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उत्तराखंड में भाजपा की कमान किसे, सीएम तो कोई रावत ही बनेगा

News Chief Minister of Uttarakhand: उच्च पदस्थ सूत्रों का दावा है कि उत्तराखंड का मुख्यमंत्री कोई रावत ही बनेगा। रेस में दो नाम आगे हैं पहला हरक सिंह रावत (Harak Singh Rawat) और दूसरा धन सिंह रावत (Dhan Singh Rawat) का।

Ramkrishna Vajpei
Written By Ramkrishna VajpeiPublished By Shreya
Published on: 3 July 2021 6:36 AM GMT
उत्तराखंड में भाजपा की कमान किसे, सीएम तो कोई रावत ही बनेगा
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धन सिंह रावत-हरक सिंह रावत (फाइल फोटो- ट्विटर) 

News Chief Minister of Uttarakhand: उत्तराखंड में आसन्न चुनाव को देखते हुए अब इस पहाड़ी राज्य की कमान भाजपा (BJP) किसे सौंपेगी इस पर चर्चा जोरों पर है हालांकि उच्च पदस्थ सूत्रों का दावा है कि मौजूदा हालात में सिर्फ चेहरा बदलेगा मुख्यमंत्री कोई रावत ही बनेगा जिसमें दो नाम चर्चा में हैं। पहला हरक सिंह रावत (Harak Singh Rawat) और दूसरा धन सिंह रावत (Dhan Singh Rawat) का।

उत्तराखंड में त्रिवेंद्र सिंह रावत (Trivendra Singh Rawat) के उत्तराधिकारी के रूप में कार्यभार संभालने के बमुश्किल चार महीने बाद शुक्रवार शाम तीरथ सिंह रावत (Tirath Singh Rawat) ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री (Uttarakhand Chief Minister) पद से इस्तीफा दे दिया। अगले साल राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले रावत ने राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया। अपने इस्तीफे के बाद, रावत ने कहा कि उन्होंने संवैधानिक संकट को देखते हुए इस्तीफा देना सही समझा क्योंकि वर्तमान में COVID-19 के कारण उपचुनाव नहीं हो सकते हैं।

तीरथ सिंह रावत के इस्तीफे के बाद अब भाजपा तीसरे मुख्यमंत्री के रूप में किसे लाएगी (Uttarakhand Ka Naya Mukhyamantri Kon Hoga) यह चर्चा का विषय है। हालांकि विश्वस्त सूत्रों का दावा है कि किसी नये प्रयोग के बजाय इस बार मौजूदा विधायकों में से ही मुख्यमंत्री चुना जाएगा और वह रावत ही होगा।

तीरथ सिंह रावत (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

तीरथ सिंह ने बयानों से शीर्ष नेतृत्व को किया नाराज

पहाड़ी राज्य में त्रिवेंद्र सिंह रावत के बाद उत्तराधिकारी के रूप में अनुभवहीन तीरथ सिंह रावत (Tirath Singh Rawat) को लाकर शीर्ष भाजपा नेतृत्व ने एक दांव खेला था। पार्टी शीर्ष नेतृत्व को उम्मीद थी कि लो प्रोफाइल का नेता होने की वजह से शीर्ष नेतृत्व के अनुरूप ही चलेंगे। लेकिन तीरथ सिंह रावत ने सीएम बनते ही अजीबो गरीब बयान देने शुरू कर के शीर्ष नेतृत्व को नाराज कर दिया। सूत्रों का कहना है कि कई मामलों में तीरथ सिंह रावत ने न सिर्फ उत्तराखंड के अपने सहयोगियों की नाराजगी मोल ले ली बल्कि हालात ऐसे कर दिये कि पार्टी नेतृत्व को आसन्न चुनाव में पार्टी सांसत में पड़ती दिखने लगी।

अगर सबकुछ ठीक चला होता तो तीरथ सिंह रावत को समय सीमा खत्म होने से एक दिन पहले इस्तीफा दिलवाकर फिर से शपथग्रहण करवा दिया जाता लेकिन मुख्यमंत्री के कारनामों ने इसकी कोई गुंजाइश ही नहीं छोड़ी।

धन सिंह रावत (फाइल फोटो साभार- सोशल मीडिया)

धन सिंह रावत मुख्यमंत्री पद की रेस में आगे

मुख्यमंत्री पद की रेस में एक बार भाजपा नेता धन सिंह रावत (Dhan Singh Rawat) का नाम आगे चल रहा है जो अपनी कार्य शैली के लिए प्रसिद्ध हैं। 7 अक्टूबर, 1971 को गढ़वाल जिले के नौगांव गांव में जन्मे धन सिंह रावत ने अपनी शुरूआत स्वयंसेवक के रूप में आरएसएस (RSS) ज्वाइन करके की थी। इसके बाद छुआछूत, बाल विवाह और शराब के खिलाफ अभियान चलाकर वह चर्चा में आए। राम जन्मभूमि आंदोलन (Ram Janambhoomi Andolan) के दौरान उन्हें जेल भी हुई।

उत्तराखंड राज्य के आंदोलन में भी उन्होंने शिरकत की। इस दौरान भी उन्हें दो बार जेल हुई। छात्र जीवन में विद्यार्थी परिषद में सक्रिय रहे। रावत ने इतिहास में एमए किया है और राजनीति विज्ञान में पीएचडी की है। उन्होंने कई किताबें भी लिखी हैं जैसे- पदयात्रा, पंचायती राज: एक अध्ययन, पंच केदार, पंच बद्री और पंच प्रयाग आदि। इस तरह से देखा जाए तो धन सिंह रावत जातीय समीकरण और क्षेत्रीय समीकरण दोनों में फिट बैठ रहे हैं।

हरक सिंह रावत (फाइल फोटो साभार- सोशल मीडिया)

हरक सिंह रावत भी जीत सकते हैं बाजी

मुख्यमंत्री पद की रेस में दूसरा नाम हरक सिंह रावत का है जो वर्तमान में विधानसभा सदस्य हैं। वे कांग्रेस छोड़कर भारतीय जनता पार्टी का हिस्सा बने और फिर तमाम दिग्गज कांग्रेसियो को भाजपा में शामिल कराया। वे 15 दिसंबर 1960 को पैदा हुए। हरक सिंह रावत ने 1984 में कला में स्नातकोत्तर पूरा किया। उन्होंने 1996 में हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर, उत्तराखंड से सैन्य विज्ञान में डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी की डिग्री प्राप्त की। उनकी पत्नी का नाम दीप्ति रावत है। वे पहले कांग्रेस का हिस्सा थे।

1991 में हरक सिंह रावत ने पौरी से विधानसभा चुनाव जीता और राज्य के सबसे कम उम्र के मंत्री बने। वे 2014 के आम चुनाव में गढ़वाल से कांग्रेस के उम्मीदवार थे। पूर्व कांग्रेस विधायक हरक सिंह रावत, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत के खिलाफ विद्रोह करने वाले नौ विधायकों में से एक थे। कांग्रेस द्वारा निष्कासित किए जाने के बाद वे भाजपा में शामिल हो गए थे। लेकिन आगामी चुनाव में कांग्रेस से सीधे मुकाबले को देखते हुए कांग्रेसी मतों को प्रभावित करने के लिए हरक सिंह रावत एक मुफीद चेहरा हो सकते हैं ऐसा तमाम राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है।

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