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Uttarakhand News: हिमालय की 'बर्बादी' से दुखी सुप्रीम कोर्ट की कमेटी के अध्यक्ष का इस्तीफा

Uttarakhand News: सुप्रीम कोर्ट ने 14 दिसंबर को "सुरक्षा चिंताओं" को देखते हुए परियोजना के लिए सड़कों को डबल-लेन चौड़ा करने की अनुमति दी थी।

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Newstrack NetworkPublished By Divyanshu Rao
Published on: 11 Feb 2022 5:09 PM IST
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चार धाम की तस्वीर (फोटो:सोशल मीडिया)

Uttarakhand News: उत्तराखंड की चारधाम सड़क चौड़ीकरण परियोजना (Char Dham Road Project) में एक नया विवाद खड़ा हो गया है। अचानक हुए घटनाक्रम में इस परियोजना की देखरेख के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त उच्चाधिकार समिति के अध्यक्ष रवि चोपड़ा अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने कहा है कि , हिमालय की रक्षा के लिए बनाया गया छिन्न भिन्न हो गया है।

सुप्रीम कोर्ट ने 14 दिसंबर को "सुरक्षा चिंताओं" को देखते हुए परियोजना के लिए सड़कों को डबल-लेन चौड़ा करने की अनुमति दी थी।

रवि चोपड़ा और हाई पावर्ड कमिटी के कुछ सदस्यों ने पहले इस आधार पर इस तरह के चौड़ीकरण के खिलाफ तर्क दिया था कि यह हिमालयी इलाके के लिए हानिकारक है। इसके अलावा यह सड़क चौड़ी करने पर परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की पोजीशन के विरुद्ध है।

सड़क चौड़ी हो कि नहीं

उत्तराखंड में चारधाम यात्रा मार्ग में दो लेन वाले राजमार्ग के लिए उपयुक्त चौड़ाई एक विवादास्पद पहलू रहा है। हाई पावर कमिटी में खुद इस बारे में मतभेद था। इसके सदस्यों के एक ग्रुप ने कहा था कि यह सड़क केवल 5.5 मीटर चौड़ी होगी जबकि दूसरा ग्रुप ज्यादा चौड़ी सड़क के पक्ष में था।

सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल सितंबर में फैसला सुनाया था कि 5.5 मीटर चौड़ाई को लागू किया जाना चाहिए क्योंकि यह सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा पहाड़ी सड़कों के लिए 2018 के परिपत्र के अनुरूप है। राजमार्ग मंत्रालय चार धाम परियोजना का प्रमुख समन्वयक भी है और दिसंबर 2020 में मंत्रालय ने अपनी ही सर्कुलर को अपडेट किया था। ये अपडेशन रक्षा मंत्रालय की इस मान्यता के आधार आर किया गया था कि इनमें से कुछ सड़कें चीन के साथ भारत की सीमा सड़कों से जुड़ी हैं और बख्तरबंद वाहनों की आवाजाही के लिए महत्वपूर्ण हैं।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला

सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली एक खंडपीठ ने ज्यादा चौड़ी सड़कों की अनुमति देते हुए परियोजना पर सीधे रिपोर्ट करने के लिए पूर्व न्यायमूर्ति ए के सीकरी की अध्यक्षता में एक निरीक्षण समिति का गठन किया है। इस समिति को रक्षा मंत्रालय, सड़क परिवहन मंत्रालय, उत्तराखंड सरकार और सभी जिलाधिकारियों का सहयोग मिलेगा।

रवि चोपड़ा का कहना है कि शीर्ष अदालत का निर्णय हाई पावर कमिटी की भूमिका को सिर्फ दो "गैर-रक्षा" सड़कों तक सीमित कर देता है। हाई पवार कमिटी के पूर्व में दिए गए निर्देशों और सिफारिशों को या तो नजरअंदाज कर दिया गया है या उनपर राजमार्ग मंत्रालय की सतही प्रतिक्रिया रही है। रवि चोपड़ा का अकहना है कि ऐसी कोई उम्मीद नहीं है कि गैर-रक्षा सड़कों के संबंध में भी राजमार्ग मंत्रालय की प्रतिक्रिया बहुत अलग होगी। उन्होंने कहा - इन परिस्थितियों में मुझे हाई पवार कमिटी का नेतृत्व जारी रखने या वास्तव में इसका हिस्सा बनने का कोई उद्देश्य नहीं दिखता है।


चारधाम परियोजना

12,000 करोड़ रुपये की सामरिक महत्त्व की 900 किलोमीटर लंबी चार धाम परियोजना का उद्देश्य उत्तराखंड में चार पवित्र शहरों - यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ को हर मौसम में कनेक्टिविटी प्रदान करना है।

रवि चोपड़ा का पात्र 27 जनवरी का है और ये अब सार्वजानिक किया गया है। द हिंदू अखबार ने इस पत्र का खुलासा करते हुए कहा है कि चोपड़ा ने लिखा है कि हाई पवार कमिटी के एक सदस्य के रूप में, उन्होंने हिमालय को "अपवित्र' किये जाते देखा है।

उन्होंने लिखा है – 'मैंने आधुनिक तकनीकी हथियारों से लैस इंजीनियरों को हिमालय पर हमला करते देखा है। उन्होंने प्राचीन जंगलों को चीर दिया है, राजमार्गों को चौड़ा करने के लिए हिमालय की कमजोर ढलानों को घायल कर दिया है। इसके साथ पर्यटकों की बढ़ती संख्या की कदमताल हो रही है, उनके वाहन हानिकारक गैसों को उगलते हैं जो एक भयानक धुंध में आगे की ऊंची चोटियों को ढकते हैं। इंजीनियरों अपने काम पर प्रफुल्लित हो कर प्रकृति पर अपनी विजय को साबित करने वाली तस्वीरों को प्रसारित करते हैं। वे ये महसूस नहीं करते कि वे भी प्रकृति का हिस्सा हैं और यदि उनका अपना प्राकृतिक पर्यावरण नष्ट हो जाता है तो वे जीवित नहीं रह सकते हैं।

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Divyanshu Rao

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