर एक भयानक तबाही का रूप भी ले सकता है।

पिछले कुछ समय से असमय जलवायु परिवर्तन के चलते प्राकृतिक रूप से कई प्रतिकूल बदलाव देखे ना रहे हैं और यह भयभीत करने वाला बदलाव भी जलवायु परिवर्तन का ही हिस्सा है।

Divyanshu Rao

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