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उत्तराखंड सरकार की बिना जांच कराए खनन को हरी झंडी
चौतरफा दबावों को झेल रही त्रिवेंद्र सरकार ने अब खनन मामले में जांच कराने के अपने फैसले से हाथ खींच लिए हैं। बहाना चुगान बंद हो जाने और राजस्व हानि का बनाया है।
देहरादून: चौतरफा दबावों को झेल रही त्रिवेंद्र सरकार ने अब खनन मामले में जांच कराने के अपने फैसले से हाथ खींच लिए हैं। बहाना चुगान बंद हो जाने और राजस्व हानि का बनाया है। दरअसल हरीश रावत सरकार द्वारा दिये गए खनन पट्टों व स्टोन क्रशर आदि के लाइसेंस देने में घोटाले का आरोप लगाकर भाजपा ने सत्ता में आते ही रोक लगाकर जांच बिठा दी थी।
लेकिन अब सरकार ने अपने इस फैसले को वापस लेते हुए पूर्व व्यवस्था को ही बहाल कर दिया है।
अब सरकार ने बहाना बनाया है कि केंद्रीय मृदा एवं जल संरक्षण अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान ने इनकी जांच में यह कहते हुए असमर्थता जता दी है कि निजी नाप भूमि पर वह जांच नहीं कर सकता। ऐसे में 9 नई 2017 को इनके लाइसेंस निलंबित करने का आदेश निरस्त किया जाता है।
प्रमुख सचिव औद्योगिक विकास आनंद बर्धन की ओर से जारी इस आदेश में कहा गया है कि निजी नाप भूमि में स्टोन क्रशर, मोबाइल स्क्रीनिंग प्लांट, हॉट मिक्स प्लांट, रेडीमिक्स प्लांट उपखनिज भंडारण इन मामलों में अगर विसंगति पाई जाती तो जिलाधिकारी केस टू केस नियमानुसार कार्रवाई कर सकेंगे।
हरिद्वार के खनन पट्टे भी बहाल
सरकार ने हरिद्वार में भी गंगा नदी के बाढ़ क्षेत्र में भी निजी नाप भूमि के पट्टे रद्द किए थे और केंद्रीय मृदा एवं जल संरक्षण अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान द्वारा अध्ययन कराए के बाद ही निजी नाप भूमि में पट्टे जारी करने के आदेश दिए थे।
लेकिन अब इसी तर्क को बहाना बनाकर यहां भी 25 मई के उस आदेश को रद्द कर दिया गया है जिसमें आवंटित निजी नाप भूमि के पट्टों को निरस्त कर केंद्रीय मृदा एवं जल संरक्षण अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान जांच करने के निर्देश दिए गए थे।
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