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मुंशी व मौलवी पास छात्रों को 10वीं बोर्ड की मान्यता न मिलने से उत्तराखंड के मदरसे परेशान

seema
Published on: 12 Jan 2018 9:01 AM GMT
मुंशी व मौलवी पास छात्रों को 10वीं बोर्ड की मान्यता न मिलने से उत्तराखंड के मदरसे परेशान
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ब्यूरो

उत्तराखंड के मदरसे और उनके छात्र इन दिनों कई परेशानियों से एक साथ जूझ रहे हैं जिसमें पहली है सरकार द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फोटो मदरसों में लगाए जाने का आदेश और दूसरी है उत्तराखंड के मान्यता प्राप्त मदरसों से मुंशी व मौलवी का इम्तिहान पास करने वालों को 10वीं के बोर्ड और आलिम की परीक्षा को 12वीं के बोर्ड की परीक्षा के समान माने जाने का शासनादेश जारी न किया जाना। एक शासनादेश से मदरसों के संचालक परेशान हैं उनका कहना है इस्लामिक कारणों से वह मदरसों में फोटो का आदेश नहीं मान सकते और दूसरा आदेश वह चाहते हैं कि जारी हो जाए लेकिन अभी तक जारी नहीं हुआ है इसके चलते मदरसों के करीब 22 हजार से अधिक छात्र अपने ही प्रदेश में उच्च शिक्षा और नौकरी से वंचित हो गए हैं।

इसके अलावा उत्तराखंड मदरसा बोर्ड के एक अहम निर्णय ने भी उनकी मुसीबत बढ़ा दी है जिसके तहत अब प्रदेश के सभी मदरसों की 10वीं और 12वीं की परीक्षाओं में उत्तराखंड बोर्ड पैटर्न लागू किया जा रहा है।बोर्ड के डिप्टीरजिस्ट्रार अहमद अखलाक अंसारी ने बताया कि मदरसों मेंबोर्ड की परीक्षा का पैटर्न बहुत जटिल था। इसके कारण बच्चों को कई तरह की परेशानियां भी होती थीं। इसलिए बोर्ड ने पैटर्न को सरल बनाने का निर्णय लिया। उन्होंने मदरसों के पुराने पैटर्न का जि करते हुए बताया कि 10वीं कक्षा में 10, जबकि 12वीं में नौ पेपर होते थे। लेकिन अब उत्तराखंड बोर्ड की भांति 10वीं में छह और 12वीं में पांच ही परीक्षा होंगीं। इसके अलावा अभी तक मदरसों में 10वीं की परीक्षा में एक हजार अंकों से मूल्यांकन होता था। लेकिन, अब 10वीं में पांच सौ और 12वीं बोर्ड की परीक्षा में छह सौ अंकों से मूल्यांकन होगा।

बैठक में मदरसों मे बोर्ड की परीक्षा की तिथि भी निर्धारित की गई। डिप्टी रजिस्ट्रार अखलाक ने बताया कि 10वीं और 12वीं बोर्ड की परीक्षा की तिथि दो से नौ अप्रैल निर्धारित की गई है। इसके अलावा मदरसा बोर्ड का कहना है कि व्यक्ति से कोई विरोध नहीं है। इस्लाम में मस्जिदों और मदरसों के अंदर जीवित चीज़ों या इंसानों की तस्वीरें लगाने की मनाही है इसलिए हम उत्तराखंड सरकार का आदेश नहीं मान सकते। उन्होंने कहा कि मदरसों में प्रधानमंत्री की तस्वीरें लगाने से इनकार करने को किसी व्यक्ति विशेष के विरोध के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।

अहमद ने कहा कि वह किसी व्यक्ति विशेष के खिलाफ नहीं हैं और यह विशुद्ध रूप से धार्मिक आस्था के कारण है। पिछले साल स्वतंत्रता दिवस के तुरंत बाद सरकार द्वारा संचालित सभी शैक्षणिक संस्थानों को अपने परिसर में मोदी की तस्वीर लगाने तथा वर्ष 2022 तक नये भारत के उनके संकल्प को लागू करने का संकल्प लेने को कहा गया था।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने राज्य में मदरसा परिसरों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर लगाने से इनकार करने के लिए मदरसों की निंदा की है और उनसे इस मुद्दे पर अपनी रूढि़वादिता को छोडऩे के लिए कहा है। रावत ने कहा, मदरसा शैक्षणिक संस्थान भी हैं। उन्हें प्रधानमंत्री की तस्वीर लगाने में कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। उन्हें इस मुद्दे को भारतीय बिंदु से देखना चाहिए।

राज्य के मदरसे इस बात से परेशान हैं कि जो बच्चे मुंशी, मौलवी व आमिल की परीक्षा उप्र मदरसा बोर्ड से करके आते हैं, उनको 10वीं व 12वीं के समकक्ष माना जा रहा है। यानी अपने मदरसा बोर्ड की उपेक्षा और उत्तर प्रदेश मदरसा बोर्ड को सम्मान। प्रदेश में वैसे तो 500 से अधिक मदरसे चल रहे हैं लेकिन 297 को सरकार की मान्यता है और केवल रुड़की में एक मदरसे को सरकारी मदद मिलती है। पिछले शैक्षणिक सत्र में उत्तराखंड के मदरसों में मुंशी, मौलवी व आमिल के 5500 छात्र थे लेकिन इस बार मदरसा बोर्ड की परीक्षा देने वालों में कमी आ गई है और इस बार केवल 5380 छात्र ही रह गए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि उत्तराखंड मदरसा बोर्ड के मुंशी, मौलवी व आमिल पास को 10वीं व 12वीं के समकक्ष माने जाने के कारण अब छात्रों ने उत्तर प्रदेश का रुख करना शुरू कर दिया है ताकि उन्हें उत्तराखंड में उच्च शिक्षा में प्रवेश मिल सके।

पैसा जारी

इस बीच प्रदेश सरकार ने आखिरकार करीब दो साल से वेतन से वंचित 750 मदरसा शिक्षकों के 2014-15 के वेतन के लिए केंद्र से मंजूर 76 लाख 25 हजार रुपये जारी कर दिये हैं। दरअसल 1.52 करोड़ रुपये पिछले साल 14 जनवरी को सेंट्रल ग्रांट इन एड कमेटी की बैठक में मंजूर किये गये थे। लेकिन विभिन्न औपचारिकताएं व सत्यापनों के बाद केंद्र ने पहली किस्त यानी करीब आधी धनराशि 11 नवंबर को जारी कर दी थी जिसके बाद पिछले साल के अंत में राज्य सरकार ने धनराशि जारी की। केंद्र ने पैसा जारी करने के साथ ही एक शर्त लगाई है कि सभी शिक्षकों के बैंक खाते आधार से जुड़े होने चाहिए अन्यथा उन्हें वेतन नहीं दिया जाएगा। प्रदेश में करीब 240 मदरसों में केंद्र सरकार की मदरसों में गुणवत्ता परक शिक्षा उपलब्ध कराने की योजना के तहत 750 अस्थायी शिक्षक रखे गए हैं। इस योजना के तहत स्नातक शिक्षकों को केंद्र सरकार छह हजार रुपये प्रति माह का मानदेय देती है। जबकि परास्नातक शिक्षकों को 12 हजार रुपये प्रतिमाह देती है। यह धनरशि उनके कुल वेतन का 75 व 80 फीसद होती है।

कांग्रेस के जमाने में इस मामले में कुछ नहीं हुआ, मगर उम्मीद है कि भाजपा सरकार इस मामले में फैसला लेगी। जून 2017 में महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा कैप्टन आलोक शेखर तिवारी ने कहा था कि सरकार ने मुंशी-मौलवी पाठयक्रम को 10वीं व आमिल पाठय़क्रम को 12वीं के समकक्ष का दर्जा देने पर सहमति दे दी है। लेकिन तब से अब तक कोई शासनादेश ही नहीं हुआ।

- मदरसा कल्याण समिति के अध्यक्ष सिब्ते नबी

कांग्रेस के समय शासनादेश होने ही वाला था, मगर तब तक सरकार बदल गई और मामला ठंडे बस्ते में चला गया। इस मुद्दे को फिर से प्रदेश सरकार के समक्ष रखेंगे।

- राज्य अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष नरिंदर जीत सिंह बद्रा

अल्पसंख्यक आयोग को शासन के समक्ष पूरा मसला रखना चाहिए ताकि मसले का हल हो सके।

- विद्यालयी शिक्षा सचिव भूपिंदर कौर औलख

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सीमा शर्मा लगभग ०६ वर्षों से डिजाइनिंग वर्क कर रही हैं। प्रिटिंग प्रेस में २ वर्ष का अनुभव। 'निष्पक्ष प्रतिदिनÓ हिन्दी दैनिक में दो साल पेज मेकिंग का कार्य किया। श्रीटाइम्स में साप्ताहिक मैगजीन में डिजाइन के पद पर दो साल तक कार्य किया। इसके अलावा जॉब वर्क का अनुभव है।

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