TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

उत्तराखंड में वन्य जीवों पर शिकारियों की गिद्ध दृष्टि, थम नहीं रहीं घटनाएं

Newstrack
Published on: 2 Feb 2018 1:25 PM IST
उत्तराखंड में वन्य जीवों पर शिकारियों की गिद्ध दृष्टि, थम नहीं रहीं घटनाएं
X

देहरादून : उत्तराखंड में हाल के दिनों ने वन्य जीव तस्करी की घटनाओं की बाढ़ सी आ गयी है। सरकार मान रही है कि वन्य जीवों के शिकार की घटनाएं बढ़ी हैं। लेकिन राज्य सरकार मदद के लिए केंद्र सरकार का मुंह ताक रही है ताकि एक टास्क फोर्स का गठन करके शिकारियों को काबू में किया जा सके।

हाल की कुछ घटनाएं

. पिथौरागढ़ में तेंदुए की खाल के साथ एक नेपाली युवक पकड़ा गया। वह गुलदार की खाल बेचने टनकपुर जा रहा था। पुलिस ने खाल की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में ढाई लाख रुपये आंकी है। पुलिस ने तस्कर के खिलाफ वन्य जीव अधिनियम की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है।

. रामनगर पुलिस और एसओजी की टीम ने एक वन्य जीव तस्कर को गिरफ्तार करके उसके पास से गुलदार की खाल बरामद की। यह तस्कर खाल को बेचने की फिराक में था।

. पिथौरागढ़ में एसओजी ने गुलदार की तीन खालों के साथ एक वन्य जीव तस्कर को गिरफ्तार किया। एसओजी टीम को वड्डा क्षेत्र में वन्य जीवों के अंगों की तस्करी की सूचना मिली थी।

ये भी पढ़ें : सहकारिता व चीनी क्षेत्र के लिए केंद्र उत्तराखंड को दे रहा 2,600 करोड़ रुपए

राज्य में पिछले साल 16 बाघों की मौत हुई। इनमें से दो का शिकार होने की पुष्टि हुई जबकि दो के बारे में यह स्पष्ट नहीं हो पाया कि ये स्वाभाविक मौत मरे या फिर शिकारियों द्वारा बुने गए जाल में फंसकर उनका निशाना बने। कई ऐसी भी घटनाएं हुईं जब बेखौफ शिकारी कार्बेट टाइगर रिजर्व के कोर जोन में शिकार करने पहुंच गए। गुलदार व अन्य वन्य जीवों की खाल व हड्डियों की बरामदगी से स्पष्ट हो चुका है कि शिकारियों और तस्करों के तार सीमा पार बैठे अंतरराष्ट्रीय माफिया से जुड़े हुए हैं। क्षेत्र के गरीब ग्रामीण थोड़े से पैसों के लालच में उनके ट्रैप में फंस जाते हैं।

ये भी पढ़ें : हरिद्वार में आज दिनभर बंद रहे मंदिरों के कपाट, चंद्रग्रहण के बाद खुलेंगे

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र और वन मंत्री हरक सिंह रावत भी शिकारियों की वन्य जीव महकमे में गहरी पैठ के चलते उनका तंत्र तोडऩे में नाकाम रहे हैं। उत्तराखंड सरकार ने अब प्रदेश में वाइल्डलाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो (डब्ल्यूसीसीबी) की ब्रांच खोलने के लिए केंद्र में दस्तक दी है। वन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत के मुताबिक केंद्र सरकार भी इस दिशा में गंभीर है और वह समझ रही है कि ब्रांच खुलने का लाभ अन्य प्रदेशों में भी उठाया जा सकता है। शिकारियों में अक्सर ही कुख्यात बावरिया गिरोहों का नाम प्रमुखता से आता रहा है जिसने सरकार की नाक में दम किया हुआ है। इस गिरोह के निशाने पर कार्बेट से लेकर राजाजी नेशनल पार्क के बाघ, गुलदार व हाथी हैं।

ये भी पढ़ें : उत्तराखंड के कार्बेट टाइगर रिजर्व के तरीके से होगी देश में बाघों की गणना

हरक सिंह रावत के मुताबिक वर्तमान में डब्ल्यूसीसीबी का उत्तर क्षेत्र कार्यालय उत्तराखंड को भी देखता है, लेकिन उस पर तमाम राज्यों की जिम्मेदारी है। फिर वन्यजीव सुरक्षा के लिहाज से उत्तराखंड ज्यादा संवेदनशील है। इसलिए ब्रांच खुलने का उत्तराखंड को लाभ मिलना तय है।



\
Newstrack

Newstrack

Next Story